Kishanganj s Population Control Women Lead in Family Planning Despite Men s Reluctance for Sterilization किशनगंज में महिलाओं के कंधे पर जनसंख्या नियंत्रण का भार, Kishanganj Hindi News - Hindustan
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किशनगंज में महिलाओं के कंधे पर जनसंख्या नियंत्रण का भार

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Newswrap हिन्दुस्तान, किशनगंजMon, 28 April 2025 01:28 AM
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किशनगंज में महिलाओं के कंधे पर जनसंख्या नियंत्रण का भार

किशनगंज, एक प्रतिनिधि। किशनगंज में जनसंख्या नियंत्रण का भार भी महिलाएं उठा रही हैं। नसबंदी के मामूली दर्द से यहां के मर्द घबरा रहे हैं। छोटा परिवार सुखी परिवार को प्राथमिकता देने में किशनगंज में पुरुष की भागीदारी नहीं के बराबर दिख रही है। स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि परिवार की छोटा रखने को लेकर महिलाएं अब भी पुरुषों से कहीं ज्यादा जागरूक हैं। जिला में सरकारी संस्थानों में परिवार नियोजन के आंकड़े इसका प्रमाण है कि साल में 4 बार परिवार नियोजन पखवाड़ा संचालित कर परिवार नियोजन के लिए परिवार नियोजन पखवाड़ा एवं जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद पुरुष नसबंदी को लेकर आगे नहीं आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का जागरूकता अभियान एवं परिवार नियोजन पखवाड़ा लाखों खर्च कर के बावजूद वित्तीय वर्ष 2024-25 में पुरुष नसबंदी लक्ष्य से मात्र 18 प्रतिशत एवं महिला बंध्याकरण 41 प्रतिशत हासिल कर पाया है। प्राप्त आंकड़े अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में जिले में 3 हजार 470 महिला बंध्याकरण हुआ है जो 41 प्रतिशत है। वहीं मात्र 32 पुरुष नसबंदी हुआ है जो 18 प्रतिशत है। हालांकि जागरूकता अभियान में महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की नसबंदी ज्यादा सुरक्षित बताया जाता और पुरूष नसबंदी आपरेशन में समय भी कम लगता है। बावजूद 18 प्रतिशत कम पुरुष नसबंदी करवाएं हैं। जिले में पुरुषों के नसबंदी को लेकर स्वास्थ्य विभाग भले ही रुपए खर्च कर जागरूकता अभियान चलाने की दावा करते हैं लेकिन नतीजा बेहतर नहीं दिख रहा है और जागरूकता के अभाव में पुरुष नसबंदी करवाने से कतराते हैं। जागरूकता और अभियान में स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुषों तक पहुंच नहीं पाता या पुरूष परिवार नियोजन में महिलाओं की जिम्मेदारी समझ रहा है। वजह जो भी हो आंकड़े बताते हैं कि महिलाएं परिवार नियोजन में पुरुषों से बहुत आगे है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की मानें तो पुरुषों में जागरूकता की कमी नसबंदी के आपरेशन में बाधक बन रही हैं।

परिवार नियोजन कार्यक्रम का नोडल अधिकारी पद खाली:

परिवार नियोजन कार्यक्रम का नोडल अधिकारी अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एसीएमओ) होता है, किशनगंज में करीब दो वर्ष से एसीएमओ का पद खाली है। जिस का प्रभार सिविल सर्जन अपने पास रखा है। वहीं परिवार नियोजन कार्यक्रम का नोडल कल्सन्टेन्ट डीपीसी विश्वजीत कुमार द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जद्दोजहद किया जाता रहा है।

साल में चार बार चलाया जाता परिवार नियोजन पखवाड़ा:

स्वास्थ्य विभाग के द्वारा साल में चार बार परिवार नियोजन को लेकर पखवाड़ा का आयोजन किया जाता है। सभी पखवाड़ा की आयोजन को लेकर शहर से लेकर गांव तक जागरूकता अभियान के साथ-साथ प्रचार प्रसार की जाती है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र में आशा कार्यकर्ता से लेकर स्वास्थ्य कर्मियों तक को घर-घर जाकर महिला और पुरुषों एवं योग्य दंपत्ति को परिवार नियोजन के स्थायी उपाय में नसबंदी और बंध्याकरण को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जाता है। परिवार नियोजन में महिलाओं की संख्या तो लगभग होती है लेकिन पुरुषों को जागरूक करने में स्वास्थ्य विभाग नाकाम साबित हो रहे हैं। वहीं पखवाड़ेके अलावा भी सदर अस्पताल व पीएचसी-सीएचसी में नसबंदी व बंध्याकरण आपरेशन का आयोजन किया जाता है जो वर्ष भर चलता है। वहीं परिवार नियोजन को लेकर काउंसलिंग की व्यवस्था तक की गई है लेकिन इसके बाद भी पुरुष नसबंदी के आंकड़े में कोई सुधार नहीं हुआ है।

पुरषों में जागरूकता की कमी:

पुरुषों का मानना है कि अगर आपरेशन हो जाता है तो उन्हें कई माह तक आराम करना पड़ेगा। मानसिकता है कि ऐसे में दैनदिनी कामकाज पर भी इसका असर पड़ेगा। लेकिन विभाग द्वारा जो जागरूकता अभियान चलाया जा रहा उससे पुरुष पूर्णत: अवगत नहीं हो पाते जिस कारण नसबंदी कराने आगे नहीं आते हैं।

महिला बंध्याकरण में किशनगंज सबसे अव्वल तो वहीं पुरुष नसबंदी में टेढ़ागाछ शून्य:

महिला बंध्याकरण में किशनगंज सदर प्रखंड सबसे अव्व्ल है किशनगंज सदर प्रखंड में सदर अस्पताल और पीएचसी बेलवा पड़ता है। जो लक्ष्य का 71 प्रतिशत है। वहीं पुरुष नसबंदी में ठाकुरगंज सबसे अव्व्ल जहां 12 पुरुष नसबंदी हुआ है तो वहीं पुरुष नसबंदी में दो प्रखंड शून्य से जिसमे टेढ़ागाछ शामिल है।

पुरुष नसबंदी में दिया जाता है 3 हजार प्रोत्साहन राशि:

डीपीसी विश्वजीत कुमार ने बताया कि परिवार नियोजन के स्थाई एवं आस्थाई दोनों प्रक्रया अपनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रोत्साहन राशि देती है। स्थायी साधन में पुरुष नसबंदी कराने से लाभुक को 3 हजारों एवं उत्प्रेरक को 400 रुपये दिया जाता है। वहीं सामान्य महिला बंध्याकरण कराने वाली लाभुक को 2 हजार तथा प्रसव के एक सप्ताह से अंदर बंध्याकरण कराने वाली लाभुक को 3 हजार रूपये प्रोत्साहन राशि दिया जाता है,तथा अस्थाई साधन में पीपीयूआईसीडी लगाने पर 300 एवं अंतरा के प्रत्येक सुई पर 100 रुपये प्रोत्साहन राशि दिया जाता है।

योग्य दंपति परिवार नियोजन का रखें ख्याल

सिविल सर्जन डॉ.राज कुमार चौधरी ने कहा कि छोटा और खुशहाल परिवार के लिए परिवार नियोजन को अपनाना बेहद जरूरी है। परिवार छोटा होगा तभी आपके पूरे परिवार के सपनों को साकार किया जा सकता है। इसके साथ ही आने वाली पीढ़ियों की उचित देखभाल एवं परवरिश भी की जा सकती है। छोटे बच्चों को सामाजिक स्तर पर रहन-सहन के साथ परवरिश की जाएगी। इसलिए शादी के साथ परिवार नियोजन से संबंधित अस्थायी योजनाओं पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है।

परिवार नियोजन के लिए पुरुष नसबंदी बहुत सरल:

परिवार नियोजन के स्थाई उपाय में महिला बंध्याकरण के तरह पुरूष नसबंदी बहुत सरल उपाय है लेकिन पुरूष नसबंदी को लेकर समाज में कई तरह का भ्रम फैलाया जाता है। लेकिन इस भ्रम को तोड़ते हुए छोटा परिवार सुखी परिवार की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए पुरुष वर्ग को अपनी भागीदारी निभाने के लिए आगे आने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पुरुषनसबंदी 10 मिनट की प्रक्रिया है,पुरुष नसबंदी से कमजोरी नहीं होती।

क्या कहते हैं सिविल सर्जन:

सिविल सर्जन डॉ.राज कुमार चौधरी ने कहा कि

परिवार नियोजन के तहत पुरुष नसबंदी और बंध्याकरण को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाता है तथा 3 हजार प्रोत्साहन राशि भी दिया जाता है,तब भी जिले के पुरुष नसबंदी की संख्या कम है। जिले में परिवार नियोजन में कार्यक्रम की शतप्रतिशत सफलता के लिए योग्य दंपत्तियों को जागरूक करने के लिए मजबूती से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

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