सड़क पर ही लगी रहती हैं बसें, दिनभर रहता है जाम
कौआकोल, एक संवाददाता कौआकोल में आज तक न तो बस एवं ऑटो स्टैंड बना और न ही इसके लिए जमीन ही चिन्हित की गई है।

कौआकोल, एक संवाददाता कौआकोल में आज तक न तो बस एवं ऑटो स्टैंड बना और न ही इसके लिए जमीन ही चिन्हित की गई है। कौआकोल से विभिन्न जगहों के लिए खुलने वाली बसें बाजार की मुख्य सड़क और चौराहा पर ही ठहरती हैं। जिसके चलते बाजार में दिनभर जाम लगा रहता है। जहां लोगों को बाइक और रिक्शा तो दूर पैदल भी चलना मुश्किल हो रहा है। इतना ही नहीं अक्सर वहां पर किसी भी समय दुर्घटना होने का भी खतरा बना रहता है। बाजार में सबसे ज्यादा जाम रहने का कारण ई-रिक्शा और ऑटो बना हुआ है। इन वाहनों द्वारा बीच बाजार में ही जहां तहां रोककर यात्रियों को चढ़ाने और उतारने का काम किया जाता है।
जिससे पूरे बाजार में दिनभर जाम लगा रहता है। स्थानीय पुलिस प्रशासन की लापरवाही के कारण बीच बाजार में ही ई-रिक्शा और टेम्पु का स्टैंड बना रखा गया है। बाजार की इन तंग सड़कों पर न तो यात्रियों के लिए कहीं बैठने की व्यवस्था है और न ही उनके के कहीं पर पीने के पानी व शौचालय की ही व्यवस्था है। इस भीषण धूप और गर्मी में यात्री खुले आसमान में ही रहकर बसों का इंतजार करने के लिए विवश होते हैं। इतना ही नहीं सड़क के किनारे या कहीं अन्य जगह पर बसों की खुलने और आने का कोई समय सारणी का बोर्ड लगा है और न ही किराया का ही। यात्रियों से बस के संचालकों द्वारा मनमाने ढंग से किराया वसूली करने का काम किया जाता है। यात्रियों की शिकायत है कि कौआकोल से बड़राजी और भलुआही की दूरी महज पांच किलोमीटर है। जिसके लिए वाहन चालकों द्वारा 10 रुपये की वसूली भाड़ा के नाम पर की जाती है। इसी प्रकार कौआकोल से नवादा की दूरी 30 किलोमीटर है। जिसका किराया यात्रियों से 70 से 80 रुपए वसूले जाते हैं। जबकि यात्रियों के लिए किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं है। न तो बैठने का जगह है और न ही पानी और शौचालय की ही व्यवस्था है। जिससे यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बाजार वासियों ने कौआकोल बाजार से अस्थाई बस एवं टेम्पु स्टैंड को हटाकर कहीं स्थाई एवं खुले स्थान पर शिफ्ट किया जाए। ताकि आम लोगों को जाम की समस्या से निजात मिल सके। बाजार वासियों ने बताया कि कौआकोल बाजार से बाहर नदियों के किनारे काफी जमीन उपलब्ध है। जहां बस स्टैंड बनाया जा सकता है। नदियों के किनारे की सरकारी व परती पड़े जमीन को ऐसे भी स्थानीय लोगों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर मकान बनाने का काम किया जा रहा है। जिस पर न तो स्थानीय जनप्रतिनिधि का ध्यान है और न ही सरकारी मुलाजिमों का ही। बाजार वासियों ने बताया कि कौआकोल बाजार से सट कर गुजरने वाली मुख्य नदी के किनारे करीब 50 एकड़ सरकारी जमीन है। जिसे अवैध कब्जा धारियों द्वारा कब्जा कर मकान, गौशाला आदि कि निर्माण किया जा रहा है। पेयजल, शौचालय और यात्री शेड व्यवस्था करने की उठी मांग दैनिक यात्री रामचंद्र प्रसाद, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, मनीष कुमार, शांति देवी, गायत्री देवी, सौम्या कुमारी आदि ने आम यात्रियों की परेशानियों को देखते हुए कौआकोल में एक सुव्यवस्थित बस स्टैंड बनाए जाने की मांग स्थानीय प्रशासन से की है। इन यात्रियों का कहना है कि कौआकोल से विभिन्न जगहों जैसे नवादा, पटना, रांची, टाटा, धनबाद, जमुई, शेखपुरा, भागलपुर , मुंगेर, सिकन्दरा, लखीसराय, पकरीबरावां, वारिसलीगंज, रोह, महुलियाटांड, तिसरी आदि जगहों के लिए बसें खुलती हैं। बावजूद यहां न तो यात्री किराया चार्ट का बोर्ड लगाया गया है और न ही बसों का आगमन एवं प्रस्थान से संबंधित समय सारणी का ही बोर्ड लगाया गया है। जिससे यात्रियों को भारी परेशानी होती है। इन लोगों ने कहा है कि कौआकोल से विभिन्न जगहों के लिए खुलने वाली बसों के अड्डे के पास यात्रियों के लिए प्रतिक्षालय, शौचालय, पेयजल आदि की सुविधा नितांत आवश्यक है। ताकि दूर दराज से आने वाले तथा दूर दराज जाने वाले यात्रियों को सुविधा हो सके। यात्रियों का कहना है कि बस पड़ाव के पास शौचालय के निर्माण हो जाने से सबसे अधिक सुविधा और राहत महिला यात्रियों को हो सकेगी।
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