सात साल से अनुदान का इंतजार, कॉलेजों के अधिग्रहण व वेतनमान लागू करने की मांग
मुजफ्फरपुर में वित्तरहित कॉलेज के शिक्षकों की स्थिति बिगड़ रही है क्योंकि उन्हें सात वर्षों से अनुदान नहीं मिला है। शिक्षकों का कहना है कि उन्हें अनुदान और वेतनमान नहीं मिल रहा है। शिक्षा मंत्री ने...
मुजफ्फरपुर। एक ओर सरकार उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने पर जोर दे रही है। दूसरी ओर नामांकन दर बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने वाले वित्तरहित कॉलेज के शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। सात वर्षों से अनुदान की प्रतीक्षा में शिक्षकों की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है। परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। विवि की ओर से नामांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन मद में ली जाने वाली राशि में से भी कॉलेजों का हिस्सा नहीं दिया जा रहा है। वर्ष 2018 से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई। तब से महज एक बार ही इस मद की राशि दी गई है। वित्तरहित कॉलेज के शिक्षकों ने वेतनमान लागू करने और कॉलेजों के अधिग्रहण की मांग की है।
आरए बिहार विश्वविद्यालय में 17 स्थायी मान्यताप्राप्त संबद्ध डिग्री कॉलेज हैं। वहीं 60 से अधिक अस्थायी संबद्धता वाले डिग्री कॉलेजों का संचालन हो रहा है। सात वर्षों से अनुदान की राशि नहीं मिलने के कारण कॉलेजों की हालत खस्ता हो गई है। 2012 से 2017 तक कॉलेजों को 1.5 करोड़ अनुदान दिया गया। इससे अधिक राशि जांच के बाद देने की बात कही गई, लेकिन आज तक जांच हुई ही नहीं। ऐसे में इस अवधि की बड़ी राशि भी बकाया है। वित्तरहित कॉलेजों के शिक्षकों का कहना है कि दाखिला, परीक्षा और परिणाम में अहम भूमिका निभाने के बाद भी उन्हें हाशिये पर रखा जा रहा है। संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक कर्मचारी महासंघ के संयोजक सह सीनेट सदस्य धर्मेंद्र चौधरी ने विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर नियमित शिक्षकों का प्रतिमाह वेतन भुगतान किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर वित्तरहित कॉलेजों को अनुदान देने के लिए सरकार के पास फंड नहीं है। सात वर्षों से वित्तरहित कॉलेजों के शिक्षक अनुदान की बाट जोह रहे हैं। इस अवधि में कई शिक्षकों की मृत्यु भी हो गई, मगर उन्हें किसी प्रकार का लाभ नहीं दिया गया। कहा कि वित्तरहित कॉलेजों के शिक्षकों को न उचित सम्मान मिल रहा है और न अनुदान। सरकार कह रही है कि प्रत्येक प्रखंड में नए कॉलेज खोलेगी, लेकिन पूर्व से संचालित कॉलेजों पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है।
नामांकन मद के करोड़ों रुपये विवि पर बकाया :
विश्वविद्यालय की ओर से 2018 से केंद्रीकृत नामांकन की व्यवस्था लागू की गई। इसके बाद से स्नातक में नामांकन के लिए प्राप्त होने वाले आवेदन का शुल्क सीधे विश्वविद्यालय को जाने लगा। कहा गया कि जिन विद्यार्थियों को कॉलेज आवंटित किया जाएगा, उनके आवेदन मद की राशि कॉलेज को दी जाएगी। मामला विश्वविद्यालय के विभिन्न निकायों में उठने के बाद यह तय किया गया कि 600 रुपये शुल्क में से 300 रुपये कॉलेज को मिलना था। इसमें से 50 रुपये वेबसाइट बनाने से लेकर अन्य मदों में विश्वविद्यालय अतिरिक्त रखेगी। ऐसे में 250 रुपये कॉलेजों को दिया जाएगा। वित्तरहित कॉलेजों का कहना है कि इसके बाद से मात्र एक बार विश्वविद्यालय ने इस मद की राशि दी है। एक तो अनुदान नहीं मिल रहा है और यह राशि भी विश्वविद्यालय रख ले रहा है। ऐसे में वित्तरहित कॉलेजों का संचालन मुश्किल हो गया है।
नामांकन मद की आय से हो सकते हैं कॉलेज अंगीभूत :
शिक्षक पंकज कर्ण, वासुदेव भगत आदि ने कहा कि संबद्ध डिग्री कॉलेजों में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों का नामांकन होता है। सरकार इनके उत्तीर्ण होने पर अनुदान देती है। यदि इन कॉलेजों का अधिग्रहण कर लिया जाए और विद्यार्थियों के नामांकन से प्राप्त राशि व आंतरिक स्रोत से होने वाली आय को संग्रहित कर ले तो अलग से बजट बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इन्हीं राशियों से शिक्षकों को वेतनमान मिल जाएगा।
वित्तरहित शिक्षकों की मांगें जायज शिक्षा मंत्री को लिखे हैं पत्र : ब्रजवासी
तिरहुत स्नातक क्षेत्र से एमएलसी वंशीधर ब्रजवासी ने वित्तरहित शिक्षकों की मांगों को जायज बताया है। उन्होंने शिक्षकों की मांगों को लेकर बिहार सरकार के शिक्षामंत्री को पत्र लिखा है। कहा है कि वित्तरहित कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों को पारिश्रमिक मिलने की जगह उन्हें अपमान और जिल्लत झेलनी पड़ रही है। नियमित रूप से अनुदान नहीं मिलने के कारण दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति, सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों के निर्वहन व भविष्य को लेकर चिंतित इन शिक्षकों से शिक्षा के क्षेत्र में सर्वोत्कृष्ट भूमिका की आशा की जा रही है। यह कहीं से न्यायोचित नहीं है। कहा है कि संबद्धता प्राप्त कॉलेजों में भी शिक्षक व कर्मचारियों की नियुक्ति बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम और परिनियम के अनुसार ही की जाती है, लेकिन उनके साथ अलग व्यवहार किया जाता है। जांच के बाद मानक पर खड़े उतरे संबद्धता प्राप्त डिग्री कॉलेजों का शीघ्र अधिग्रहण किया जाना चाहिए। साथ ही योग्यताधारी संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों को नियमानुसार पीएचडी गाइड बनाने का भी अनुरोध किया है।
बोले जिम्मेदार :
कई वित्तरहित कॉलेजों की ओर से फाइल नहीं भेजी गई है। इस कारण अनुदान की राशि रुकी हुई है। कॉलेजों की ओर से फाइल भेजी जाने के बाद अनुदान के भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। नामांकन मद में लिए जा रहे शुल्क में से कॉलेजों का हिस्सा देने के लिए फाइल बढ़ाई गई है। सत्रवार हुए नामांकन के अनुसार कॉलेजों को प्रति विद्यार्थी 250 रुपये के हिसाब से राशि दी जाएगी।
- डॉ.संजय कुमार, रजिस्ट्रार, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय
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