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बिहार की जेलों में बंद कैदी सीखेंगे कंप्यूटर, डिजिटल साक्षर बनेंगे; इन कोर्सेस की मिलेगी ट्रेनिंग

गृह विभाग ने पहले चरण में राज्य के आठ केन्द्रीय कारा सहित 41 जेलों में बंद कैदियों को कंप्यूटर का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिए जाने की योजना बनाई है। इसको लेकर कारा निरीक्षणालय पहले ही 250 कंप्यूटर सेट, यूपीएस एवं कंप्यूटर टेबल की खरीद को लेकर 2.25 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दे चुका है।

sandeep हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान ब्यूरो, पटनाSun, 1 June 2025 10:07 PM
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बिहार की जेलों में बंद कैदी सीखेंगे कंप्यूटर, डिजिटल साक्षर बनेंगे; इन कोर्सेस की मिलेगी ट्रेनिंग

सूबे की जेलों में बंद कैदी कंप्यूटर सीखेंगे। उनको रोजगार परक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर कोर्सों एमएस वर्ड, टैली, पावर प्वाइंट आदि का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसको लेकर गृह विभाग के कारा एवं सुधार सेवाएं निरीक्षणालय ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (नाइलेट) के साथ समझौता किया है। समझौते के तहत नाइलेट के प्रशिक्षित कर्मी जेलों में संसीमित बंदियों में कंप्यूटर की व्यावहारिक समझ विकसित करने के साथ ही उनको डिजिटल साक्षर बनाने का काम करेंगे। इससे जेल से छूटने के बाद इन कैदियों को रोजगार या स्वरोजगार की मदद से समाज की मुख्य धारा से जुड़ने में मदद मिलेगी।

जानकारी के मुताबिक गृह विभाग ने पहले चरण में राज्य के आठ केन्द्रीय कारा सहित 41 जेलों में बंद कैदियों को कंप्यूटर का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिए जाने की योजना बनाई है। इसको लेकर कारा निरीक्षणालय पहले ही 250 कंप्यूटर सेट, यूपीएस एवं कंप्यूटर टेबल की खरीद को लेकर 2.25 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दे चुका है।

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इसके तहत पटना के आदर्श केंद्रीय कारा बेऊर को सबसे अधिक 15 कंप्यूटर सेट दिया जाना है। वहीं, बक्सर, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, भागलपुर और गया के केंद्रीय एवं विशेष कारा को 10-10 कंप्यूटर सेट जबकि 33 मंडल काराओं को पांच-पांच कंप्यूटर सेट मिलने हैं। धीरे-धीरे सभी जेलों में इसे लागू कर दिया जाएगा।

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राज्य की जेलों में बंद कैदियों की ऊर्जा का सकारात्मक इस्तेमाल करने के लिए उनको जेल परिसर में ही चलाये जाने वाले विभिन्न लघु उद्योगों से भी जोड़ा गया है। यह कैदी जेल में सरसों तेल, मसाला पाउडर, वूडेन डेकोरेटिव आइडटम, जूट से बनी सामग्रियों व डिजाइनर ड्रेस आदि तैयार कर रहे हैं। इन्हें खुले बाजार में ‘ मुक्ति ‘ ब्रांड के नाम से बेचा जा रहा है। इससे कैदियों के नकारात्मक कार्यों पर रोक लगने के साथ ही उनकी कार्यकुशलता और आय भी बढ़ रही है।