मजदूर की मजबूरी! कई ट्रेनें रद्द, सीट नहीं मिलती, दरवाजे पर लटकना पड़ता है
मुंबई में हुए रेल हादसे में चार लोगों की मौत हो गई। ऐसे हादसे आम हो गए हैं, लेकिन रेलवे अपना सिस्टम दुरुस्त नहीं कर रहा। झारखंड से भी रोजाना हजारों की संख्या में लोग जान जोखिम में डालकर ट्रेन में लटककर सफर करने को मजबूर हैं।

मुंबई में सोमवार को हुए ट्रेन हादसे में चार लोगों की मौत ने एकबार फिर रेल सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसी संदर्भ में हिन्दुस्तान की टीम ने टाटानगर रेलवे स्टेशन से होकर गुजरने वाली ट्रेनों की पड़ताल की। इस दौरान एक चिंताजनक तस्वीर सामने आई। कई यात्री, विशेष रूप से मजदूर वर्ग, ट्रेनों के दरवाजों पर बैठकर या खड़े होकर सफर कर रहे हैं।
दरवाजों पर लटककर सफर करने को मजबूर
जब यात्रियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि चक्रधरपुर रेल मंडल की कई लोकल ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं, जो आमतौर पर मजदूर वर्ग की जीवन रेखा होती हैं। टाटानगर से खुलने और गुजरने वाली लोकल ट्रेनों के रद्द होने के कारण वे एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्रा करने को मजबूर हैं। एक्सप्रेस ट्रेनों के जनरल डिब्बों में पहले से ही भीड़ रहती है, और अब लोकल ट्रेनें बंद होने से यह बोझ और बढ़ गया है। नतीजतन, लोगों को दरवाजों पर बैठकर या खड़े होकर सफर करना पड़ता है, जिससे उनकी जान को सीधा खतरा रहता है। लोगों ने बताया कि कई बार ट्रेन का रिजर्वेशन कन्फर्म नहीं होता। इस कारण घर जाने के लिए जनरल टिकट पर ही सफर करना पड़ता है। सीट नहीं मिलने पर ट्रेन के दरवाजे पर सफर करने को मजबूर हैं।
एक मजदूर सनातन राय बताते हैं कि मैं टाटा स्टील में ठेकेदारी में काम करता हूं। घाटशिला से लोकल ट्रेन में आता-जाता हूं। ट्रेन में अक्सर भीड़ रहती है। जिसे सीट मिलती है वह बैठ जाता है, बाकी लोग दरवाजे पर सफर करते हैं।
एक अन्य शख्स सोनू कुमार ने कहा, 'मुझे रात को साउथ बिहार एक्सप्रेस से पटना जाना है। टिकट कन्फर्म नहीं हुई है, इसलिए जनरल टिकट पर ही जाना होगा। लोग दरवाजे पर ही पूरी रात सफर करते हैं। कई बार चलती ट्रेन से गिरने की घटनाएं सामने आती हैं।'
मो. शाहिद बोले, 'भाई के इलाज के लिए अलीगढ़ जाना है। टिकट नहीं मिला, इसलिए मजबूरी में दरवाजे पर ही बैठकर सफर करूंगा। सीट नहीं मिलती, लेकिन घर तो जाना ही है।'