2034 में होगा ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’? इस खास योजना पर काम कर रही सरकार
इन विधेयकों को अब एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया है, जिसमें 39 सदस्य (27 लोकसभा और 12 राज्यसभा) शामिल हैं। समिति को 90 दिनों के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करनी हैं।

केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की महत्वाकांक्षी योजना को 2034 तक लागू करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना के तहत लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य बार-बार होने वाले चुनावों के कारण होने वाले खर्च को कम करना और शासन में निरंतरता लाना है।
इसके लिए संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्रशासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 संसद में पेश किए जा चुके हैं। इस बदलाव के तहत, 2029 के आम चुनाव के बाद जो भी राज्य विधानसभाएं चुनी जाएंगी, उनका कार्यकाल कम कर दिया जाएगा, ताकि 2034 के आम चुनावों के साथ उन्हें सिंक्रोनाइज किया जा सके।
'वन नेशन, वन इलेक्शन' के इस प्रस्ताव पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष और राजस्थान के पाली से भाजपा सांसद पी. पी. चौधरी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि 2027 के बाद जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनका कार्यकाल छोटा रखा जाएगा। उदाहरण के तौर पर, 2032 में उत्तर प्रदेश में संभावित विधानसभा चुनाव सिर्फ दो साल के कार्यकाल के लिए हो सकते हैं, ताकि 2034 के लोकसभा चुनावों के साथ वहां की विधानसभा भी साथ में जाए।
क्या कहता है विधेयक?
संविधान संशोधन विधेयक के अनुसार, राष्ट्रपति 2029 के आम चुनावों के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख के आधार पर एक अधिसूचना जारी कर सकते हैं, जिसमें अगले आम चुनावों की तारीख तय की जाएगी। इसके बाद चुनी गई सभी राज्य विधानसभाएं उसी लोकसभा के पांच साल की अवधि तक ही सीमित रहेंगी।
अगर लोकसभा या कोई राज्य विधानसभा पांच साल पूरे होने से पहले ही भंग हो जाती है, तो नए चुनाव उसी अवधि की बची हुई अवधि के लिए होंगे। इसका उद्देश्य यह है कि अगला चुनाव उसी एकसमान चुनावी चक्र में आ जाए।
विशेष परिस्थितियों में छूट की व्यवस्था
हालांकि, विधेयक में यह भी प्रावधान है कि अगर चुनाव आयोग यह राय देता है कि किसी विशेष राज्य में उस समय चुनाव कराना संभव नहीं है, तो वह इस संबंध में राष्ट्रपति को सिफारिश कर सकता है। इसके बाद राष्ट्रपति उस राज्य के चुनाव को आगे की तारीख में कराने का आदेश दे सकते हैं।
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का दौरा करेगी समिति
जेपीसी अध्यक्ष चौधरी ने यह भी बताया कि समिति के सदस्य अभी तक महाराष्ट्र और उत्तराखंड का दौरा कर चुके हैं। पैनल के अधिकांश सदस्यों में यह सहमति बन चुकी है कि वे सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का दौरा करेंगे, जिससे अंतिम सिफारिश तैयार की जा सके। इसी कारण से समिति का कार्यकाल आगे बढ़ाया जा सकता है। ज्ञात हो कि दोनों विधेयकों को दिसंबर 2024 में लोकसभा में पेश किया गया था और इसके बाद उन्हें जेपीसी को सौंपा गया था। समिति इस विषय पर विभिन्न हितधारकों से विस्तृत सलाह-मशविरा कर रही है।
क्या है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’?
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का प्रस्ताव भारत में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ आयोजित करने की योजना है। वर्तमान में, भारत में अलग-अलग समय पर केंद्र और विभिन्न राज्यों के लिए चुनाव होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भारी वित्तीय और प्रशासनिक बोझ पड़ता है। इस प्रस्ताव के तहत, मतदाता एक ही दिन में केंद्र और राज्य सरकारों के लिए मतदान करेंगे, जिससे चुनावी प्रक्रिया को सरल और लागत प्रभावी बनाया जा सकेगा।
कानूनी और संवैधानिक ढांचा
इस योजना को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी। सरकार ने इसके लिए दो विधेयक तैयार किए हैं: संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और संघ राज्य क्षेत्र कानून (संशोधन) विधेयक, 2024। इन विधेयकों को 17 दिसंबर 2024 को लोकसभा में पेश किया गया था। इनके तहत नया अनुच्छेद 82A जोड़ा जाएगा, जो यह सुनिश्चित करेगा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों। इसके अतिरिक्त, अनुच्छेद 83, 172 और 327 में संशोधन प्रस्तावित हैं।
राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा के पहले सत्र की तारीख को “नियत तारीख” के रूप में अधिसूचित किया जाएगा। यह तारीख 2029 में होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद निर्धारित की जाएगी, जिसके बाद 2034 में पहली बार एक साथ चुनाव हो सकते हैं। नवनिर्वाचित विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल के साथ समाप्त होगा, भले ही उनका कार्यकाल छोटा करना पड़े।
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद समिति की सिफारिशें
इस योजना की रूपरेखा तैयार करने के लिए 2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया था। समिति ने मार्च 2024 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की सिफारिश की गई। समिति ने सुझाव दिया कि स्थानीय निकाय (पंचायत और नगरपालिका) के चुनाव लोकसभा और विधानसभा चुनावों के 100 दिनों के भीतर कराए जाएं। हालांकि, वर्तमान में स्थानीय निकाय चुनाव इस योजना से बाहर रखे गए हैं, क्योंकि इसके लिए 50% राज्यों की सहमति आवश्यक होगी।
भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने इस योजना का समर्थन किया है, इसे शासन में दक्षता और आर्थिक बचत के लिए एक क्रांतिकारी कदम बताया है। वहीं, विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, और आम आदमी पार्टी ने इसे “लोकतंत्र विरोधी” करार दिया है। उनका कहना है कि यह कदम केंद्र को अधिक शक्ति देगा और क्षेत्रीय दलों की आवाज को कमजोर करेगा। लोकसभा में विधेयक पेश किए जाने के दौरान 269 सांसदों ने इसके पक्ष में और 198 ने विरोध में मतदान किया।