तबाही का सबब बनता रहा है झाझा में दमकल का न होना
तबाही का सबब बनता रहा है झाझा में दमकल का न होना तबाही का सबब बनता रहा है झाझा में दमकल का न होनातबाही का सबब बनता रहा है झाझा में दमकल का न होना

तबाही का सबब बनता रहा है झाझा में दमकल का न होना तबाही का सबब बनता रहा है झाझा में दमकल का न होना
विगत के सालों से ले हाल तक बर्िंनग टे्रन की 2 घटनाओं तथा रेल पटरियों के करीब जंगलों में अगलगी समेत आग के तांडव की कई बड़ी घटनाएं घट चूकी हैं
झाझा, निज संवाददाता
साल-दर-साल अगलगी की कई वारदातों का गवाह बनते आए झाझा पुलिस अनुमंडल मुख्यालय में दमकलों के उपलब्ध न होने की पीड़ा न केवल इलाके के आमलोगों को लगातार सालती रही है। अपितु,दमकल की अनुपलब्धता कई मौकों पर रेलवे के लिए भी परेशानी व समस्या का सबब बनती देखी गई है। ऐसे में झाझा में भी फायर सब स्टेशन की स्थापना के साथ यहां अग्निशमन के पर्याप्त संसाधन सुलभ कराए जाने की मांग गुजरे लंबे अर्से से उठती रही है। विभिन्न संगठनों के पहरूओं के अलावा विगत में मेमू शेड के एक तत्कालीन डीईई एमएम झा भी ऐसी जरूरत पर बल देते मिले थे। वैसे भी जमुई से चकाई के बीच बिल्कुल लगभी मश्य बिंदु पर स्थित होने के अलावा रेलवे का भी एक बड़ा मुकाम होने के मद्देनजर झाझा में भी फायर सब स्टेशन की स्थापना समय व परिस्थिति दोनों की मांग है,ऐसा कई लोगों व संगठनों का कहना था। कहा,यदि जनप्रतिनिधि की पहल से राज्य सरकार इस बावत कदम उठाती है तो यह एक समीचीन व विवेकपूर्ण कदम होने के साथ-साथ रेल समेत पूरे इलाके के व्यापक हित में होगा।
रेल के लिए भी बनता रहा है परेशानी व व्यापक क्षति का सबब
विगत के सालों में अगलगी की अन्य कई छोटी-बड़ी घटनाओं के साथ-साथ झाझा में बर्िंनग टे्रन की दो बड़ी घटनाएं भी सामने आती दिखी है। विगत की उन घटनाओं के अलावा अभी बीते दिनों कई मुकामों पर रेल पटरियों के करीब के जंगलों में भी आग के तांडव की सीन सामने आती रही है। मेनलाइन के जसीडीह-झाझा के महत्वपूर्ण रेलखंड पर कभी घोरपारन तो कभी नरगंजो के जंगलों में उठी आग की भयावह लपटें रेल की पटरियों तक पसर कर रेल परिचालन के लिए भी खतरा जनक स्थिति की संभावना उत्पन्न करती दिखी हैं। इसके मद्देनजर रेल के सुरक्षित परिचालन के नजरिए से टे्रनों के मूवमेंट पर एक-दो घंटा विराम भी लगने की स्थिति भी सामने आती दिखी है। हालिया महीनों के दौरान नरगंजो,घोरपारन की ऐसी अन्य घटनाओं के अलावा अभी बीते 1 अप्रैल को भी नरगंजो-घोरपारन के बीच पटरियों के समीप की जंगली झाड़ियों में अग्नि लीला की सूरत में मेनलाइन के उक्त रेलखंड पर करीब घंटे भर तक डाउन का परिचालन बाधित रहा था। विगत में झाझा के रेलवे इंडियन इंस्टीच्यूट को भी अपने लपेटे में ले डालने वाली आग की विनाशकारी लपटों के बाद रेल के लोग भी स्थानीय स्तर पर कम से कम दो बड़ी दमकलों की उपलब्धता की जरूरत पर बल देते मिले थे। अगलगी की शिकार हुई रेलवे इंस्टीच्यूट पर तब लोगों का कहना था कि अंग्रेजों के जमाने में बनी करीब 95 साल पुरानी वह इमारत कोई बेशकीमती धरोहर से कम नहीं थी। पर,वक्त पर दमकलों के उपलब्ध न हो पाने के सच के मद्देनजर उक्त धरोहर को भी आग की लपटों में धू-धूकर जलने से नहीं बचाया जा सका था। दमकल न होने की पीड़ा को कई लोग प्रशासनिक संवेदनशून्यता की हद करार देते भी मिले।
कई मौकों पर अपर्याप्त साबित होती दिखी हैं मिनी फायर ब्रिगेड:
हद यह भी कि,झाझा थाना में तीन सौ लीटर पानी स्टोरेज क्षमता वाली एक मिनी फायर ब्रिगेड उपलब्ध होने के बावजूद कई मौकों पर वह भी कोई काम की साबित नहीं हो पाती देखी गई है। ऐसे में दमकलों के अभाव की वजह से हर वारदात सब कुछ राख में तब्दील करके ही दम मारती दिखी है। विगत में एक पत्तल गोदाम, मारवाड़ी धर्मशाला के सामने स्थित फुटवेयर की बड़ी दुकान, बस स्टैंड रोड स्थित एक रेडिमेड दुकान तथा गांवों में कई कच्चे घर व मवेशी आदि भी पूरी तरह से आग की भेंट चढ़ राख में तब्दील हो जाते देखे गए हैं। अगलगी की कई वारदातों के बावजूद झाझा पुलिस अनुमंडल मुख्यालय में अग्निशमन स्टेशन अथवा दमकलों की उपलब्धता की जरूरत के प्रति शासन-प्रशासन किसी का ध्यान अब तक नहीं गया है। रेलनगरी में करोड़ों के मेमू कार शेड समेत कई बड़े व अहम संसाधनों को अपने आगोश में समेटे झाझा पुलिस अनुमंडल मुख्यालय में अग्निशमन स्टेशन अथवा दमकलों क ा उपलब्ध न होना लोगों की नजर में एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। कई लोगों का कहना था कि एक बार फिर इस गर्मी में भी उक्त कमी का बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है इलाके को।
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