अनुमंडलीय पशु अस्पताल में एक भी डॉक्टर नहीं हैं पदस्थापित
अनुमंडलीय पशु अस्पताल में एक भी डॉक्टर नहीं हैं पदस्थापित अनुमंडलीय पशु अस्पताल में एक भी डॉक्टर नहीं हैं पदस्थापित

किशनगंज, एक प्रतिनिधि। किशनगंज जिले के लाइनपड़ा स्थित अनुमंडलीय पशु अस्पताल सहित ग्रामीण क्षेत्र में अवस्थित दो प्रथम वर्गीकरण पशु अस्पताल में डाक्टर की कमी है। पशुपालन विभाग की उदासीनता का स्थित यह है कि जिला मुख्यालय के लाइनपाड़ा स्थित अनुमंडलीय पशु अस्पताल में एक भी डॉक्टर पदस्थापित नहीं है। अनुमंडलीय अस्पताल में फरवरी से डॉक्टर का पद खाली है, यहां पदस्थापित डॉक्टर जनवरी में सेवानिवृत्त होने के बाद से अब तक डॉक्टर का पदस्थापना नहीं हुआ है। इस जिला अस्पताल को प्रतिनियुक्ति डॉक्टर के भरोसे चलाया जा रहा है। जिला पशुपालन पदाधिकारी सतीश कुमार की मानें तो अनुमंडलीय पशु अस्पताल को 24 ×7 संचालित किया जा रहा है। अनुमंडलीय अस्पताल के अलावा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 19 प्रथम वर्गीकरण पशु अस्पताल है। इन ग्रामीण अस्पतालों में बहादुरगंज प्रखंड के खुदागंज एवं लौचा अस्पताल में भी डॉक्टर का पदस्थापना नहीं है। इस अस्पतालों डॉक्टर के बगैर उस क्षेत्र के पशु पालक निजी पशु डॉक्टर से पशु का इलाज कराने के लिए विवश हैं। खुदागंज एवं लौचा अस्पताल को छोड़ कर शेष 17 पशु अस्पताल में एक-एक- डॉक्टर पदस्थापित हैं जिसमे से कोई डॉक्टर का प्रतिनियुक्ति किशनगंज अनुमंडलीय पशु अस्पताल में किया जाता है। क्योंकि अनुमंडलीय अस्पताल को 24×7 चलाने के लिए 3 डॉक्टर की आवश्यकता होती है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के तीन और आसपास डॉक्टर विहीन संचालित होता है। सरकारी अस्पताल में चिकित्सा नहीं मिलने से पशुपालकों के लिए बड़ी परेशानी हो रही है। उसके अलावा कई अस्पतालों में तो चिकित्सक के अलावा कर्मियों का भी अभाव बना हुआ है
10 लाख पशु है जिले में:
जिला पशुपालन पदाधिकारी सतीश कुमार ने बताया कि अनुमंडलीय पशु अस्पताल का डॉक्टर सेवानिवृत्त होने और डॉक्टर का पदस्थापना नहीं होने से फरवरी से इस अस्पताल को प्रतिनियुक्त डॉक्टर द्वारा संचालित किया जा रहा है। डॉक्टर की कमी के बावजूद जिला अस्पताल को 24×7 संचालित कर पशुओं को बेहतर सेवा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया 2017 के पशु गणना अनुसार जिले में पशुओं की संख्या करीब10 लाख है। अभी जिले के पशु गणना कार्य चल रहा है अगले माह तक पशु गणना कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इस गणना में पशुपालन की संख्या बढ़ सकती है।
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