Delayed Monsoon Raises Concerns for Farmers in Nawada मानसून की गति प्रभावित, प्रवेश में देरी से किसानों की चिंता बढ़ी, Nawada Hindi News - Hindustan
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मानसून की गति प्रभावित, प्रवेश में देरी से किसानों की चिंता बढ़ी

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता।अब तक सामान्य रूप से गतिमान मानसून की गति धीमी हो गयी है। इसके प्रभावित हो जाने के कारण अब जिले में इसके प्रवेश में विलम्ब होने की संभावना बन रही है।

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाSun, 15 June 2025 02:26 PM
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मानसून की गति प्रभावित, प्रवेश में देरी से किसानों की चिंता बढ़ी

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। अब तक सामान्य रूप से गतिमान मानसून की गति धीमी हो गयी है। इसके प्रभावित हो जाने के कारण अब जिले में इसके प्रवेश में विलम्ब होने की संभावना बन रही है। पिछले दिनों पूरवा हवा वाली नमी के बीच बदले-बदले मौसम के बीच कम से कम एक सप्ताह पूर्व ही मानसून के आने की संभावना जतायी जा रही थी और फिर इस बीच समय पर इसके पहुंचने की संभावना जतायी गयी। अंतत: अब 16 जून तक जिले में इसके प्रवेश की संभावना को भी क्षीण बताया जा रहा है। मानसून की रफ्तार सामान्य नहीं रहने से किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है।

हालांकि इस बीच, तापमान में मामूली गिरावट आयी है लेकिन तपिश से राहत बिल्कुल भी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में खेतों में नमी धीरे-धीरे गायब होती जा रही है। खरीफ खेती के लिए किसानों को फिलहाल पटवन का ही सहारा रह गया है। शनिवार को तापमान में कोई विशेष परिवर्तन नहीं रहा। कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार ने बताया कि औसतन अधिकतम तापमान 36.8-42.2°तथा न्यूनतम तापमान 26.5-35.8 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा। अगले दो दिनों के दौरान गुजरात, विदर्भ, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के कुछ और हिस्सों में तथा उसके बाद के तीन दिनों के दौरान पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार के कुछ हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। एक चक्रवाती परिसंचरण दक्षिण बांग्लादेश और उससे सटे उत्तरी बंगाल की खाड़ी के ऊपर समुद्र तल से 3.1 किलोमीटर ऊपर स्थित है। चक्रवाती परिसंचरण के ऊपर से एक द्रोणिका दक्षिण बांग्लादेश और उससे सटे उत्तरी बंगाल की खाड़ी से दक्षिण ओडिशा तक समुद्र तल से 3.1 किलोमीटर ऊपर स्थित है। एक चक्रवाती परिसंचरण मध्य असम और आसपास के क्षेत्रों में समुद्र तल से 0.9 किलोमीटर ऊपर स्थित है। मानसून की उत्तरी सीमा मुंबई, अहिल्यानगर, ऑदिलाबाद, भवानीपटना, प्री, सैंडहेड द्वीप, बालघाट से होकर गुजर रही है। अगले 24 घंटों के दौरान अधिकतम तापमान में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होने की संभावना है, इसके बाद गिरावट होने का पूर्वानुमान है। तीव्र मेघगर्जन, वज्रपात एवं तेज आंधी-तूफान की संभावनाएं प्रबल भारत मौसम विज्ञान विभाग के नवीनतम संख्यात्मक मॉडल विश्लेषण के अनुसार, आगामी 4-5 दिनों में बिहार में दक्षिण-पश्चिम मानसून के प्रवेश के लिए परिस्थितियां अनुकूल बन रही हैं। मानसून के आगमन के दौरान वातावरण में बढ़ी हुई नमी, निम्न स्तर पर पूर्वी और पश्चिमी हवाओं का सम्मिश्रण तथा तापमान के उच्च स्तर 30-40°डिग्री सेल्सियस के कारण तीव्र मेघगर्जन, वज्रपात एवं तेज आंधी-तूफान की संभावनाएं प्रबल हो गयी हैं। कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार ने बताया कि इन स्थितियों के मद्देनजर, राज्य के अधिकांश जिलों समेत नवादा जिले में कुछ स्थानों पर तेज आंधी और वज्रपात की संभावना है। इसको लेकर इस दौरान सतर्क रहने एवं आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी गयी है। वर्षा, मेघगर्जन एवं वज्रपात का पूर्वानुमान मौसम पूर्वानुमान की जानकारी देते हुए कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार ने बताया कि रविवार को जिले का मौसम शुष्क रहने की संभावना बन रही है जबकि इसके बाद सोमवार और मंगलवार को एक या दो स्थानों पर बारिश का पूर्वानुमान है। इसके बाद बुधवार और गुरुवार को अनेक स्थानों पर वर्षा की संभावना बन रही है। सामान्यत: 15-16 जून से उत्तर बिहार में वर्षा की गतिविधियों की शुरुआत के साथ 17 से 20 जून तक राज्य के अधिकांश स्थानों में वर्षा, मेघगर्जन और वज्रपात की प्रबल संभावना बन रही है। मौसम के संभावित प्रभाव को लेकर जारी की गयी चेतावनी मौसम के संभावित प्रभाव को लेकर मौसम विभाग द्वारा चेतावनी जारी की गयी है। कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार ने मौसम विज्ञान केन्द्र पटना के प्रमुख सह वैज्ञानिक-डी आशीष कुमार के हवाले से बताया कि एक बार फिर से मौसम में संभावित परिवर्तन के कारण जन-धन की हानि की संभावना बन रही है जबकि निचले क्षेत्रों में जलजमाव, यातायात और बिजली आपूर्ति में व्यवधान, कुछ नदियों के जलस्तर स्तर में वृद्धि आदि की आशंका जताई गयी है। इसको लेकर आम जनता को सतर्क रहने एवं सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दी गयी है। कहा गया है कि बिजली चमकने या गरज सुनाई देने पर खुले स्थानों, विशेषकर खेतों में कार्य कर रहे किसानों को पक्के भवनों में शरण लेनी चाहिए। अलग-थलग पेड़ों के नीचे आश्रय न लें। वज्रपात के समय बिजली-इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों टेलीविजन, रेफ्रिजरेटर, एसी, कंप्यूटर आदि को मुख्य विद्युत स्रोत से अनप्लग कर दें।

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