17 जून को सरोंन काली मंदिर में अंतरराज्यीय वार्षिक पूजा
बिहार-झारखंड की सीमा पर सरौन बाजार में प्रसिद्ध सरौन काली मंदिर की वार्षिक पूजा 17 जून को होगी। पूजा समिति ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। 10 जून से ब्राह्मणों द्वारा पूजा प्रारंभ होगी। इस अवसर पर...

चकाई । निज संवाददाता बिहार झारखण्ड की सीमा पर चकाई प्रखंड के सरौन बाजार में अन्तराज्यीय प्रसिद्ध सरौन काली मंदिर के बार्षिक पूजा का आयोजन आगामी 17 जून मंगलवार को होना निश्चित हुआ है। ये जानकारी सरौन काली मंदिर पूजा समिति के सदस्यों ने दी।उन्होंने बताया कि इसके लिए पूजा समिति द्वारा सारी तैयारी पूरी कर ली गई है।कल यानि 10 जून मंगलवार से मंदिर में पूजा हेतु ब्राह्मणों द्वारा पाठ प्रारम्भ हो जायेगा जो अगले मंगलवार तक चलेगा।वहीं 17 जून को धूम धाम एवं उत्साह के साथ माँ की पूजा अर्चना की जाएगी।मालूम हो कि मां सरौन काली मंदिर की स्थापना लगभग दो सौ बर्ष पूर्व स्थानीय सरौन चरघरा निवासियों द्वारा सरौन बाजार के बगल में पुरे श्रद्धा एवं भक्ति भाव के साथ की गई थी. तब से लगातार हर वर्ष आसाढ माह में मां सरौन वाली काली की बार्षिक गमाली पूजा धूमधाम से की जाती रही है।
इस मौके पर मां काली के पूजा अर्चना एवं दर्शन हेतु बड़ी संख्या में श्रद्धालु बिहार, झारखंड, बंगाल आदि राज्यों से आकर पूजा में भाग लेते हैं तथा मन्नत पूरा होने की ख़ुशी में बकरे की बलि चढ़ाते हैं।इस अवसर पर मंदिर प्रांगन में दो दिवसीसीय मेला का आयोजन होता है।जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां काली के पूजा अर्चना के उपरांत मेले का जमकर लुफ्त उठाते हैं।वहीं श्रद्धांलुओं के मनोरंजन हेतु मेला परिसर में बिजली चलित तरमाची, मौत का कुआँ, कठ घोड़वा, कठपुतली का नाच, ब्रेक डांस आदि का आयोजन होता है जिसका श्रद्धांलु आनंद उठाते हैं वहीं इस काली पूजा को सम्पन्न कराने हेतु पूजा समिति के सदस्यों के साथ साथ पुलिस प्रशासन की भारी ब्यवस्था मंदिर एवं मेला परिसर में होती है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से समय रहते निपटा जा सके एवं मां काली की बार्षिक पूजा शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराया जा सके। मटिया बना शुद्ध किचन मसाला का उत्पादन केंद्र,उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पहुंची धमक नेचर विलेज मटिया द्वारा मसाला का हो रहा है उत्पादन,बेरोजगार को मिल रहा है रोजगार प्रतिदिन एक क्िंवटल मसाला होता है तैयार,गुणवत्ता की रहती है गारंटी। लक्ष्मीपुर, निज संवाददाता लक्ष्मीपुर का मटिया अब शुद्ध किचन मसाला उत्पादन केंद्र के रूप जाना जाने लगा है। जिसकी धमक उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक पहुंच चुकी है। शुद्ध मसाला का उत्पादन नेचर विलेज मटिया द्वारा किया जाता है। जहां बेरोजगार को रोजगार मिलता है। जिसका नतीजा है कि आज की तिथि में प्रत्येक दिन लगभग एक क्विंटल मसाला तैयार होता है। जिसके गुणवत्ता की गारंटी रहती है। जिसका प्रतिफल है कि जिले के विभिन्न बाजार में मसाला की मांग में वृद्धि होते जा रहा है।जहां तक उत्तर प्रदेश तक मसाला का पहुंचने की बात है। वहां नेचर विलेज के संस्थापक सह अंचलाधिकारी निर्भय प्रताप सिंह ने बीते महा कुंभ में मसाला का उपस्थिति दर्ज कराया। वो भी एक आश्रम के माध्यम से,जहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं का नि:शुल्क भोजन तैयार होता था। जिसके संचालक स्वामी केलशानंद गिरी जी महाराज हुआ करते थे। जिनका प्रवास बीते माह के अंतिम सप्ताह में जमुई में भी हो चुका है। तीन दिवसीय प्रवास के दौरान सिमुलतला स्थित महराज जी के आश्रम में भी मसाला की मांग किया गया था। इतना ही नहीं उत्तराखंड स्थित महाराज जी के मठ तक भी मसाला ने अपना पहचान बनाया।नेचर विलेज की यात्रा स्वक्षता,योग के साथ शुरू हुआ। उसके बाद महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने लिए सिलाई प्रशिक्षण ,औषधीय पौधा की खेती के प्रति लोगों को जागरूक किया। जिसका परिणाम सकारात्मक देखा गया। प्रशिक्षण के बाद महिलाएं सिलाई कार्य में जुटकर आर्थिक दृष्टिकोण से आत्मनिर्भर हो रही है। किसान पारंपरिक खेती से अलग औषधीय खेती के ओर कदम बढ़ा दिया है।
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