मातृत्व वंदन योजना में लापरवाही पर नौ अधिकारियों का वेतन बंद
मुजफ्फरपुर सहित नौ जिलों के प्रोग्राम पदाधिकारियों के वेतन पर प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना के लिए आवेदन लटकाने पर रोक लगा दी गई है। निदेशक ने सभी अधिकारियों को 24 घंटे में लंबित मामलों को निपटाने...

मुजफ्फरपुर, मुख्य संवाददाता। गर्भवती व प्रसूताओं को मिलने वाली प्रधानमंत्राी मातृत्व वंदन योजना का आवेदन लटकाने पर मुजफ्फरपुर सहित नौ जिलों के प्रोग्राम पदाधिकारियों के वेतन पर आवेदन निष्पादन तक रोक लगा दी गई है। नौ जिले के आईसीडीएस प्रोग्राम पदाधिकारियों को 24 घंटे के अंदर मामलों का निष्पादन कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। मुख्यालय की सख्ती के बाद जिला प्रोग्राम कार्यालय में हड़कंप है और संबंधित कार्यालय में कॉपन एपलिकेशन सॉफ्टवेयर को अपडेट करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
समेकित बाल विकास परियोजना के निदेशक ने बताया है कि राज्य में प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना की समीक्षा की गई। समीक्षा में पाया गया कि नौ जिलों में बड़ी संख्या में आवेदन सॉफ्टवेयर पर अपलोड करने के लिए लटके पड़े हैं। सूची के अनुसार मुजफ्फरपुर में 867, वैशाली में 780, बांका में 1109, किशनगंज में 932, नवादा में 151, भोजपुर में 715, बेगूसराय में 78 व अररिया में 91 मामले लंबित पाये गए हैं। निदेशक ने मुजफ्फरपुर की प्रोग्राम पदाधिकारी ममता वर्मा सहित सभी जिलों के प्रोग्राम पदाधिकारी के वेतन भुगतान पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। निदेशक ने आदेश जारी किया है कि लंबित सभी मामलों के निपटारे के बाद ही इन अधिकारियों के वेतन का भुगतान किया जाएगा। उन्होंने सभी प्रोग्राम पदाधिकारियों को 24 घंटे के भीतर दी गई, जिम्मेवारी को पूरा कर रिपोर्ट देने को कहा है, अन्यथा विभागीय कार्रवाई की चेतावनी भी सभी अधिकारियों को दी गई है।
क्या में प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना
केंद्र सरकार की योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रसव के पूर्व व उसके बाद पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। योजना के तहत प्रथम किस्त तीन हजार रुपये का दिया जाता है, जो गर्भवतियों के पोषण के लिए और सुरक्षित प्रसव के काम आता है, वहीं दूसरी दो हजार की किस्त बच्चे को सभी टीके लगवाने के बाद भुगतान किया जाता है। इतना ही नहीं, इस योजना के तहत दूसरी बार यदि बच्ची का जन्म होता है तो संबंधित महिला को दो किस्त में फिर छह हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है। सूबे में इस तरह के करीब छह हजार मामले लंबित हैं, जिनमें मुजफ्फरपुर के 867 मामले शामिल हैं।
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