International Poetry Conference in Madhubani Celebrates Mithila s Literary Heritage मन रे, बनि पवन बहै मिथिला मधुबन में...पर झूमे श्रोता, Madhubani Hindi News - Hindustan
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मन रे, बनि पवन बहै मिथिला मधुबन में...पर झूमे श्रोता

मधुबनी में मैथिली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में भारत और नेपाल के दो दर्जन से अधिक चर्चित कवियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में हास्य कवियों ने दर्शकों को...

Newswrap हिन्दुस्तान, मधुबनीMon, 9 June 2025 10:43 PM
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मन रे, बनि पवन बहै मिथिला मधुबन में...पर झूमे श्रोता

मधुबनी,नगर संवाददाता। मैथिली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति के तत्वावधान में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन कवि सम्मेलन भारत और नेपाल दोनों तरफ के मिथिला के दो दर्जन से उपर चर्चित कवियों ने कविता पाठ किया।मैथिली के सुप्रसिद्ध गीतकार डा.चन्द्रमणि के अध्यक्षता और डा.अशोक मेहता के संचालन में आयोजित इस महती कवि सम्मेलन मे एक से बढ़कर एक गीत पढ़ा गया वहीं हास्य कवियों ने दर्शकों को हँसने पर मजबूर कर दिया। मधुबनी की धरती पर अपने तरह का यह ऐतिहासिक कवि सम्मेल हुआ।दरभंगा से आये फूल चन्द्र झा प्रवीण से कविता पाठ आरंभ हुआ अंतिम कविता कवि सम्मेलन के अध्यक्ष अध्यक्ष डा.चन्द्रमणि 'मन रे, बनि पवन बहै मिथिला मधुबनमे ई तन सगुन चिरैया गाबय गीत मातृवंदनमे' कविता पाठ किया तब तक दर्शक जमे रहे।

युवा कवि डा.भास्कर ज्योति, मुख्तार आलम, विनीत ठाकुर, सीमा झा, बिजेता चौधरी, कंचना झा, अमित मिश्रा, सुप्रिया रानी, दीपनारायण, विनय कुमार झा की कविता ने जहाँ साहित्य के समकालीन विमर्श खड़ा किया वहीं गीतकार डा.अशोक कुमार मेहता,आनन्द मोहन झा,डा.नरेश कुमार विकल,सदर आलम गौहर के गीत ने तो सम्मेलन में अलग समां बाँध दिया। बेगूसराय से आये प्रसिद्ध हास्य कवि सच्चिदानन्द पाठक ने जब अपनी कविता पाठ करना आरंभ किया तोसमारोह में देर तक हँसी उठती रही। वहीं जब अर्जुन कविराज ने जब अपनी कविता'करू श्रीमती जीक अभिनन्दन 'पढ़ना प्रारंभ किया तो श्रोता देर तक तालियाँ बजाते रहे। वहीं डा वंशीधर मिश्र ने अपनी हास्य कविता 'एहन अतत्तह कतहुँ भेलयै' पाठ किया। प्रसिद्ध हास्य कवि कमलेश प्रेमेन्द ने जब अपनी कविता 'आइ सकाले कनियां कहली माछक करू जोगार'पढ़ी तो श्रोता हंसते -हँसते लोट पोट हो गये। वैद्यनाथ मिश्र ने अपनी गज़ल पाठ 'मोटका लाठी माथ बजारय धर्म एहन होइ चाकू बाप बेटा कें मारय धर्म एहन होइ' से दर्शकों समकालीन स्थितिपर सोचनेपर मजबूर कर दिया।विभा झा, शुभ कुमार बर्णवाल, झौली पासवान, दिगम्बर झा दिनमणि ने भी अपनी कविता पाठ किया। कवि सम्मेलन अपने चर्मोत्कर्ष पर तब पहुँच गया जब मैथिली के प्रसिद्ध कथाकार अशोक ने भी कविता आठ किया। उनकी कविता 'ठोर' को काफी सरहा गया। मिथिला वाटिका के सभागार में देर रात तक कवि सम्मेलन चलता रहा दर्शक जमे रहे।मधुबनी के धरतीपर इतना सफल मैथिली कवि सम्मेलन बहुत दिनों के बाद आयोजित किया गया।अंत में समिति की ओर से वरिष्ठ कवि दिलीप कुमार झा ने सभी आगत कवियों ओर दर्शकों के प्रति इतनी भीषण गर्मी के बाबजूद सम्मेलन में जमे रहने के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया।

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