मरीज को दी जाने वाली सभी स्वास्थ्य सुविधा के लिए जीएनएम होंगी दक्ष
सदर अस्पताल की जीएनएम मरीज को दी जाने वाली सभी स्वास्थ्य सुविधा के लिए होंगी दक्ष

लखीसराय, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि सदर अस्पताल के विभिन्न वार्ड की पहचान बन चुकी जीएनएम का ठिकाना अब बदलना लगभग तय हो चुका है। सदर अस्पताल में तैनात सभी जीएनएम को अब विभिन्न वार्ड में मरीज को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करने में दक्ष होना होगा। इसके लिए सदर अस्पताल प्रबंधन जीएनएम को सभी वार्ड में मरीज को उपलब्ध कराई जाने वाली स्वास्थ्य सेवा के लिए प्रशिक्षण देगा। ताकि कोई भी जीएनएम किसी भी वार्ड में सहजता के साथ मरीज को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करा सके। वर्तमान में सदर अस्पताल के कुछ विशेष वार्ड जिसमें लेबर वार्ड एवं नियमित टीकाकरण केंद्र शामिल है। जहां वर्षो से कुछ चिन्हित जीएनएम ही ड्यूटी कर रही है।
जिसकी शिकायत इमरजेंसी सहित अन्य वार्ड में ड्यूटी करने वाली जीएनएम अस्पताल प्रबंधन समेत विभाग के वरीय पदाधिकारी से कई बार मौखिक रूप से कर चुके हैं। इसके अलावे संबंधित वार्ड से नियमित अंतराल पर मरीज के इलाज में लापरवाही परिजन से आर्थिक शोषण व दुर्व्यवहार की शिकायत मिलते रही है। लंबे अंतराल तक चिन्हित जीएनएम का विशेष वार्ड में ड्यूटी आवंटन को लेकर प्रबंधन पर भेदभाव व सिफारिश का आरोप भी लग चुका है। पिछले वर्ष लेबर वार्ड, ब्लड बैंक एवं नियमित टीका केंद्र में तैनात जीएनएम पर सेवा के बदले मरीज से आर्थिक दोहन का मामला भी सार्वजनिक हुआ था। नियमित अंतराल पर संबंधित तीनों वार्ड में आर्थिक शोषण का मामला सार्वजनिक होने के बाद विभाग ने लगभग सभी आरोपी स्वास्थ्य कर्मी को स्पष्टीकरण जारी करते हुए कुछ को वार्ड व कुछ को सदर अस्पताल से अन्यत्र अस्पताल भेजने की कार्रवाई भी किया था। इस दौरान सीएस डॉ बीपी सिन्हा ने अस्पताल प्रबंधन को एक वार्ड में जमे सभी जीएनएम को रोटेड ड्यूटी रोस्टर के अनुसार हर तीन माह में वार्ड बदलने का निर्देश दिया था। जिस पर अस्पताल प्रबंधन ने सहमति जाहिर करते हुए सभी का ड्यूटी रोटेट करने का निर्णय भी लिया था। हालांकि चार माह तक इसपर कोई अमल नहीं किया गया। इमरजेंसी एवं अन्य वार्ड में ड्यूटी करने वाली जीएनएम के मौखिक नाराजगी व विरोध के बाद एक बार फिर अस्पताल प्रबंधन रोटेड ड्यूटी नियम लागू की तैयारी में है। डीएस डॉ राकेश कुमार ने बताया कि हर वार्ड में तैनात जीएनएम को बारी-बारी से अन्य वार्ड में शिफ्ट कर उन्हें एक दूसरे से प्रशिक्षित कराया जाएगा। इस तरह प्रशिक्षण के बाद रोटेड ड्यूटी रोस्टर को नियमित रूप से जारी किया जाएगा। ताकि संबंधित वार्ड में इलाज के लिए आने वाले मरीज को किसी तरह की परेशानी ना हो और जीएनएम का प्रबंधन पर पक्षपात का आरोप भी समाप्त हो जाएगा।
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