Rising Interest in Tug of War Competition Among Students in East Champaran स्थाई जगह, कोच और खेल संसाधन मिले तो रस्साकशी में सुधरेगा प्रदर्शन, Motihari Hindi News - Hindustan
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स्थाई जगह, कोच और खेल संसाधन मिले तो रस्साकशी में सुधरेगा प्रदर्शन

पूर्वी चंपारण में छात्रों में रस्साकशी प्रतियोगिता की रुचि बढ़ी है। टेक ऑफ वार एसोसिएशन ने प्रशिक्षण की व्यवस्था की है, लेकिन खिलाड़ियों को स्थाई अभ्यास स्थल और संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा...

Newswrap हिन्दुस्तान, मोतिहारीTue, 17 June 2025 06:48 PM
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स्थाई जगह, कोच और खेल संसाधन मिले तो रस्साकशी में सुधरेगा प्रदर्शन

जिले के छात्र-छात्राओं में रस्साकशी (टेक ऑफ वार) प्रतियोगिता के प्रति हाल के दिनों में आकर्षण बढ़ा है। साल 2025 से टेक ऑफ वार प्रतियोगिता की तैयारी में तेजी आयी है। बावजूद इसके शहर में खिलाड़ियों के लिए स्थाई जगह तथा संसाधन नहीं है। छात्र-छात्राओं की रुचि को देखते हुए टेक ऑफ वार एसोसिएशन पूर्वी चंपारण के पदाधिकारियों ने प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। एसोसिएशन के पदाधिकारी विभिन्न मोहल्लों में खाली जगह देखकर खिलाड़ियों को प्रशिक्षण मुहैया कराते हैं। इससे खिलाड़ियों का प्रदर्शन सुधरा है। कई खिलाड़ी जिला से बाहर भी खेलने गए व बेहतर प्रदर्शन किया। खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए स्थाई जगह, खेल सामग्री, उपकरण, संसाधन व प्रोत्साहन मिले तो बेहतर प्रदर्शन कर जिले का नाम रौशन कर सकते हैं।

वर्तमान में खिलाड़ियों को सरकारी मदद की जरूरत है। टेक ऑफ वार एसोसिएशन पूर्वी चंपारण के अध्यक्ष डॉ रूपनारायण कुशवाहा, सचिव देवदत कुमार, उपाध्यक्ष विनोद जायसवाल व एसके पंकज, कोषाध्यक्ष दीपक कश्यप, संयुक्त सचिव अरुण कुमार सिंह व रविप्रकाश कुशवाहा ने बताया कि जिले में तकरीबन 100 खिलाड़ी एसोसिएशन से जुड़कर अपनी तैयारी को धार दे रहे हैं। इनमें करीब 40 खिलाड़ी शहर मे रहकर आगामी चैंपियनशिप की तैयारी कर रहे हैं। भारत सरकार से मान्यताप्राप्त नेशनल स्तर की चैंपियनशिप में मेडल जीतने पर खिलाड़ी को मेडल लाओ-नौकरी पाओ की तर्ज पर बिहार सरकार नौकरी भी देती है। इसी साल से एसोसिएशन खिलाड़ियों की तैयारी करा रहा है। हाल ही में जिले के खिलाड़ी आरा में चैंपियनशिप खेलने गए थे। राकेश कुमार, चंदा कुमारी, रविश कुमार, आदर्श राज, शुभम सिंह, साक्षी प्रिया, कृति रानी, शबनम खातून, पवन कुमार, नीतेश पटेल, शिवम कुमार, आंचल कुमारी ने बताया कि टेक ऑफ वार चैंपियनशिप कम खर्च वाला खेल है। इसमें खिलाड़ी को अपनी शक्ति दिखानी होती है। जिला मुख्यालय में खिलाड़ियों के नियमित अभ्यास के लिए स्थाई जगह का अभाव है। इससे प्रशिक्षण व अभ्यास में परेशानी होती है। इसके अलावा हम जहां भी प्रशिक्षण के लिए जाते हैं वहां चेंजिंग रूम और वाशरूम नहीं होने से परेशानी होती है। खासकर महिला खिलाड़ियों को ज्यादा परेशानी होती है। वहीं इस खेल में इस्तेमाल किया जानेवाला रस्सा भी काफी भारी होता है। इसलिए उसे एक जगह से दूसरे जगह ले जाने में बहुत दिक्कत होती है। इस खेल को विद्यालय स्तर पर बढ़ावा मिले : टेक ऑफ वार के खेल को विद्यालय स्तर पर बढ़ावा देने की जरूरत है। ग्रामीण क्षेत्र से इस खेल के बेहतर खिलाड़ी मिल सकते हैं। साथ ही इनके लिए विद्यालयों में स्थापित जिम के प्रयोग की अनुमति प्रदान की जाए। इससे खिलाड़ियों की तैयारी में काफी मदद मिल सकेगी। खिलाड़ियों को नहीं मिलती आर्थिक मदद : खिलाड़ियों ने बताया कि उनके समक्ष सबसे बड़ी समस्या अर्थ का है। इसके लिए स्पॉंसर ढुढ़ने की जरूरत है। शहर के उद्योगपति एक-एक खिलाड़ी को गोद ले ले तो उनकी आर्थिक समस्या का समाधान आसानी से हो सकेगा। साथ ही उन्हें बाहर खेलने जाने में आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। फिलहाल खिलाड़ियों को अपना रुपया खर्च कर अभ्यास के लिए शहर आना पड़ता है। खिलाड़ियों को आर्थिक मदद और सरकारी प्रोत्साहन मिले : खिलाड़ी अमन कुमार, रविता कुमारी, जूली कुमारी, जिन्नी, पूजा कुमारी आदि ने बताया कि टेक ऑफ वार के खिलाड़ियों के लिए शहर में खेल सामग्री व सुविधा का अभाव है। इससे उनका अभ्यास सही से नहीं हो पाता है। खिलाड़ियों ने बताया कि टेक ऑफ वार में अभ्यास का बहुत महत्व है। नियमित अभ्यास के लिए शहर में स्थाई जगह नहीं है। जिला प्रशासन को खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन के लिए खेल सामग्री व जरूरी उपकरण उपलब्ध कराना चाहिए। खिलाड़ियों को सरकारी प्रोत्साहन व आर्थिक मदद भी नहीं दिया जाता है। सामग्री महंगा होने से खिलाड़ियों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। शिकायतें: 1. शहर में अभ्यास के लिए स्थाई जगह तक नहीं है। खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए व्यस्ततम सड़कों पर जाना पड़ता है। 2. व्यस्त सड़कों पर अभ्यास में दिक्कत होती है। हमेशा दुर्घटना की आशंका रहती है। खिलाड़ियों की सुरक्षा का ख्याल रखा जाए। 3. सरकार मेडल जीतने पर खिलाड़ियों को नौकरी देती है। जिला मुख्यालय स्थित खेल भवन में फ्री इंट्री नहीं दी जाती है। 4. खेल सामग्री, उपकरण, संसाधन व प्रोत्साहन का अभाव है। इससे खिलाड़ियों को बहुत दिक्कत होती है। 5. खिलाड़ियों को खुद से खेल सामग्री खरीदनी पड़ती है। जिला प्रशासन इसकी व्यवस्था करे। सरकारी कोच की कमी है। सुझाव: 1. जिला मुख्यालय में खिलाड़ियों के लिए स्थाई जगह जरूरी है। इससे खिलाड़ियों को अभ्यास में सुविधा होगी। 2. जिला प्रशासन की ओर से खिलाड़ियों की सुरक्षा का ख्याल रखा जाए। व्यस्त सड़कों पर अभ्यास में बहुत दिक्कत होती है। 3. जिला से बाहर खेल में बेहतर प्रदर्शन करनेवाले खिलाड़ियों को जिला मुख्यालय स्थित खेल भवन में फ्री इंट्री दी जाए। 4. जिला प्रशासन की ओर से खिलाड़ियों को खेल सामग्री, उपकरण, संसाधन व प्रोत्साहन दिया जाए। इससे अभ्यास सुधरेगा। 5. जिला प्रशासन खिलाड़ियों के लिए स्थाई जगह, चेंजिंग रूम, वासरूम आदि की व्यवस्था करे। इससे बहुत सुविधा होगी। बोले जिम्मेदार: टेक ऑफ वार की प्रतियोगिता से जुड़े खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार व जिला प्रशासन प्रयासरत है। टेक ऑफ वार के खिलाड़ियों को यदि जगह की परेशानी है तो इसे दूर करने की कोशिश की जाएगी। जिले के टेक ऑफ वार के खिलाड़ी व एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारी कार्यालय में आकर मिल सकते हैं। उन्हें जिला मुख्यालय में उनके जरूरत के हिसाब से जगह उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी। सुबह के शिफ्ट में समाहरणालय के आसपास की जगह का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। शुभम कुमार, प्रभारी जिला खेल पदाधिकारी, पूर्वी चंपारण

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