रिंजाग ला रज कलश यात्रा पहुंचा जमुई, हुआ स्वागत
जमुई में रिंजाग ला कलश यात्रा का आयोजन हुआ, जिसमें अहीर रेजिमेंट की मांग की गई। यात्रा के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ स्वप्न कुमार घोष ने कहा कि 1962 के युद्ध में शहीद हुए कुमाऊं रेजिमेंट के 114...

जमुई। हिन्दुस्तान प्रतिनिधि अहीर रेजिमेंट की मांग को लेकर पूरे देश की यात्रा पर निकले रिंजाग ला रज कलश यात्रा शुक्रवार को जमुई पहुंचा। अखिल भारतीय बहुत अखिल भारत वर्षीय यादव महासभा के सदस्यों ने कलश यात्रा का स्वागत किया। जिला परिषद अध्यक्ष दुलारी देवी के सरकारी आवास में कलश यात्रा का अभिनंदन किया गया। कलश यात्रा के साथ जमुई पहुंचे राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ स्वप्न कुमार घोष ने कहा कि शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में कुमाऊं रेजीमेंट के मारे गए के शहीद 114 सैनिकों के अस्थि कलश यात्रा को पूरे देश में घुमाया जा रहा है। 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में कुमाऊं रेजीमेंट के जवानों ने अपना पराक्रम दिखाया था। रेजीमेंट में सभी जवान अहीर जाति के थे। अहीर रेजिमेंट की मांग वर्षों से की जा रही है। इसी मांग को लेकर हम लोग पूरे देश की यात्रा कर रहे हैं। यादव महासभा के जिलाध्यक्ष डॉ अर्जुन प्रसाद यादव ने कहा कि अभी जिस परिस्थिति से देश गुजर रहा है उस परिस्थिति में अहीर रेजिमेंट की स्थापना प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि जो रेजीमेंट चीन के इरादों को ध्वस्त कर सकता है उसके आगे पाकिस्तान और आतंकवादी कहीं भी टिकने वाले नहीं है। उन्होंने कहा कि यहां के बाद रज कलश यात्रा बांका के लिए प्रस्थान करेगी। स्वागत कर रहे जिप अध्यक्ष के प्रतिनिधि और विधान परिषद के प्रत्याशी गुड्डू यादव ने कहा कि सरकार को अहीर रेजिमेंट की मांग पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब निहत्थे सैनिक चीन के 25 गुना सैनिक को पानी पिला सकता है तो सरकार को यह सोचना चाहिए कि अहीर रेजिमेंट की स्थापना कितना जरूरी है। आज के समय में अगर रेजीमेंट की स्थापना होती है तो दुश्मन दूर-दूर तक नजर नहीं आएंगे। मौके पर प्रांतीय अध्यक्ष डॉ गोरेलाल यादव, यात्रा के संयोजक अरविंद कुमार यादव मौजूद थे। उपस्थित लोगों को यह बताया गया कि रिंजाग ला चौकी को कब्जा करने की नापाक योजना को कुमाऊं रेजीमेंट ने ध्वस्त कर दिया था। मात्र 120 सैनिक ने अपने कमांडर शैतान सिंह भट्टी के नेतृत्व में 3000 चीनी सैनिकों का मुकाबला कर सीमा चौकी पर कब्जा नहीं होने दिया था। भारतीय सैनिक मुख्यालय से गोला बारूद की मांग किए जाने के बावजूद जब हथियार नहीं पहुंचा तो कुमाऊं रेजीमेंट के जवानों ने आत्म समर्पण करने के बजाय चीनी सैनिकों का मुकाबला किया। 120 में से 114 सैनिक शहीद हो गए थे। पूरे देश की यात्रा करने के बाद 18 नवंबर 2025 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
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