पैक्सों का बढ़े दायरा, बंद हो मिलरों की मनमानी
मुजफ्फरपुर में प्राथमिक कृषि साख सहयोग समितियों (पैक्स) का दायरा सिकुड़ रहा है। एक दशक पहले तक पैक्स किसानों को लोन, खाद-बीज और कृषि उपकरण उपलब्ध कराते थे, लेकिन अब उनकी गतिविधियाँ सरकारी खरीद तक...
मुजफ्फरपुर। प्राथमिक कृषि साख सहयोग समितियों (पैक्स) को बहुद्देश्यीय बनाने पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन धरातल पर इनका दायरा सिकुड़ता जा रहा है। जिला पैक्स संघ का कहना है कि एक दशक पहले तक पैक्स किसानों को खेतीबारी के लिए लोन देने-वसूलने, खाद-बीज और अनुदानित दर पर कृषि उपकरण उपलब्ध कराने सहित कई अहम भूमिका निभाते थे, लेकिन अब इसकी गतिविधियां फसलों की सरकारी खरीद तक ही सीमित रह गई हैं। इसमें भी अधिकारियों की उदासीनता और मिलरों की मनमानी बाधा बन रही है। सरकार को इसपर गंभीरता से विचार करना चाहिए। पैक्सों के माध्यम से खेती-किसानी को बढ़ावा देने के उपाय तो किए जा रहे हैं, लेकिन पैक्सों को मजबूत बनाने की पहल नहीं हो रही है।
इसको लेकर जिले में पैक्स संचालन से जुड़े पदाधिकारियों और सदस्यों के अलावा किसानों में गहरी निराशा है। जिला पैक्स संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र राय और महासचिव चंदेश्वर प्रसाद चौधरी का कहना है कि जिले में संचालित पैक्सों की भूमिका को सीमित कर दिया गया है। कहने के लिए पैक्सों को खाद, बीज की दुकान खोलने का अधिकार मिला हुआ है, लेकिन इन दुकानों का लाइसेंस लेने के लिए दिए आवेदनों को विभाग के अधिकारी लटकाए रखते हैं। थक-हार कर कई पैक्सों ने अब इस दिशा में प्रयास करना ही छोड़ दिया है।
जिला पैक्स संघ के अधिकारियों के मुताबिक जनवितरण प्रणाली की दुकान खोलने के लिए भी लाइसेंस मिलता था, लेकिन एसडीओ कार्यालय से लेकर जिला आपूर्ति कार्यालय और प्रखंडों तक के अधिकारियों का रवैया उत्साह जगाने वाला नहीं है। मजबूरन जो लोग इससे जुड़े भी थे, वे अब अपने लाइसेंस को या तो सरेंडर कर रहे हैं या किसी कारण से रद्द हो जाने पर उसका नवीनीकरण नहीं करा रहे हैं। यही कारण है कि पिछले एक दशक में पैक्सों द्वारा संचालित पीडीएस की दुकानें 230 से घटकर 70 से 75 के बीच रह गई हैं। एक तरफ सरकार पैक्सों को बहुद्देश्यीय बनाने की योजना पर काम कर रही है तो दूसरी तरफ अधिकारियों के उदासीन रवैये से पैक्सों को पहले से मिलीं सुविधाएं भी समाप्त होने की कगार पर हैं। इसपर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया तो पैक्सों का वजूद समाप्त हो जाएगा।
बंद हो 11 फीसदी तक की ब्याज वसूली :
पैक्स अध्यक्ष अजय कुमार ठाकुर, प्रशांत परिमल का कहना है कि पैक्सों के संचालन के लिए भारत सरकार ब्याज रहित राशि राज्य सरकार को देती है, लेकिन राज्य सरकार सहकारी बैंकों के माध्यम से वह राशि हमें देने पर 11 फीसदी तक का ब्याज वसूल रही है। इससे पैक्सों के आर्थिक हितों को नुकसान पहुंच रहा है। यह राशि पैक्सों को फसलों की अधिप्राप्ति के लिए दी जाती है। पैक्स इसे किसानों की फसल खरीदने पर उनको देते हैं। ऐसे में पैक्स ब्याज कहां से चुका पाएंगे। पैक्स अध्यक्ष राजीव लोचन कुमार, गोपाल चौधरी का कहना है कि खरीदे गए चावल को मिलों तक ले जाने की जवाबदेही मिलरों की है। सरकार इसके लिए मिलरों को पैसा देती है, मगर मिलर पैक्सों से ही बोरा खरीदने से लेकर अनाज ढुलाई तक में पैसों का दबाव बनाते हैं। पैक्सों पर इसको लेकर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ता है। इसलिए सरकार मिलरों से कुटाई न कराकर पैक्सों को ही इसके लिए अधिकृत करे, ताकि बिना बिचौलिये के पैक्स खाद्य निगम के गोदामों तक अनाज को पहुंचा सकें। इससे सरकार को गड़बड़ी की स्थिति में वसूली का विकल्प उपलब्ध रहेगा, जो वह मिलरों से पिछले एक दशक में नहीं कर पाई है।
बिना ब्याज के पैक्सों को उपलब्ध हो राशि :
केंद्र सरकार फसल अधिप्राप्ति के लिए राज्य सरकार को बिना ब्याज के राशि उपलब्ध कराती है, लेकिन राज्य सरकार इसे चार प्रतिशत पर प्रदेश सहकारी बैंक को और जिला सहकारी बैंक 11 प्रतिशत ब्याज लेकर पैक्सों को उनके सीसी पर यह राशि उपलब्ध कराती है। इसे बिना ब्याज के पैक्सों को दिया जाना चाहिए। पैक्सों के संचालन में वर्तमान में हर स्तर पर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एक तो इसका दायरा सीमित किया जा रहा है, दूसरी ओर फसल अधिप्राप्ति के इकलौते काम में भी मिलरों के द्वारा परेशान करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
-वीरेंद्र राय, अध्यक्ष, जिला पैक्स संघ
बोले जिम्मेदार :
जिला पैक्स संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुजफ्फरपुर में मुझसे मिलकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया है। उनकी समस्याओं के समाधान के लिए जिले में संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है। वे संघ के लोगों के मिलकर उनकी समस्याओं के निदान का प्रयास करेंगे। वहीं, पैक्सों से जुड़े जो नीतिगत निर्णय हैं, उसके लिए सरकार के स्तर पर चर्चा कर समाधान करने का प्रयास किया जाएगा।
-प्रेम कुमार, सहकारिता मंत्री
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