Police Crack Down on Cyber Criminals in Nawada 15 Arrested and 9 44 Lakhs Seized साइबर अपराध पर शिकंजा कसा, एक माह में 9.44 लाख बरामद, Nawada Hindi News - Hindustan
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साइबर अपराध पर शिकंजा कसा, एक माह में 9.44 लाख बरामद

नवादा, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि।नवादा की पुलिस का साइबर अपराधियों के विरुद्ध लगातार अभियान जारी है। अपराधियों के विरुद्ध आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से पुलिस इन पर भारी पड़ने लगी है।

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाTue, 29 April 2025 06:09 PM
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साइबर अपराध पर शिकंजा कसा, एक माह में 9.44 लाख बरामद

नवादा, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। नवादा की पुलिस का साइबर अपराधियों के विरुद्ध लगातार अभियान जारी है। अपराधियों के विरुद्ध आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से पुलिस इन पर भारी पड़ने लगी है। पुलिस द्वारा पिछले एक माह के भीतर अप्रैल में 15 साइबर अपराधियों को विभिन्न साइबर अपराध से जुड़े मामलों में अब तक गिरफ्तार किया गया है। इस दौरान कुल सात मामले दर्ज किये गये हैं। इनमें से छह मामले साइबर थाने में दर्ज में किये गये हैं। इन सात में से चार मामले वारिसलीगंज थाना क्षेत्र से जुड़े हैं। इस दौरान कुल 34 मोबाइल अपराधियों के पास से बरामद किये गये हैं। वहीं छापेमारी के दौरान अपराधियों के पास से 09 लाख 44 हजार रुपये भी बरामद किये जा चुके हैं। ये रुपये साइबर अपराधियों द्वारा विभिन्न उपभोक्ताओं से धोखाधड़ी से हासिल की गयी थी। इस दौरान पुलिस द्वारा 30 अपराधियों को मामले में नामजद किया गया। वारिसलीगंज पर पुलिस की नजर साइबर अपराध का हब बन चुके वारिसलीगंज पर पुलिस की खास नजर है। अप्रैल महीने में की गयी सात सफल छापेमारी में चार वारिसलीगंज में की गयी है। साइबर पुलिस लगातार इस इलाके में सक्रिय अपराधियों को टारगेट कर रही है। इस इलाके में अपराधियों की पाठशाला लग रही है। सुबह जागते ही अपराधी मोबाइल लेकर घरों से बाहर निकलते हैं और अपराधियों के सरगना द्वारा उपलब्ध कराये गये मोबाइल नंबरों पर फोन कर ठगी का सिलसिला आरंभ कर देते हैं। इस पूरे प्रकरण में बड़ी भूमिका साइबर गिरोह के सरगना निभाते हैं। जो अपराधियों को न सिर्फ मोबाइल उपलब्ध करा रहे हैं। बल्कि कस्टमर डेटा शीट से लेकर सिम व अन्य डाक्यूमेंट्स उपलब्ध करा रहे हैं। पुलिस इन सरगनाओं को टारगेट करने की कोशिश में है। ईओयू लगातार दे रहा है प्रशिक्षण आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) जिले के साइबर थानों को हाइटेक बनाने में जुटा है। इसके लिए उसके द्वारा लगातार इंस्पेक्टर रैंक व डीएसपी रैंक के पदाधिकारियों को पटना में प्रशिक्षित किया जा रहा है। ताकि साइबर पुलिस अपराधियों के लोकेशन को चिह्नित कर टारगेट कर सके। हाल के महीनों में कई बार पुलिस पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। इसके अलावा साइबर थानों को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया जा रहा है। ताकि अपराधियों की कारगुजारियों पर पुलिस की हरपल नजर बनी रहे। ईओयू सभी साइबर थानों को सक्षम बनाने की तकनीक ईजाद करने में जुटा है। इसके लिए ईओयू में पुलिस पदाधिकारियों की बड़े पैमाने पर पोस्टिंग की गयी है। फर्जी सिम की आपूर्ति चुनौती नवादा जिले में फर्जी सिम की आपूर्ति रोकना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। जिले में फर्जी सिम पश्चिम बंगाल से उपलब्ध कराया जा रहा है। हाल ही में की गयी छापेमारी में बड़ी संख्या में फर्जी सिम बरामद किये गये थे। अपराधियों ने स्वीकार किया कि उन्हें 1500 रुपये में ये फर्जी सिम उपलब्ध कराये जा रहे हैं। पुलिस अपराधियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने की तैयारी कर रही है। बाहर के सिम का प्रयोग करना अपराधियों के लिए बेहद लाभदायक साबित हो रहा है। इससे उनके आसानी से पकड़ में आने की संभावना क्षीण हो जाती है। ऐसे में वे आसानी से पुलिस की नजरों से बचने में सफल हो जाते हैं। 07 लाख रुपये पुलिस ने बरामद किये नवादा की साइबर पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हाल ही में हासिल हुई। पुलिस ने जिले की अब तक की सबसे बड़ी ठगी की रकम में से 07 लाख रुपये बरामद करने में सफलता हासिल की। नवादा साइबर थाने की पुलिस ने पटना से गिरफ्तार दो आरोपितों के पास से 07 लाख 05 हजार 850 रुपये बरामद किये थे। साइबर पुलिस की एसआईटी ने दोनों को तकनीकी सर्विलांस व मानवीय इंटेलिजेंस के आधार पर छापेमारी कर गिरफ्तार किया था। दोनों आरोपित वैशाली जिले के थे। इनमें महनार थाना क्षेत्र के पानापुर पहेमी गांव के बबलू सिंह का बेटा निकेश कुमार व जनदाहा थाना क्षेत्र के धंधुआ गांव के दिलीप सिंह का बेटा विपुल कुमार शामिल थे। मामला एवीवा इन्वेस्टर्स इमरजिंग मार्केट इक्विटी कोर फंड नामक कम्पनी को सेबी से लिस्टेड बताकर ऑनलाइन ट्रेडिंग के नाम पर 51 लाख रुपये की ठगी से जुड़ा है। पुलिस ने ये रुपये घटना के वादी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के विकास अधिकारी (डीओ) को सौंप दिये। --------------------------- प्रतिबिंब पुलिस के लिए तुरूप का इक्का साबित हो रहा है नवादा। देश में लगातार बढ़ रहे साइबर अपराध को रोकने के लिए कई तरह के उपाय अमल में लाए जा रहे हैं। ऐसे में भारत सरकार के केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए प्रतिबिंब के रूप में एक नया हथियार पेश किया है। एमएचए के साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने राज्य पुलिस और एजेंसियों की मदद के लिए इस सॉफ्टवेयर को तैयार करके लॉन्च किया है। पुलिस के मुताबिक, ये सॉफ्टवेयर साइबर अपराधियों को रियल टाइम में ट्रैक करके उनके नेटवर्क को तबाह करने में सक्षम साबित हो रहा है। पुलिस के मुताबिक प्रतिबिंब पूरे देश के साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मोबाइल नंबरों को जियोग्राफिक इंफोर्मेशन सिस्टम यानी जीआईएस पर प्रदर्शित कर रहा है। ये सॉफ्टवेयर साइबर अपराधियों के रियल नंबरों की वास्तविक लोकेशन प्रदान कर रहा है। जिससे पुलिस साइबर अपराधियों के नेटवर्क को तबाह करने में सफल हो रही है। साइबर पुलिस के लिए प्रतिबिंब पोर्टल तुरूप का इक्का साबित हो रहा है। हिप्र

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