Kishanganj District Faces Flood and Erosion Risks 14 Sensitive Areas Identified किशनगंज में बाढ़ व कटाव के लिहाज से 14 स्थान संवेदनशील घोषित, Kishanganj Hindi News - Hindustan
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किशनगंज में बाढ़ व कटाव के लिहाज से 14 स्थान संवेदनशील घोषित

किशनगंज जिले में बाढ़ और कटाव से निपटने के लिए 14 संवेदनशील स्थानों को चिन्हित किया गया है। यहां छह नदियों के कारण हर साल मॉनसून में बाढ़ का खतरा बना रहता है। प्रशासन ने राहत शिविरों और सामुदायिक...

Newswrap हिन्दुस्तान, किशनगंजMon, 9 June 2025 12:26 AM
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किशनगंज में बाढ़ व कटाव के लिहाज से 14 स्थान संवेदनशील घोषित

किशनगंज, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। बाढ़ व कटाव के लिहाज से किशनगंज जिले के 14 स्थानों को वेदनशील/ अतिसंवेदनशील माना गया है। जहां पर कटाव व बाढ़ निरोधक कार्य किया जा रहा है। इस जिले में बहने वाली छह नदियों के कारण हर वर्ष मॉनसून में बाढ़ व कटाव का खतरा बना रहता है। इस बार अप्रैल और मई में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है, जिससे संभावित बाढ़ और तटीय इलाकों में कटाव की आशंका और गहरा गई है। बिहार में सबसे अधिक वर्षापात वाले किशनगंज जिले में कटाव के खतरे के कई गांव के लोग जूझ रहे हैं। गाछपाड़ा-मौजाबाड़ी तटबंध (4 किमी लंबी) व डॉ़ कलाम कृषि महाविद्यालय अर्राबाड़ी सुरक्षा तटबंध (6.56 किमी) की सुरक्षा बाढ़ नियंत्रण व जल निस्सरण विभाग के कंधे पर है।

बांध की निगरानी के लिये सुरक्षाकर्मी की तैनाती रहेगी। प्रशासन ने जिले के 14 संवेदनशील स्थानों को चिह्नित किया है, जहां बाढ़ और नदी कटाव की संभावना सबसे अधिक है। इन इलाकों में कटाव निरोधक कार्य युद्धस्तर पर चलाए जा रहे हैं ताकि लोगों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। साथ ही बाढ़ आश्रय स्थल के रुप में टेढ़ागाछ के चिल्हनियां, मटियारी, कोचाधामन प्रखंड के बगलबाड़ी, तेघरिया, बहादुरगंज प्रखंड में लौचा, निशन्द्रा व किशनगंज में तेघरिया व दौला पंचायत को चिन्हित किया गया है। इसके अलावा 13 सरकारी नाव को तैयार रखा गया है। जबकि 37 प्राइवेट नाव मालिकों से करार किया गया है। उल्लेखनीय हो कि वर्ष 2024 में 12 पंचायत पूर्ण रुप से जबकि 24 पंचायत आंशिक रुप से बाढ़ से प्रभावित हुए थे। छह नदियों वाले किशनगंज में खतरा बरकरार: किशनगंज जिला प्राकृतिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। यहां बहने वाली छह प्रमुख नदियों में महानंदा, कनकई, रतुआ, मेची, छेंगरा, डोंक नदी प्रमुख हैं। ये नदियां नेपाल की पहाड़ियों से निकलकर किशनगंज होते हुए बहती है। इलाकों में तेज वर्षा के कारण इनका जलस्तर अचानक बढ़ जाता है, जिससे तटीय इलाकों में बाढ़ और कटाव दोनों की स्थिति बन जाती है। प्रखंडवार संवेदनशील स्थानों की सूची : प्रशासन ने जिन स्थानों को संवेदनशील की श्रेणी में रखा है, वे इस प्रकार हैं: ठाकुरगंज प्रखंड: माखनपुर दिघलबैंक प्रखंड: फूलगाछी, कांटा टप्पू, गुआबाड़ी टेढ़ागाछ प्रखंड: हरहरिया, सुहिया घाट, देवरी खास, धापरटोला, लोधाबाड़ी बहादुरगंज प्रखंड: सतभेरी, निशंद्रा, सखुआबाड़ी, नवटोली किशनगंज प्रखंड: बेलवा इन क्षेत्रों में तटबंधों की निगरानी बढ़ा दी गई है। आवश्यकतानुसार जेसीबी, बोरिया-बांध और आपातकालीन सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। राहत की तैयारी: 220 स्थानों पर शिविर व रसोईघर के लिए चिह्नित : प्रशासन ने बाढ़ के संभावित प्रभाव को देखते हुए जिले के 220 स्थानों पर बाढ़ राहत शिविर और सामुदायिक रसोई घर बनाने के लिए स्थान चिन्हित कर लिए हैं। जिला आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, प्रत्येक शिविर में पीने के पानी, भोजन, प्राथमिक चिकित्सा और स्वच्छता की समुचित व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा अस्पतालों में 31 प्रकार की जीवनरक्षक दवाई उपलब्ध करा दी गयी है। साथ ही 9812 पॉलिथीन शीट्स उपलब्ध हैं। जबकि 3500 और पॉलीथिन शीट्स की अधियाचना भेजी गयी है। बीते दिनों जिले के प्रभारी मंत्री जमां खान ने डीएम सहित अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर बाढ़ पूर्व तैयारी व कटाव निरोधक कार्यों का जायजा लिया था। कोट- बाढ़ व कटाव से जानमाल की क्षति रोकने के लिए प्रशासनिक तैयारी पूरी कर ली गयी है। बाढ़ आश्रय स्थल, शिविर व रसोईघर के लिए स्थान चिन्हित कर लिया गया है। कटाव को लेकर चिन्हित संवेदनशील जगहों पर एहतियातन कार्य किये जा रहे हैं। एसडीआरएफ को अलर्ट मोड में रखा गया है। स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। - आदित्य कुमार सिंह, जिला आपदा प्रभारी पदाधिकारी।

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