Passengers Suffer from Lack of Shade and Benches at Jhajha Railway Station झाझा: धूप व बारिश से बचाव हेतु मुसाफिरों को पेड़ों व सीढ़ियों का सहारा, Jamui Hindi News - Hindustan
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झाझा: धूप व बारिश से बचाव हेतु मुसाफिरों को पेड़ों व सीढ़ियों का सहारा

झाझा: धूप व बारिश से बचाव हेतु मुसाफिरों को पेड़ों व सीढ़ियों का सहारा झाझा: धूप व बारिश से बचाव हेतु मुसाफिरों को पेड़ों व सीढ़ियों का सहारा

Newswrap हिन्दुस्तान, जमुईThu, 17 Oct 2024 02:17 AM
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झाझा: धूप व बारिश से बचाव हेतु मुसाफिरों को पेड़ों व सीढ़ियों का सहारा

झाझा,निज संवाददाता यह बात देखने-सुनने में भले ही अटपटी या अजीबोगरीब लगे,पर आधुनिकता की उड़ान भर रही रेलवे के झाझा स्टेशन पर आज भी बहुधा मुसाफिरों के लिए प्लेटफॉर्म पर स्थित पेड़ ही शेड की भरपाई करते व राहत देते दिख रहे हैं। प्लेटफॉर्मों पर शेड,बेंच आदि की खासी कमी के मद्देनजर अनेकों मुसाफिरों को हर मौसम के सितम को प्लेटफॉर्मों पर लगे पेड़ों तले ही झेलते देखा जा सकता है। बात चाहे आग बरसाते व चिलचिलाती धूप के साथ लू का प्रहार करते मौजूदा मौसम की हो,या फिर बारिश या सर्दियों की हो। इन सबसे बचाव को अक्सर बेचारे कई मुसाफिरों के लिए या तो वहां लगे पेड़ों या फिर ओवरब्रिज की सीढ़ियों अथवा सीढ़ियों के आगे के बरामदे ही बड़े सहारे बने नजर आते हैं। विगत में झाझा दौरे पर आते रहे डीआरएम समेत रेल के अन्य वरीय अधिकारियों का मुसाफिरों की उक्त परेशानी के प्रति ‘हिन्दुस्तान द्वारा भी बहुधा बार ध्यान दिलाया गया। पूर्व डीआरएम प्रभात कुमार समेत अन्य ने उक्त समस्या से सहमति जताते हुए शीघ्र ही समाधान का भरोसा भी दिया था पर नतीजा अब तक भी सिफर ही है।। झाझा स्टेशन पर धूप,गर्मी,बरसात व ठंड आदि से बचाव को प्लेटफॉर्मों पर शेड,बेंच आदि की कर्मी या कहें पर्याप्त संख्या में न होना मुसाफिरों के लिए भारी समस्या का सबब बना है। हद यह कि शेड,बेंच आदि कि कमी की सूरत भी कोई हाल फिलहाल से नहीं अपितु लंबे अर्से से कायम है। परंतु,अफसोसनक यह कि झाझा दौरे पर आए पूर्व के डीआरएम समेत मौजूदा डीआरएम तक से मुसाफिरों की उक्त समस्या की बावत सवाल उठाए जाते रहने के बावजूद अब तक भी इसका निदान नहीं हो पाया है। बीते साल की 6 मई को झाझा आए तत्कालीन डीआरएम प्रभात कुमार से मीडियाकर्मियों द्वारा इस समस्या को ले पूछे गए सवाल पर उन्होंने झाझा स्टेशन पर नए शेड व बेंचों आदि के प्रावधान की योजना प्रक्रिया में बताया था। जबकि बीते दिनों आए मौजूदा डीआरएम जयंत कु.चौधरी ने इस संवाददाता द्वारा उक्त समस्या के अलावा अन्य यात्री सुविधाओं में कमी को लेकर भी सवाल किए जाने पर इसी माह शुरू हुए नए वित्तीय वर्ष में सभी कमियां दूर करा दिए जाने का भरोसा दिया था। रोचक यह कि रेल मंत्रालय देश के कई बड़े स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाने में लगा है। एक ओर रेलवे अमृत भारत योजना के तहत अन्य सैकड़ों स्टेशनों पर भी तमाम बुनियादी संसाधनों समेत यात्री सुविधा संबंधी कई अन्य आधुनिक सुविधाओं के प्रावधान की दिशा में कार्य कर रहे होने का दंभ भरते मिलती है। जबकि दूसरी ओर अंग्रेजों के शासनकाल के वक्त से ही भारतीय रेलवे का एक महत्वपूर्ण मुकाम रहे झाझा स्टेशन के मुसाफिरों का यह हाल है कि इन्हें प्लेटफॉर्मों पर शेड,बेंच जैसे न्यूनतम संसाधन भी पर्याप्त तौर पर मयस्सर नहीं हैं। नतीजतन,मौसम की मार की सूरत में बेचारे मुसाफिरों को सिर बचाने-छुपाने को ओवरब्रिज की सीढ़ियों या पेड़ों आदि की शरण लेनी पड़ती है। स्टेशन पर कई सामान्य,या कहें बुनियादी सुविधा-संसाधनों तक के भी टोटे पड़े हैं। रेलयात्रियों को कई जरूरी सुविधाएं या तो मयस्सर ही नहीं हैं और जो हैं भी तो वे जरूरत के मुताबिक पर्याप्त संख्या में नहीं हैं। ऐसे में बेचारे मुसाफिरों को खासी जलालत व फजीहत झेलनी पड़ जाती है। स्टेशन पर मिले कई मुसाफिर भी उक्त परेशानियों को रोजमर्रा की परेशानी बताते मिले हैं। मुसाफिरों ने कहा कि झाझा हर नजरिए से अमृत भारत योजना में शामिल होने की अहर्ता व पात्रता रखता था। किंतु उपेक्षा का आलम यह है कि झाझा के मुसाफिरों को अमृत भारत योजना की सौगात तो दूर,सामान्य बुनियादी सुविधाएं भी सुलभ नहीं हैं।

गर्मी के मौसम में पानी के नलों के उपर छतरी न होने से यात्रियों के लिए गर्म पानी भी बन जाता है बेमानी:

इसी तरह प्लटफॉर्मों के तमाम वाटर बूथों के उपर भी कोई शेड या छतरी न होने से गर्मी के मौसम के दौरान कड़ी धूप से नलों का पानी भी काफी गर्म निकलने से वह मुसाफिरों के लिए बेमानी ही होता है। मुसाफिरों ने बताया कि उक्त गर्म पानी को पीना तो दूर हथेलियों पर लेना भी मुहाल होता है। ऐसे में गर्मियों में लोगों को पैसों से बोतलबंद पानी खरीदना ही एकमात्र विकल्प रह जाता देखा गया है।

पूर्व डीआरएम ने भी माना था शेडों की कमी की समस्या:

स्टेशन प्लेटफॉर्मों पर शेडों की कमी से मुसाफिरों को परेशानी की बात को बीते साल की 6 मई को झाझा दौरे के दौरान दानापुर के तत्कालीन डीआरएम प्रभात कुमार ने भी स्वीकारा था। बताया था कि नए शेडों आदि के निर्माण का प्रस्ताव पापलाइन में है। बता दें कि मीडियाकर्मियों ने शेडों की कमी की सूरत में मुसाफिरों को पेड़ों की छांव का सहारा लेने की मजबूरी तथा उधर प्लेटफॉर्म स्थित वाटर बूथों पर उपर छतरी नहीं होने से नलों से निकलता काफी गर्म पानी भी मुसाफिरों के लिए बेमानी होने की परेशानियों से पूर्व डीआरएम को अवगत कराने पर वे भी उक्त समस्याओं से इत्तेफाक रखते मिले थे। मीडिया के ही सवाल पर उन्होंने प्लेटफॉर्मों पर पार्सल की बीड़ी को पानी आदि से बचाव को शेड का इंतजाम करा देने का भरोसा दिया था।

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