नौकाडीह के ग्रामीणों को एक अदद सड़क भी नसीब नहीं
कौआकोल प्रखंड के नौकाडीह टोला गांव के ग्रामीणों को अभी तक पक्की सड़क नहीं मिली है। बारिश के दिनों में उन्हें पैदल चलकर बाजार और प्रखंड कार्यालय पहुंचना कठिन होता है। सरकारी योजनाओं के बावजूद बिरहोर...

कौआकोल। एक संवाददाता जिले के उग्रवाद प्रभावित तथा जंगल एवं पहाड़ियों के किनारे बसे कौआकोल प्रखंड की सेखोदेवरा पंचायत के नौकाडीह (बिरहोर) टोला गांव के ग्रामीणों को आज तक पक्की सड़क भी नसीब नहीं हो सकी है। लिहाजा ग्रामीणों को मुख्य रूप से निकटवर्ती बाजार सहित अन्य स्थानों तक आने जाने में काफी परेशानी होती है। खासकर बारिश के दिनों में पैदल पांव ही कच्ची पगडंडियों के सहारे बाजार एवं प्रखंड कार्यालय पहुंचना उनके लिए बड़ी मुसीबत बन जाती है। जबकि केन्द्र तथा राज्य सरकार इस विरले प्रजाति के बिरहोर समुदाय के विकास के लिए तरह तरह की योजनाएं चला रखी है।
बावजूद इस गांव के बिरहोर समुदाय सभी तरह की मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह से वंचित है। गौरतलब है कि आजादी के दशकों बाद भी गांव तक सड़क नहीं बनने से इस गांव की आबादी आज भी अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रही है। ग्रामीणों की शिकायत है कि जब भी चुनाव आता है तो बड़े-बड़े नेता तथा उनके गुर्गे वोट मांगने के लिए गांव पहुंच जाते हैं। डरा धमका तथा किसी चीज बनाने का वादा कर वोट ले लेते हैं और फिर पांच सालों तक दर्शन भी नहीं देने आते हैं। ग्रामीणों के द्वारा सभी नेताओं के समक्ष हमेशा ही सड़क बनाए जाने का मुद्दा उठाया जाता रहा है। लेकिन आश्वासन के अलावा आज तक कुछ भी नहीं मिल सका है। ग्रामीणों ने बताया कि लगभग पांच वर्ष पूर्व सड़क निर्माण को लेकर रुपरेखा तैयार की गई थी। तब ग्रामीणों को आशा जगी कि जल्द ही सड़क पर घूमने व टहलने का सपना उनका साकार होने वाला है। परन्तु जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण सड़क निर्माण का कार्य आज तक खटाई में ही पड़ा हुआ है। सड़क नहीं होने के कारण गांव के बच्चों को स्कूल आदि जाने में काफी असुविधा होती है। जिसके कारण गांव की पूरी की पूरी आबादी अशिक्षित हैं। गांव तक यातायात की किसी तरह की सुविधा नहीं रहने से बुजुर्ग एवं बीमार लोगों खासकर गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक लाने ले जाने आने में काफी कठिनाई होती है। गांव में सरकारी स्तर से आवास योजना को छोड़कर किसी भी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। जिसके कारण आज भी इस गांव में रहने वाले लोग अपने आप को पूरी तरह से बेसहारा महसूस कर रहे हैं। न तो इस गांव में सड़क है और न ही विद्यालय। यहां तक कि मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत मिलने वाली सुविधाएं नल जल, गली नली तथा शौचालय आदि से भी पूरी तरह से वंचित रह रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि की बार पंचायत के मुखिया एवं क्षेत्रीय विधायक से इस गांव तक सड़क बनाने का आग्रह किया गया। पर वह भी आज तक पूरा नहीं हो सका। तीन किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं निकटतम बाजार बता दें कि नौकाडीह सिर्फ व सिर्फ बिरहोर जाति बहुल गांव है। यह गांव बिहार एवं झारखंड की सीमा पर पूरी तरह से घनघोर जंगल के किनारे बसा हुआ है। गांव के तीन तरफ जंगल एवं पहाड़ी है। ग्रामीणों को प्रखंड कार्यालय या कौआकोल बाजार किसी आवश्यक काम से जाना होता है तो उन्हें सौ बार सोचना पड़ता है। ग्रामीणों की व्यवस्था है कि गांव से बाजार तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं रहने के कारण यातायात की कोई सुविधा नहीं है। लिहाजा वे लोग रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुएं माह भर का एक दिन बाजार से खरीद कर ले आते हैं और किसी प्रकार पूरे महीने गुजार लेते हैं। पर जब कभी जीवन रक्षक दवा आदि की जरूरत पड़ती है या घर के कोई सदस्य बीमार पड़ जाते हैं तो उस परिस्थिति में दवा खरीदने के लिए मरीज को चिकित्सक तक पहुंचाना उनके लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है। इस परिस्थिति में कई बार लोगों को जान भी गंवानी पड़ी है। इस बिकट समस्या के बारे में दर्जनों बार स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर विधायक एवं सांसद तक निजात दिलाने के लिए आग्रह किया गया। पर किसी ने उन लोगों की समस्या को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई।
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