एनसीईआरटी की पुरानी किताबें उपलब्ध नहीं, नई अभी छपी नहीं
एनसीईआरटी की पुरानी किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं हैं और नई अभी छपी नहीं है। एनसीईआरटी ने कक्षा 1, 3, 5, 6 और 8 में इसबार पाठ्यक्रम बदला है। ऐसे निज

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। एनसीईआरटी की पुरानी किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं हैं और नई अभी छपी नहीं है। एनसीईआरटी ने कक्षा 1, 3, 5, 6 और 8 में इसबार पाठ्यक्रम बदला है। ऐसे निजी स्कूल जो एनसीईआरटी की किताबें चला रहे हैं, वहां स्कूलों में दो महीने बाद भी सभी बच्चों को किताबें नहीं मिल पाई हैं। केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय जैसे स्कूल जो केवल एनसीईआरटी की ही किताबें चलाते हैं, वहां नई किताबें आने तक ब्रिज कोर्स चलाया जा रहा है। हालांकि, इन सभी कक्षाओं के लिए ब्रिज कोर्स भी सिर्फ ऑनलाइन ही उपलब्ध है। निजी स्कूल जिन्होंने अपने यहां एनसीईआरटी की किताबें लगाई थीं, बीच सत्र में इनमें कई स्कूल किताबें बदल रहे हैं।
ऐसे में निजी प्रकाशकों की चांदी ही चांदी है। एनसीईआरटी ने पांच अलग अलग कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम तो बदल दिया है मगर पाठ्यक्रम बदलने के बाद भी कहीं ब्रिज तो कहीं पुराने कोर्स पर पढ़ाई हो रही है। पाठ्यक्रम बदला तो नहीं छप रहीं पुराने पाठ्यक्रम की किताबें फरवरी में वार्षिक परीक्षा के बाद मार्च के पहले सप्ताह में ही स्कूलों में किताबों की लिस्ट उपलब्ध करा दी गई थी। कई स्कूल कुछ कक्षा में एनसीईआरटी के साथ निजी प्रकाशक की किताबें भी चला रहे हैं वहीं कुछ केवल एनसीईआरटी। जो स्कूल निजी प्रकाशक की किताबें चला रहे हैं, वह एनसीईअरटी की गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। जबकि, 10वीं-12वीं बोर्ड से लेकर सभी प्रतियोगी परीक्षाएं एनसीईआरटी बेस्ड ही होती हैं। सहोदय स्कूल के सचिव सतीश कुमार झा ने कहा कि पाठ्यक्रम बदला तो पुराने पाठ्यक्रम की किताबें नहीं छापी जा रही हैं। बाजार में डुप्लीकेट किताबें भी नहीं मिल रही हैं। स्थिति यह है कि हर कक्षा में कमी है। एनसीईआरटी की गाइडलाइन के अनुसार नई किताबें जून में छपेंगी। स्कूल निदेशकों ने कहा कि जून तक बच्चों को बिना किताबों के नहीं पढ़ा सकते हैं। जिले में साढ़े सात में साढ़े पांच लाख बच्चों को ही मिली किताबें जिले में कक्षा एक से आठ के साढ़े सात लाख बच्चों में 5,54,308 बच्चों को ही किताबें मिली हैं। बिहार शिक्षा परियोजना के संभाग प्रभारी अर्जुन कुमार ने बताया कि जिले में सात लाख बच्चों के लिए किताब की मांग थी, जिनमें साढ़े पांच लाख बच्चों के लिए ही किताबें दी गई हैं। जितनी किताबें आई हैं, वह बांट दी गई है। हालांकि, कई स्कूलों ने बताया कि अभी भी किताब संकुल में है। बांटी जा रही है। सरकारी स्कूलों में भी छठी से आठवीं में हिंदी, गणित समेत अन्य विषय में सिलेबस बदले गये हैं।
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