बदलते मौसम में तकनीक ही बनेगी खेती की नई राह
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कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि कटिहार जिले के किसान इस बार खरीफ सीजन में मौसम की दोहरी चुनौती से जूझ रहे हैं। जहां एक ओर 1.20 लाख हेक्टेयर भूमि पर खरीफ फसलों की खेती का लक्ष्य तय किया गया है, वहीं दूसरी ओर समय पर बारिश न होने से खेती की रफ्तार धीमी पड़ी हुई है। कृषि विभाग के अनुसार, इस वर्ष 94 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती की योजना है, जबकि शेष क्षेत्र में मक्का, ढैंचा, राई-सरसों व अन्य दलहनी-तिलहनी फसलों की बुवाई की जाएगी। 286 हेक्टेयर में हुआ है धान की नर्सरी धान की नर्सरी डालने का परंपरागत समय रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र बीत चुका है, लेकिन अब तक जिले में सिर्फ 286 हेक्टेयर भूमि पर ही नर्सरी डाली जा सकी है।
जबकि निर्धारित लक्ष्य के अनुसार 9400 हेक्टेयर में धान का नर्सरी किया जाना है।किसान बोरिंग और अन्य वैकल्पिक सिंचाई संसाधनों के भरोसे खेतों में बिचड़ा डाल रहे हैं, क्योंकि नदियों-नहरों में पानी नहीं है और भूजलस्तर भी खतरनाक रूप से नीचे चला गया है। धरती की तपिश और आसमान की आग जैसी धूप ने किसानों के श्रम को और कठिन बना दिया है। तकनीकी खेती का बढ़ रहा महत्व मौसम की अनिश्चितता और जल संकट के बीच कृषि विभाग ने इस बार तकनीकी खेती पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। जीरो टिलेज, सीड ड्रिल, पैडी ट्रांसप्लांटर जैसी आधुनिक विधियों से धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रखंड व पंचायत स्तर पर चौपाल और कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। खरीफ महाभियान के तहत किसानों को मौसम अनुकूल खेती, जैविक तकनीक, सीधी बुआई, कृषि यंत्रीकरण, पशुपालन व मत्स्य पालन सहित सरकारी योजनाओं की भी जानकारी दी जा रही है। परंपरा अभी भी प्रभावी, लेकिन बदलाव की जरूरत जिले के अधिकांश किसान आज भी परंपरागत विधि से धान की खेती कर रहे हैं, जिसमें नर्सरी तैयार कर पौधों की रोपाई की जाती है। हालांकि कृषि विभाग ने लागत में कमी लाने और जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सीधी बुआई जैसी विधियों को अपनाने पर जोर दिया है। बारिश के भरोसे चलने वाली यह परंपरा अब तकनीकी विकल्पों के साथ संतुलन की मांग कर रही है। मन में उम्मीद, आंखों में आसमान बारिश भले ही देर कर रही हो, लेकिन किसानों का जज्बा कायम है। कुछ क्षेत्रों में छिटपुट वर्षा ने थोड़ी राहत दी है, जिससे किसानों में फिर से हरियाली की आस जगी है। जिनके पास साधन हैं, वे तैयारी में जुट चुके हैं। जिनके पास नहीं, वे अब भी बादलों की तरफ उम्मीद भरी नजरें टिकाए हुए हैं। वर्जन खरीफ मौसम में 1.20 लाख हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य है। बारिश में देरी है, लेकिन किसान घबराएं नहीं। विभाग पूरी तरह सतर्क है। किसानों को तकनीकी खेती के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। जीरो टिलेज, सीधी बुआई और यंत्रीकरण के ज़रिए कम पानी में भी बेहतर उपज संभव है। यदि मानसून सक्रिय होता है तो उत्पादन लक्ष्य पूरा किया जा सकता है। मिथिलेश कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, कटिहार
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