छप्पन इंचक सीना देखार हेबाक चाही... कविता पर बजीं तालियां
मधुबनी में मैथिली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति द्वारा अरुणिमा साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। डा. विरेन्द्र झा ने कहा कि यह गोष्ठी मैथिली साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण है। कविताओं और लघुकथाओं...
मधुबनी, नगर संवाददाता। मैथिली साहत्यिकि एवं सांस्कृतिक समिति के तत्वावधान में स्थानीय संस्कृत उच्च वद्यिालय परिसर में अरुणिमा साहत्यिकि गोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता वरष्ठि साहत्यिकार डा.विरेन्द्र झा ने किया। डा.वीरेन्द्र झा ने कहा समिति द्वारा निरंतर मासिक गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है जो ऐतिहासिक है। मैथिली साहित्य के विकास में इस गोष्ठी की महत्वपूर्ण भूमिका है। संगोष्ठी का संचालन वरष्ठि कवि दिलीप कुमार झा ने किया। पठित रचना पर समीक्षा मालती मश्रि ने प्रस्तुत किया।धन्यवादज्ञापन चण्डेश्वर खां ने किया। डा.रवीन्द्र झा की कविता पहलगाम मे हुए आंतकी हमला पर केन्द्रित था। ओज से भरी हुई कविता-छप्पन इंचक सीना देखार हेबाक चाही, गद्दार देशी हो वा विदेशी,संहार हेबाक चाही। प्रभाष कुमार दमन डा.वीरेन्द्र झा ने भी आंतकी हमला पर केन्द्रित कविता का पाठ किया। डा.बिभा कुमारी,कुमकुम ठाकुर, बिभा झा बिभाषित की रचना पाठ मैथिली साहत्यि में स्त्री स्वर की मजबूत उपस्थिति का संकेत किया। चण्डेश्वर खां, सुखदेव साह,आद्यानाथ झा नवीन ने कथा पाठ किया। दिलीप कुमार झा अपनी व्यंग्य ‘नेताजी पुछथिन तँ की कहबै? के माध्यम से भ्रष्टाचार पर बहुत कड़ा प्रहार था।
कालिकापुर से आये कथाकार नवोनाथ झा विवेक ने लघुकथा का पाठ किया। सुभेश चन्द्र झा,ऋषिदेव सिंह,दिनेश चन्द्र झा,सुभाष चनन्द्र झा सिनेही, सुनील कुमार मश्रि, शक्ति नारायण ठाकुर, डा.विनय वश्विबन्धु की रचनाओं पर खूब तालियां बजीं।
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