बचपन के सपनों को बचाने व बाल विवाह रोकने को प्रशासन तैयार
बचपन के सपनों को बचाने व बाल विवाह रोकने को प्रशासन तैयार बचपन के सपनों को बचाने व बाल विवाह रोकने को प्रशासन तैयारबचपन के सपनों को बचाने व बाल विवाह

कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि अक्षय तृतीया के शुभ अवसर नन्हें सपनों के उजाले में बाधा न बने - इसी संकल्प के साथ जिला प्रशासन ने बाल विवाह के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देश पर जिले में विशेष निगरानी दल बनाए गए हैं जो विवाह स्थलों पर सतत निगरानी करेंगे।समग्र शिक्षा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) रविंद्र कुमार प्रकाश ने कहा कि हर बच्चे को पढ़ने, बढ़ने और सपने देखने का अधिकार है। बाल विवाह उनकी आजादी और भविष्य पर कुठाराघात करता है। हम सभी विद्यालयों से स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की सूची मंगा रहे हैं और संदिग्ध मामलों पर पैनी नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और बाल संरक्षण इकाइयों को विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे न केवल निगरानी करें, बल्कि ग्रामीण समुदायों को भी जागरूक करें कि बाल विवाह एक अपराध है। उन्होंने अपील की कि आम जनता भी प्रशासन का साथ दे और बाल विवाह की सूचना तुरंत दें। अक्षय तृतीया से पहले जिला स्तर पर एक समारोह का आयोजन कर आमजन को बाल विवाह निषेध अधिनियम के प्रावधानों और दंड प्रक्रिया की जानकारी दी जाएगी। साथ ही, सभी विभागों को निर्देश दिया गया है कि रोकथाम की कार्रवाई का पूरा ब्योरा 15 दिन के भीतर आयोग को भेजा जाए।
बाल विवाह से जुड़े मुख्य तथ्य-
कानूनी आयु- लड़कियों के लिए 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष से कम उम्र में विवाह करना अवैध है।
सजा-बाल विवाह कराने पर 2 साल तक की सजा या एक लाख रुपये तक जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
खतरनाक प्रभाव- बाल विवाह से बच्चों का शारीरिक, मानसिक और शैक्षणिक विकास रुक जाता है, और उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है।
रोकथाम के उपाय- स्कूल छोड़ने वाले बच्चों पर विशेष निगरानी, विवाह स्थलों की जांच, समुदाय में जागरूकता अभियान।
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