खेतों में फटी दरार, धान का बिचड़ा तैयार करना हुआ दुश्वार
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नवादा जिले में लगातार एक पखवारे से तेज धूप और भीषण गर्मी ने खरीफ की खेती की रफ्तार को रोक दिया है। खेतों से नमी गायब हो गई है और धूल उड़ रही है।

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नवादा जिले में लगातार एक पखवारे से तेज धूप और भीषण गर्मी ने खरीफ की खेती की रफ्तार को रोक दिया है। खेतों से नमी गायब हो गई है और धूल उड़ रही है। ऐसे में जिले किसान धान के बिचड़ा नहीं डाल पा रहे हैं। जो डाल चुके हैं, वे उसे बचाने को लेकर परेशान हैं। खेतों में नमी के अभाव में बिचड़ा का अंकुरण भी प्रभावित हो रहा है। जिले में इस साल भी गत वर्ष के अनुकूल 84 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 84 सौ हेक्टेयर में बिचड़ा तैयार करने का लक्ष्य है।
लेकिन, अब तक केवल दो प्रतिशत ही किसान खेतों में बिचड़ा डाल सके हैं। कई किसानों ने बताया कि शुरुआती बारिश से खेतों में थोड़ी नमी आ गई थी। तब उन्होंने बिचड़ा डालने की आपाधापी की। पर अब हर चार दिन पर सिंचाई करनी पड़ रही है। खेतों में अगात यानी लेट वेरायटी बिचड़ा डाल तो दिया गया है, लेकिन किसानों की समस्या यह है कि अब तक उसमें अंकुरण नहीं हो पा रहा है। मई में सामान्य से अधिक बारिश हुई। 21.9 एमएम की जगह मई माह में 47 एमएम बारिश हुई। यह सामान्य वर्षापात का 214.61 प्रतिशत था लेकिन निराशाजनक स्थिति यह थी कि मई माह के 25 तारीख से शुरू रोहिणी नक्षत्र के आरम्भ के साथ ही बारिश नगण्य हो गयी थी। इस बीच, 26 मई को 6.1 एमएम बारिश जरूर हुई थी, जो जिले के सिर्फ दो प्रखंडों वारिसलीगंज और गोविंदपुर में हो सकी थी। ऐसे में खेतों की नमी सूखती चली गयी और वर्षा का अभाव लगातार जारी रहने से बिचड़ा आच्छादन का कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो कर रह गया है। अब जून महीने में बारिश ने भरपूर दगा दे रखा है। जून की बारिश के भरोसे ही जिले के किसान बिचड़ा आच्छादन कर पाते हैं। हाल यह है कि शनिवार 14 जून तक सामान्य वर्षापात 134.6 एमएम के विरुद्ध जिले भर में महज 19.7 एमएम बारिश ही हो सकी है। 4.48 एमएम प्रति दिन बारिश की औसत से जून के शुरुआती 14 दिनों में अब तक 62.81 एमएम बारिश हो जानी थी लेकिन अब तक 43.11 एमएम बारिश कम हो सकी है। सामान्य औसत का महज 14.63 प्रतिशत बारिश के बाद अब शेष बचे आधे महीने में 85.37 एमएम बारिश की जरूरत है। मानसून की बारिश से ही इसकी भरपाई संभव है। ऐसे में किसानों का सारा ध्यान अब मानसूनी बारिश पर टिक कर रह गया है। जिले में लेट वेरायटी के धान बीज लगाने वाले बड़े किसानों को छोड़ कर निम्न और मध्यम वर्गीय किसान ले-दे कर मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र में बिचड़ा बोने की आस में ही रहते हैं। दूसरी बार जून के मध्य तक नहीं हुई पर्याप्त बारिश पिछले चार वर्षों में यह लगातार दूसरा मौका है, जब जून महीने के दूसरे सप्ताह तक पर्याप्त बारिश नहीं हुई है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। मौसम विभाग की ओर से भी राहत भरी कोई सूचना अब तक नहीं आई है। अब तक किसानों को मानसून पूर्व अथवा मानसून वाली बारिश का साथ नहीं मिलने से उनमें निराशा भरती जा रही है। -------------------------- वर्जन: खेतों में नमी की कमी के कारण बिचड़ा डालने का काम जिले भर में रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। किसानों को सलाह है कि वे सुविधानुसार नियमित पटवन करें और जल संग्रहण पर ध्यान दें, ताकि समय पर बिचड़ा बोया जा सके और यह धान आच्छादन के पूर्व सही समय पर तैयार हो सके। -संतोष कुमार सुमन, डीएओ, नवादा।
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