प्याज के दाम बढ़ाने के लिए व्यापारी अब नहीं कर पाएंगे यह पुराना ‘खेल’
व्यापारी प्याज की खराब गुणवत्ता का हवाला देकर उसकी कीमत बढ़ाने का प्रयास करते हैं। नई लागत वसूली दर इस तरीके से दाम बढ़ाने के तरीके पर पर सीधे लगाम लगाएगी।

प्याज की खराब गुणवत्ता का हवाला देकर उसकी कीमत बढ़ाने का पुराना खेल अब बंद हो जाएगा। केंद्र सरकार प्याज की खरीद, भंडारण और परिवहन के लिए निजी फर्मों के साथ अनुबंध करने की तैयारी कर रही है। पिछले साल की तुलना में सरकार ने इस वर्ष प्याज खरीद के लिए लागत वसूली दर में सात फीसदी का इजाफा किया है। मामले से जुड़े दो लोगों ने बताया कि पिछले साल रबी प्याज की रिकवरी दर 65 फीसदी थी, जिसे सात फीसदी बढ़ाकर 72 फीसदी कर दिया गया है।
क्या है लागत वसूली दर
लागत वसूली दर अच्छी गुणवत्ता वाले प्याज की वह मात्रा है, जो भंडारण और हैंडलिंग के बाद बिक्री के लिए उपयुक्त उपलब्ध रहती है। इस साधारण तरीके से इस तरह समझा जा सकता है कि खरीदे गए प्रत्येक 100 किलोग्राम प्याज में 72 किलोग्राम प्याज भंडारण के दौरान सड़ने, अंकुरित होने या सिकुड़ने के कारण होने वाले नुकसान के बावजूद बिक्री योग्य रहना चाहिए। देखने में आता है कि व्यापारी प्याज की खराब गुणवत्ता का हवाला देकर उसकी कीमत बढ़ाने का प्रयास करते हैं। नई लागत वसूली दर इस तरीके से दाम बढ़ाने के तरीके पर पर सीधे लगाम लगाएगी।
प्याज के दाम में अचानक बढ़ोतरी पर लगेगी लगाम
यह प्रावधान सरकार के पांच लाख टन प्याज के अतिरिक्त भंडार को बनाने के लिए किए जा रहे व्यापक खरीद अनुबंध का हिस्सा है जिसमें निजी फर्मों को प्याज की आपूर्ति के लिए चरणबद्ध तरीके से भुगतान करना शामिल है। केंद्र की प्याज का अतिरिक्त भंडार बनाने के रणनीति में राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) जैसी एजेंसियां शामिल हैं। इस रणनीति का उद्देश्य खुदरा कीमतों को स्थिर रखना है ताकि प्याज के दामों में अचानक बढ़ोतरी पर लगाम लगाई जा सके।
संकट का फायदा उठाने के तरीकों पर लगेगी लगाम
यह ऊंची रिकवरी दर इसी वर्ष से प्रभावी हो सकती है। इससे संकट के समय प्याज की बेहतर उपलब्धता होगी और सरकार फौरन हस्तक्षेप के माध्यम से कीमतों को नियंत्रित करने में सफल होगी। साथ ही संकट के समय बाजार का फायदा उठाने के व्यापारियों के प्रयास को भी हतोत्साहित करने में मदद मिलेगी। हालांकि, किसानों का मानना है कि ऊंची वसूली दर का उन पर सीधे तौर पर कोई असर नहीं होगा।