सदर अस्पताल में होगी कैंसर की ओपीडी, दवा व कीमोथेरेपी भी
बिहार के 11 जिलों के सदर अस्पतालों में कैंसर की दवा और कीमोथेरेपी की सुविधा मिलेगी। मुजफ्फरपुर, अरवल, बेगूसराय, भोजपुर, पूर्वी चंपारण, कैमूर, किशनगंज, सीवान, समस्तीपुर जिले शामिल हैं। होमी भाभा कैंसर...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। सूबे के 11 जिलों के सदर अस्पतालों में कैंसर की दवा मिलेगी। यहां मरीजों की कीमोथेरेपी भी होगी। इनमें मुजफ्फरपुर के अलावा अरवल, बेगूसराय, भोजपुर, पूर्वी चंपारण, कैमूर, किशनगंज, सीवान, समस्तीपुर जिले शामिल हैं। यहां होमी भाभा कैंसर अस्पताल के सौजन्य से डे केयर सेंटर चलाए जाएंगे। मुजफ्फरपुर में अभी एसकेएमसीएच की सुपर स्पेशियलिटी में डे केयर की सुविधा है। जिला गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि इसकी रूपरेखा तैयार होनी बाकी है। जिन जिलों में डेयर केयर सेंटर खोले जाएंगे, वहां कैंसर की ओपीडी भी चलेगी। विभाग ने इन जिलों के सिविल सर्जन को चार-पांच रोगियों की क्षमता वाले एक कमरे का आवंटन करने को कहा है।
सदर अस्पतालों में हो रही कैंसर स्क्रीनिंग : सदर अस्पतालों में अभी कैंसर की स्क्रीनिंग की जा रही है। मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल में मुंह, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मरीजों की स्क्रीनिंग की जा रही है। होमी भाभा कैंसर अस्पताल के सौजन्य से स्क्रीनिंग की जा रही है। इसके लिए अस्पताल की तरफ से दो डॉक्टर सदर अस्पताल में तैनात किये गये हैं। डे केयर सेंटर खोलने पर अस्पतालों में स्क्रीनिंग के साथ ओपीडी भी शुरू हो जायेगी। दवा स्टोर के लिए अलग से जगह देने का निर्देश सदर अस्पतालों में कैंसर की दवा रखने के लिए अलग से स्टोर खोला जायेगा। स्वास्थ्य विभाग ने जिलों के सीएस को इसके लिए भी अलग से जगह देने का निर्देश दिया है। दवा स्टोर में फार्मासिस्ट की तैनाती की जायेगी, जो मरीजों को दवा देंगे। डे केयर सेंटर के दवा स्टोर में ही कीमोथेरेपी की दवा तैयार होगी और मरीजों को दी जायेगी। सदर अस्पताल में चल रहा पैलियेटिव केयर : मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल में होमी भाभा कैंसर अस्पताल की तरफ से पैलियेटिव केयर की सुविधा चल रही है। इसकी देखरेख स्वास्थ्य विभाग का गैर संचारी रोग नियंत्रण सेल कर रहा है। जिला गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि पैलियेटिव केयर में तीसरे और चौथे स्टेज के मरीजों का इलाज होता है। फोन से भी हम मरीजों की काउंसिलिंग करते हैं। अस्पताल सूत्रों ने बताया कि पैलियेटिव केयर में एक साल में तीन से चार मरीज ही आये हैं।
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