Political Conspiracy Against Delimitation in North India Upendra Kushwaha परिसीमन नहीं होने से उत्तर भारत के राज्यों को हो रहा नुकसान : उपेंद्र कुशवाहा, Muzaffarpur Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsMuzaffarpur NewsPolitical Conspiracy Against Delimitation in North India Upendra Kushwaha

परिसीमन नहीं होने से उत्तर भारत के राज्यों को हो रहा नुकसान : उपेंद्र कुशवाहा

मुजफ्फरपुर में एक महारैली में उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि दक्षिण भारत के राज्यों द्वारा संसदीय और विधानसभा परिसीमन कार्य को रोकने की साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि परिसीमन न होने से उत्तर भारत को...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरMon, 9 June 2025 02:51 AM
share Share
Follow Us on
परिसीमन नहीं होने से उत्तर भारत के राज्यों को हो रहा नुकसान : उपेंद्र कुशवाहा

मुजफ्फरपुर, वरीय संवाददाता। अगले साल होने वाले संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन कार्य को रोकने की साजिश रची जा रही है। इसके लिए दक्षिण भारत के राज्य बड़े पैमाने पर षडयंत्र कर रहे हैं। परिसीमन नहीं होने का नुकसान उत्तर भारत के राज्यों को उठाना पड़ रहा है। रविवार को शहर के मुजफ्फरपुर क्लब मैदान में संवैधानिक अधिकार, परिसीमन सुधार पर हुई प्रमंडल स्तरीय महारैली में ये बातें राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कही। इसमें उत्तर बिहार के 13 जिलों के जिलाध्यक्ष, अन्य पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए। उन्होंने कहा कि परिसीमन का आधार जनसंख्या होता है।

लेकिन, पिछले 50 वर्षों में किसी न किसी बहाने दो बार परिसीमन पर रोक लगाई गई। इससे संसद में उत्तर भारत के राज्यों का जहां प्रतिनिधित्व कमा है, वहीं हिंदी पट्टी के राज्यों को विभिन्न योजनाओं में मिलने वाली विकास राशि का भी नुकसान हो रहा है। कहा कि परिसीमन नहीं होने से हिंदी पट्टी राज्यों में 31 लाख लोगों पर एक सांसद हैं। वहीं, दक्षिण भारत के राज्यों में यह आंकड़ा 21 लाख है। इस कारण सांसद और विधायक कोटे से विकास के लिए मिलने वाली राशि का नुकसान तो होता ही है। साथ ही जनसंख्या के आधार पर केंद्र और राज्य प्रायोजित योजनाएं से मिलने वाली राशि में भी कमी आती है। उनकी पार्टी इसको लेकर आंदोलन चलाती रहेगी। विरोधी करते हैं स्वार्थ की राजनीति, रालोमो केवल जनहित के मुद्दे को समर्पित : कहा कि विरोधी सिर्फ स्वार्थ की राजनीति करते हैं। जबकि, रालोमो केवल जनहित के मुद्दे को समर्पित है। वह अपनी पार्टी के माध्यम से हमेशा ही जनहित के मुद्दों को उठते रहे हैं। कई बार इसकी बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी है, लेकिन वह समझौता कर पद पाने वाले लोगों में से नहीं हैं। हमेशा मुद्दों एवं विजन पर आधारित राजनीति करते रहे हैं। आज बिहार में उनके प्रयासों के कारण ही बीपीएससी से शिक्षकों की बहाली कराई जा रही है। केंद्र में मंत्री रहते हुए सबसे पहले कॉलेजियम व्यवस्था पर सवाल उठाया था। यही कारण है कि राजनीति में क्या मिला क्या नहीं इसकी परवाह नहीं करता हूं। सड़क पर उतर अपनी ही बनाई नीति पर आपत्ति जता रहे तेजस्वी : उपेंद्र कुशवाहा ने डोमिसाइल नीति के बहाने तेजस्वी यादव पर तंज कसा। कहा कि सत्ता में रहते जनहित उनके एजेंडे से बाहर हो जाता है। उनके सत्ता में भागीदार रहते डोमिसाइल नीति बनी थी। तब विरोध नहीं किया, अब सड़क पर उतर अपनी ही बनाई नीति पर आपत्ति जता रहे हैं। ऐसे लोगों का विरोध होना जरूरी है। महारैली में पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव माधव आनंद, रामेश्वर महतो, मदन चौधरी, प्रशांत पंकज, रणविजय कुमार सिंह, नरेन्द्र कुमार मिश्रा, अनंत कुशवाहा, आलोक कुमार सिंह, रामेश्वर सिंह कुशवाहा के अलावा उत्तर बिहार के 13 जिलों के जिलाध्यक्ष और अन्य पार्टी पदाधिकारी शामिल थे।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।