किऊल-गया रेलखंड पर ट्रेनों के परिचालन की व्यवस्था में हो सुधार
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। किऊल-गया रेलखंड पर ट्रेनों के परिचालन की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं है। सुचारू परिचालन नहीं होने से यात्रियों का संकट बढ़ कर रह गया है।

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। किऊल-गया रेलखंड पर ट्रेनों के परिचालन की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं है। सुचारू परिचालन नहीं होने से यात्रियों का संकट बढ़ कर रह गया है। आमजनों की व्यथा है कि कई शिकायतों के बाद भी केजी रेलखंड पर ट्रेनों के परिचालन की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं होना घोर निराशाजनक है। नवादा स्टेशन पर जिले भर के लोगों की निर्भरता है लेकिन ट्रेन सुविधाओं का भारी अभाव दिनोंदिन और भी ज्यादा परेशानीदायक बनता जा रहा है। केजी रेलखंड पर परिचालन की बाधा के अलावा नवादा का नया स्टेशन भी वर्तमान तक असुविधाजनक बना हुआ है। यहां सुविधाओं की आज भी घोर कमी है।
इस कारण यहां ट्रेन की प्रतीक्षा करना भी भारी पड़ता है जबकि ट्रेनें कभी समय पर नहीं चलतीं। एक तरफ नवादा स्टेशन आधुनिकीकरण के दौर से गुजर रहा है और दूसरी तरफ यहां व्याप्त असुविधाएं चरम पर पहुंच चुकी हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान नवादा स्टेशन पर व्याप्त समस्याओं पर आम रायशुमारी करायी तो लोग कुछ इन्हीं शब्दों से अपनी व्यथा बयां की। नवादा स्टेशन पर गया-हावड़ा एक्सप्रेस का इंतजार कर रहे यात्रियों ने जब एक बार अपनी शिकायत शुरू की तो उनका पिटारा खुलता ही चला गया। किसी ने कहा कि वर्तमान में नवादा स्टेशन असुविधाओं का पर्याय बन कर रह गया है तो किसी ने कहा, समय सीमा बीतती चली जा रही है लेकिन नवादा स्टेशन का कायाकल्प होता नहीं दिख रहा है। एक महिला यात्री ने कोसते हुए कहा कि समय सारिणी का यहां कोई मतलब नहीं रह गया है क्योंकि किसी भी ट्रेन के आने-जाने की कोई टाइमिंग ही नहीं है। नवादा स्टेशन पर दिक्कतों के बीच समय काटने की हिम्मत हो तब ही ट्रेन पकड़ने की योजना बना सकते हैं। लगातार विलम्ब से चल रही हैं ट्रेनें, डबल लाइन का फायदा नहीं किऊल-गया रेलखंड पर ट्रेनों का अस्त-व्यस्त परिचालन भारी कष्टकारी साबित हो रहा है। इस रूट में पहले से ही जारी अनियमित परिचालन के बीच विशेष ट्रेनों के इस रूट से गुजरने के कारण संकट पहाड़ सरीखा हो गया है। इन दिनों हाल यह है कि अनावश्यक रूप से किसी भी स्टेशन पर आधे-आधे घंटे तक ट्रेनों को रोक कर रखा जा रहा है, जो भारी कष्टकारी साबित हो रहे हैं। नवादा तक डबल लाइन कर दिए जाने के बावजूद जिस अदूरदर्शी तरीके से एक ही प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल लगातार किया जा रहा है, वह बेहद परेशानीदायक साबित हो रहा है। मंगलवार को अप और डाउन में लगभग सभी ट्रेनें लेट रहीं। गया से सुबह खुलने वाली तीन ट्रेनें 05 से 10 मिनट तक ही लेट रहीं लेकिन शेष ट्रेनें 13 से लेकर 28 मिनट तक लेट रहीं। हद तो यह है कि हावड़ा एक्सप्रेस अप और डाउन दोनों ही फेरी में लेट रही। सफर डेढ़ घंटे का, पूरा होने का समय निश्चित नहीं सामान्य रूप से गया से नवादा का सफर डेढ़ घंटे जबकि किऊल से नवादा तक का सफर 2:20 घंटे का है लेकिन केजी रेलखंड पर यह सफर कितनी देर में पूरा होगा, यह निश्चित नहीं है। मंगलवार को ट्रेनों का परिचालन बानगी है। किऊल से चल कर नवादा आने वाले गया साप्ताहिक 15620 ट्रेन अहले सुबह 16 मिनट लेट हो कर 04:05 बजे पहुंची। किऊल से गया जाने वाली 63321 केजी मेमू 21 मिनट लेट पहुंची जबकि किऊल से चल कर नवादा 28 मिनट लेट 53627 केजी सवारी गाड़ी पहुंची। गया-हावड़ा एक्सप्रेस 13023 तक मंगलवार को 20 मिनट लेट नवादा पहुंची। किऊल से चल कर नवादा 53615 जमालपुर-गया फास्ट पैसेंजर ट्रेन 21 मिनट लेट पहुंची जबकि किऊल से चल कर नवादा सबसे महत्वपूर्ण ट्रेन 63355 केजी मेमू किऊल से खुलने में ही आधे घंटे से अधिक लेट हो गयी। जबकि यह ट्रेन सोमवार को 71 मिनट लेट हो कर नवादा पहुंच सकी थी। इधर, वापसी में गया से नवादा स्टेशन तक पहुंचते-पहुंचते गया-हावड़ा 13024 एक्सप्रेस 13 मिनट लेट हो गयी, जबकि इस दरम्यान इसके मात्र दो वजीरगंज और तिलैया जंक्शन ही स्टॉपेज हैं। मंगलवार को ही गया से नवादा स्टेशन तक गया-किऊल 63322 17 मिनट लेट पहुंची। मेमू ट्रेनों के साथ सौतेला व्यवहार जारी केजी रेलखंड पर परिचालित मेमू ट्रेनों का उपयोग सबसे ज्यादा यात्री करते हैं लेकिन इसके साथ सबसे ज्यादा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। इसके साथ नियमित परेशानी यह है कि पश्चिमी आउटर इसे खड़ा करने की परम्परा सी बन गई है, जहां कभी आधे तो कभी एक घंटे रोके रखना एकदम से अनिवार्य हो गया है। तिलैया जंक्शन पर कोई ट्रैक खाली नहीं रहने पर मालगाड़ी को पहले भेजना और फिर हावड़ा-गया एक्सप्रेस को लेना और फिर इसे गया के लिए भेजने के बाद मेमू को तिलैया जंक्शन पर जगह देना इतनी बड़ी सिरदर्दी बन चुकी है कि आम यात्री इस ट्रेन से ही तौबा करते नजर आ रहे हैं। पूरी लेटलतीफी के साथ तिलैया जंक्शन पर हर दिन भारी फजीहत झेल कर नवादा पहुंचने वाली यह ट्रेन दैनिक यात्रियों का कष्टकारी सफर सबसे बड़ा कारण बन कर रह गयी है। वापसी में और भी राहत नहीं, मेल से बनी रहती है सिरदर्दी किऊल से ट्रेनों की वापसी में भी यही फजीहत झेलने की नौबत रोज की बात हो गयी है। मेल का झंझट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। वारिसलीगंज में मेल का झोल घंटों बर्बाद कर रहा जबकि इसके बाद नवादा स्टेशन समेत तिलैया जंक्शन पर मालगाड़ी का ऐन मेमू 63355 के पहुंचने पर मेल कराना कोफ्त का कारण बन रहा। सामान्य दिनों में इतने झंझट के अलावा मालगाड़ी या फिर बख्तियारपुर-गया पैसेंजर को पार कराने के लिए मेमू 63355 को पूर्वी आउटर पर आधे-पौन घंटे तक रोक कर रखना सीधे-सीधे रेल यात्रियों के धैर्य की परीक्षा लेने वाला साबित हो रहा है। लेकिन रेलवे के आला अधिकारियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा। ------------------- दो से तीन घंटे का विलम्ब रेलवे के लिए आम बात नवादा। केजी रेलखंड पर दो से तीन घंटे का विलम्ब एकदम आम बात हो कर रह गयी है। पूरे महीने में शायद ही कोई ऐसा दिन हो, जिस दिन इससे कम विलम्ब से ट्रेनें चली हों। हर दिन यह परेशानी बरकरार है। यात्री अपनी शिकायत भी पेटी में डालते हैं लेकिन यह पेटी में रह जाती है। सीधे डीआरएम और जीएम को एक्स पर संदेश भेजा जा रहा है लेकिन अनदेखी जारी है। रेलवे की निरंतर सेवा लेने वाले नवादा शहर के रंजन कुमार और रवि कुमार कहते हैं कि हालिया दिनों में वंदे भारत जैसी विशेष ट्रेन भी विलम्ब से चलने लगी है। ऐसे में यह उम्मीद करना भी बेकार है कि पैसेंजर ट्रेनें कभी समय से चल भी पाएंगी और लोगों की परेशानी का निदान निकल आएगा। ----------------------- स्टॉप प्वाइंट तय नहीं रहना बना पड़ा है अफरा-तफरी का कारण नवादा। नवादा स्टेशन परिसर में एक अजीब ही समस्या आड़े आ रही है। अब तक प्लेटफॉर्म पर ट्रेनों के ठहरने का स्टॉप प्वाइंट तय नहीं हो सका है। ऐसे में कभी ट्रेनें प्लेटफॉर्म के आरम्भ के आसपास रूकती है तो कभी बीच के हिस्से में और कभी-कभी तो इससे भी आगे निकल जाती है। पैसेंजर ट्रेन के यात्री तो फिर भी अफरा-तफरी में दौड़भाग कर किसी भी बोगी में समा जाते हैं लेकिन एक्सप्रेस ट्रेन वाले अपनी क्लास खोजने में भारी फजीहत उठाते हैं। महिला या वृद्ध परिजन अथवा लगेज के साथ हों तो परेशानी दोहरी हो जाती है। --------------------- यात्रियों की व्यथा : ट्रेनों का काफी विलम्ब से चलना और नवादा स्टेशन पर वेटिंग रूम और यात्री शेड की बेहतर उपलब्धता नहीं रहना कोढ़ में खाज वाली स्थिति बन कर रह गयी है। महिला यात्रियों के लिए नवादा स्टेशन पर ट्रेन पकड़ना भारी कष्टकारी साबित हो रहा है। इस घोर अनदेखी से भारी परेशानी है। -डॉ.किरण शर्मा, शिक्षाविद, शेखपुरा। केजी रेलखंड पर ट्रेनों का विलम्ब से परिचालन भारी कष्टकारी है। मुश्किल यह है कि ट्रेनों की प्रतीक्षा करने वालों का समय बीताने के लिए वेटिंग रूम है तो सही लेकिन यहां गिनी-चुनी कुर्सियां ही हैं, जहां बैठना मुहाल है। यात्री शेड में बैठने की अच्छी व्यवस्था ही नहीं है। सुधार की प्रबल जरूरत है। -उमेश चौरसिया, पान कारोबारी, तुंगी, नवादा। ट्रेन की आवाजाही केजी रेलखंड पर इतनी बुरी तरह से प्रभावित है कि पिछले एक घंटे से खड़े रहने पर भी इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा। ट्रेनें अब भी सही तरीके से परिचालित नहीं हो पा रही हैं जबकि डबल लाइन की सेवा शुरू हो चुकी है। दोयम दर्जा खत्म हो तो तब भी केजी रेलखंड सुधरेगा। -अमिताभ रंजन, शिक्षक, गया। नवादा से महज 60 किमी की दूरी पर गया अवस्थित है, लेकिन आने-जाने में ट्रेन की अनियमित सेवा के कारण पूरा दिन ही खराब हो जाता है। इतनी दुर्दशा किऊल-गया रेलखंड पर झेलने की नौबत है। न जाने कब इससे छुटकारा मिल सकेगा। रेलवे प्रबंधन का ध्यान यात्री सुविधा की तरफ है ही नहीं। - मो.लैयकुर रहमान, शिक्षक, तुंगी बेलदारी, नवादा। --------------------- अमृत भारत योजना लेगा नया आकार, शायद तब बदले तस्वीर नवादा। अमृत भारत स्टेशन स्कीम के तहत नवादा स्टेशन का रीडेवलपमेंट किया जाना है, जिसके बाद यह एकदम से बदला-बदला नजर आने का दावा है। इसके बाद रेल परिचालन में भी भारी बदलाव संभावित है। सारी व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त हो जाएगी। लेकिन इस योजना के कार्य इतनी धीमी गति से जारी हैं कि लोगों में गहरी निराशा है। काफी समय बीत जाने के बाद भी नवादा स्टेशन के लुक में इंटरनेशनल जैसा कुछ होना तो दूर, लोकल और पुराने स्टेशन जैसा भी कुछ होता नहीं दिख रहा है। नवादा स्टेशन से नियमित ट्रेन यात्रा करने वाले अरुण कुमार, बबलू कुमार, कुमार प्रशांत, विकेश कुमार आदि कहते हैं कि घोषणाएं तो खूब सुन रहे लेकिन कार्य कहीं नहीं दिख रहा। उल्लेखनीय है कि अमृत भारत योजना के तहत यात्री सुविधाओं का विस्तार, यात्रियों का बेहतर मैनेजमेंट, शानदार स्टेशन पहुंच मार्ग, सर्कुलेटिंग एरिया, उन्नत वेटिंग हॉल, जरूरत के अनुसार लिफ्ट अथवा एस्केलेटर की व्यवस्था, मुफ्त वाई-फाई, प्लेटफॉर्म पेयजल व्यवस्था, शौचालय, ब्रिज ट्रेन डिस्प्ले बोर्ड, इंटर-मोडल एकीकरण व यात्रियों के लिये सुव्यवस्थित दिशा-निर्देश की सुविधा प्रदान करने के लिये साइनेज सुविधा आदि में से कुछ भी अब तक नवादा स्टेशन को हासिल नहीं हो सका है। चूंकि अभी जो भी कार्य हो रहे हैं, उससे यह स्वरूप झलकना चाहिए था लेकिन ऐसा कुछ भी नया नहीं दिख रहा। नवादा स्टेशन को सिटी सेंटर के रूप में परिवर्तित करना, वन स्टेशन वन प्रोडक्ट का लाभ देना, अमृत भारत योजना के तहत लगभग सभी कोचों में एलईडी लाइटिंग, ट्रेनों में जैव शौचालयों की संख्या में वृद्धि, शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य के तहत हरित भवन मानकों और ऊर्जा कुशल व्यवस्था पर जोर रहना पता नहीं कब तक हो पाएगा या दिवास्वप्न ही साबित होगा।
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