Corruption in Bihar Education Department Parents Express Concerns Over Water Supply and Teacher Shortage उत्क्रमित मध्य विद्यालय उर्दू बाराजोर समस्याओं के मकड़जाल में, Jamui Hindi News - Hindustan
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उत्क्रमित मध्य विद्यालय उर्दू बाराजोर समस्याओं के मकड़जाल में

झाझा , नगर संवाददाता सरकार शिक्षा विभाग में कितने भी दावे कर ले, विकास

Newswrap हिन्दुस्तान, जमुईMon, 28 April 2025 04:14 AM
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   उत्क्रमित मध्य विद्यालय उर्दू बाराजोर समस्याओं के मकड़जाल में

झाझा , नगर संवाददाता सरकार शिक्षा विभाग में कितने भी दावे कर ले, विकास मद में कितनी भी राशि खर्च कर ले, परंतु लगता है, आज भी वही पुराने बिहार में हम लोग रहने को विवश हैं जहां राशि खर्च हो जाने के बाद भी योजना का फलाफल धरातल पर दिखता नजर नहीं आता। लगता है जैसे विभागीय भ्रष्टाचार का असर शिक्षा विभाग में आज भी पीछा नहीं छोड़ रहा है। उक्त पीड़ादायक विचार झाझा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय उर्दू बाराजोर के छात्र-छात्राओं के अभिभावक हिंदुस्तान संवाददाता से कहते सुने गए। अभिभावकों ने कहा, क्या आप सोच सकते हैं कि जिस के के पाठक जैसे कड़क अपर शिक्षा मुख्य सचिव के समय में विद्यालय में पेयजल के लिए लगभग साढ़े तीन लाख की राशि कागजों पर खर्च की गई हो और उसका फलाफल यही हो कि वर्ष बीत जाने के बाद भी ना बोरिंग काम कर रहा है और ना पेयजलापूर्ति के लिए प्लेटफार्म ही बनाया गया है। अभिभावकों ने सरकार से जानना चाहा कि बच्चों के निमित्त पेय जलापूर्ती हेतु कैसी व्यवस्था लागू की गई कि सरकार का रुपया भी खर्च हो गया और बच्चों को पानी भी नहीं मिल रहा।विद्यालय के प्रधानाध्यापक याकूब अंसारी कहते हैं कि एक चापानल के सहारे साढ़े 6 सौ बच्चे किस प्रकार से पेयजल उपलब्धता सुनिश्चित करते होंगे यह विचारणीय है।समस्याओं के मकड़जाल में फंसे इस मध्य विद्यालय में मध्य विद्यालय स्तर के शिक्षकों का घोर आभाव है। प्रधानाध्यापक से प्राप्त जानकारी अनुसार 657 बच्चों को पढ़ाने के लिए मात्र तेरह शिक्षक उपलब्ध हैं। बताते हैं कि जहां प्राथमिक कक्षाओं के वर्ग पांच तक में 204 लड़के तथा 203 लड़कियां अर्थात कुल 407 बच्चे हैं तो वही मध्य विद्यालय स्तर में 119 बच्चे एवं 131 बच्चियों अर्थात कुल 250 बच्चे नामांकित हैं और मध्य विद्यालय स्तर पर एक भी शिक्षक नहीं हैं। जिस विद्यालय में 650 सौ से अधिक बच्चे हों, और उनमें आधे से अधिक अर्थात 334 बच्चियां हों, ऐसे में विद्यालय में शौचालय नहीं रहने पर छात्र-छात्राओं को कैसी स्थिति का सामना करना पड़ता होगा यह सोचकर ही हृदय कांप उठता है। प्रधानाध्यापक श्री याकूब दुखी होकर कहते हैं कि क्या करें, 3 लाख 57 हजार की बोरिंग के स्थान पर प्लेटफॉर्म निर्माण कार्य नहीं हो सका है और बोरिंग भी फेल हो गई है। 12 कमरों के स्थान पर मात्र 6 उपलब्ध है। 25 शिक्षकों के विरुद्ध मात्र 13 शिक्षक और वह भी सिर्फ प्रारंभिक विद्यालय के लिए हैं। चहारदिवारी निर्माण कार्य भी आधा अधूरा पड़ा है। चहारदीवारी नहीं रहने से अवांछित तत्व विद्यालय में प्रवेश कर जाते हैं। हम लोग विद्यालय में कोई पेड़-पौधे नहीं लगा सकते ताकि विद्यालय हरा-भरा दिख सके और बच्चों में सकारात्मक का माहौल बना रह सके।

इस संबंध में जमुई के जिला शिक्षा पदाधिकारी राजेश कुमार से संपर्क का प्रयास विफल जाने के कारण उनका मंतव्य नहीं लिया जा सका।

शिक्षा विभाग के योजना लेखा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अमृतेश आर्यन से भी संपर्क का प्रयास सफल जाने के कारण उनका मंतव्य नहीं लिया जा सका।

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