Challenges Faced by Bus Drivers in Siwan District Lack of Support and Resources बोले सीवान: पड़ाव में बस चालकों के लिए सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत, Patna Hindi News - Hindustan
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बोले सीवान: पड़ाव में बस चालकों के लिए सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत

सीवान जिले के बस चालकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे खराब सड़कों, बढ़ते ईंधन मूल्यों और प्रशासन की उपेक्षा। उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं की कमी के कारण आर्थिक संकट का सामना करना...

Newswrap हिन्दुस्तान, पटनाFri, 21 Feb 2025 06:01 PM
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बोले सीवान: पड़ाव में बस चालकों के लिए सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत

पूरे जिले में परिवहन व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले बस चालक अपनी कड़ी मेहनत से ग्रामीण से लेकर महानगरीय क्षेत्र तक सेवा देते हैं। लेकिन, उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं में प्रशासन की उपेक्षा, सड़क किनारे खड़ी बसों के लिए स्थानीय दुकानदारों द्वारा परेशानियां, बस पड़ाव में जगह की कमी और सरकारी योजनाएं का लाभ नहीं मिलने जैसी समस्याएं शामिल हैं। बस चालकों को आयुष्मान कार्ड,राशन कार्ड व जीरो प्रीमियम पर बीमा की सुविधा नहीं मिलती। हेल्थ चेकअप भी नहीं करवाया जाता है। सीवान जिले में बस चालक समुदाय अनेक कठिनाइयों का सामना कर रहा है। चाहे वह खराब सड़कों की समस्या हो, बढ़ता ईंधन मूल्य हो, पुलिस और प्रशासनिक दबाव हो या फिर यात्रियों की घटती संख्या, इन चुनौतियों ने बस चालकों की आजीविका को कठिन बना दिया है। सीवान जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को जोड़ने वाली कई सड़कें जर्जर स्थिति में हैं। गड्ढों और उबड़-खाबड़ सड़कों पर बस चलाना बेहद मुश्किल होता है, जिससे न केवल यात्रियों को परेशानी होती है, बल्कि बस चालकों को भी बार-बार मरम्मत का खर्च उठाना पड़ता है।

खराब सड़कों के कारण बसों के टायर, ब्रेक और अन्य मशीनरी जल्दी खराब हो जाते हैं, जिससे चालकों और मालिकों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि से बस चालकों की आमदनी पर गहरा असर पड़ा है। किराए में अधिक बढ़ोतरी करना संभव नहीं है क्योंकि इससे यात्री कम हो सकते हैं। वहीं, बढ़ती महंगाई के बीच सीमित आय से परिवार चलाना कठिन होता जा रहा है। कई चालक कहते हैं कि दिनभर कड़ी मेहनत के बाद भी उनकी बचत न के बराबर रहती है। सीवान के बस चालकों को कई बार पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनावश्यक दबाव का सामना करना पड़ता है।

लाइसेंस, परमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट की जांच के नाम पर कुछ अधिकारियों द्वारा चालकों से अवैध वसूली की शिकायतें भी सामने आई हैं। कई बार चालकों को मामूली कारणों से फाइन भरना पड़ता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब होती है। ऑटो, टेंपो और निजी वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण बसों में यात्रियों की संख्या घटती जा रही है। पहले जहाँ बसें पूरी तरह भरी रहती थीं, अब उनमें खाली सीटें देखी जाती हैं। यात्रियों के लिए छोटे वाहन सुविधाजनक साबित हो रहे हैं, जिससे बस ऑपरेटरों और चालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में बस सेवाएँ पूरी तरह से बंद हो गई थीं, जिससे बस मालिकों और चालकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा। कई चालकों ने इस दौरान अपना पेशा बदल लिया, लेकिन जो लौटे, वे अब भी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। बस चालकों को अक्सर सड़कों पर अपनी बसें खड़ी करनी पड़ती हैं, लेकिन दुकानदारों द्वारा इन बसों को हटाने का दबाव होता है। यह स्थिति उस समय और अधिक गंभीर हो जाती है, जब यात्री बस में सवार होते हैं । दुकानदारों का दबाव उन्हें बस को हटाने के लिए मजबूर करता है। इससे न केवल चालक को परेशानी होती है, बल्कि यात्री भी असहज महसूस करते हैं।सड़क पर मामूली विवादों में भी बस चालकों को हमेशा दोषी ठहरा दिया जाता है। चाहे वह यात्री के साथ विवाद हो या अन्य वाहन चालकों से जुड़ी कोई समस्या, बस चालकों को हमेशा प्रशासन और स्थानीय जनता से उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। जगह के अभाव में कई बार बसों को कई बार भीड़-भाड़ के बीच खड़ी करनी पड़ती है। जिससे यात्री भी असुविधा महसूस करते हैं। बस चालकों को यह समस्या दिन-प्रतिदिन झेलनी पड़ती है।

प्राइवेट बस ऑपरेटर पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) को टैक्स अदा करते हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें जरूरी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है। उचित स्टैंड, सड़क की मरम्मत और यातायात की व्यवस्था में सुधार की कोई ठोस योजना नहीं है, जो बस चालकों की समस्याओं को कम कर सके। सीवान जिले के बस चालक कठिन परिस्थितियों में भी अपनी आजीविका चलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रस्तुति: अभिषेक , रितेश

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कई बार जाम से जूझना पड़ता है

पड़ाव पर शुल्क तो लिया जाता है, लेकिन कई बाजारों और मुख्य स्थानों पर बसों के लिए उचित स्टैंड की सुविधा नहीं है। इससे चालक और यात्री दोनों को परेशानी होती है, और कई बार जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बहुत सी बार अधिकारी बसों में यात्रा करते हैं, लेकिन जब बात असुविधाओं की आती है तो वे चुप रहते हैं। अधिकारी समस्या के समाधान के बजाय अपनी यात्रा में व्यस्त रहते हैं। इससे बस चालकों की परेशानियों में कोई कमी नहीं आती। बस चालकों और कंडक्टरों के लिए आयुष्मान कार्ड और राशन कार्ड बनना चाहिए। इससे उनके स्वास्थ्य और अन्य जरूरतों के लिए एक स्थिर और भरोसेमंद मदद मिलेगी। इसके बिना, वे कई बार अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान में असमर्थ होते हैं। बस चालकों का समय सारणी ( हमेशा परमिट के हिसाब से होना चाहिए। इससे न केवल यात्री सेवा में सुधार होगा, बल्कि चालक भी सही समय पर अपने काम को पूरा कर सकेंगे। काम के अनुरूप वेतन में वृद्धि मिले बस चालकों का वेतन उनके काम के अनुरूप नहीं है। वे कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं और कई घंटों तक यात्रियों की सेवा करते हैं। लेकिन उनके वेतन में कोई विशेष वृद्धि नहीं की जाती। प्रशासन सड़क किनारे से अतिक्रमण हटाने में असफल रहता है। इससे न केवल बस चालकों को परेशानी होती है, बल्कि यातायात भी प्रभावित होता है। यह समस्या बड़े शहरों और व्यस्त बाजारों में और भी गंभीर हो जाती है, जहां अक्सर जाम की स्थिति बनी रहती है।इन समस्याओं का समाधान केवल प्रशासन की जागरूकता और सही कदमों से ही संभव है। यदि इन मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए, तो न केवल बस चालकों की स्थिति में सुधार होगा, बल्कि यात्री सेवा में भी उत्कृष्टता आएगी।

सुझाव

1.लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया आसान हो। बस चालकों को कार्यालयों का चक्कर न लगाना पड़े, समय की बचत भी हो।

2.परिवहन विभाग में पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जाए ताकि किसी भी दलाल की भूमिका कम हो और आम लोग बिना किसी समस्या के काम कर सकें।

3.लाइसेंस और अन्य दस्तावेजों के लिए एक समान और उचित शुल्क तय किया जाए, जिससे किसी को भी अतिरिक्त पैसे देने की आवश्यकता न हो।

4.दलालों की भूमिका को खत्म करने के लिए सख्त नियम बनाए जाएं और उन्हें दंडित किया जाए, ताकि यह भ्रष्टाचार की समस्या हल हो सके।

5.सरकारी बस पड़ाव के लिए जगह अधिक दिया जाए। पड़ाव की बराबर सफाई की व्यवस्था नगर परिषद को करनी चाहिए।

शिकायतें

1. परिवहन विभाग में सुविधा के लिए बस चालको के लिए अलग से कांउंटर की व्यवस्था होनी चाहिए।

2.लाइसेंस बनाने और अन्य दस्तावेज़ों के लिए शुल्क अत्यधिक होते हैं, जो गरीब और मंझले चालकों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाती है।

3.परिवहन विभाग में बार-बार जाने से समय की बर्बादी होती है, और प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि कई चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

4. सीवान शहर में केवल एक बस पड़ाव होने के कारण समस्या होती है, अन्य जगहों पर बस पड़ाव की व्यवस्था नहीं होने से सड़क पर बसों को खड़ा करना पड़ता है

5. बस पड़ाव में पानी- बिजली की व्यवस्था भी समुचित नहीं है। गंदगी का आलम यात्रियों को भी परेशान करता है।

बोले जिम्मेदार

बस स्टैंड में शौचालय की व्यवस्था है। रोशनी की जो समस्या बताई जा रही है। इसकी जांच कर दुरुस्त किया जाएग। आगे जो भी जरूरत लगेगी नगर परिषद साफ सफाई, पेयजल से लेकर हर व्यवस्था को और बेहतर करेगा।

अरविंद सिंह, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी

उभरा दर्द

हमारा काम सड़क किनारे बस खड़ी करने के बिना मुश्किल होता है। जब बस खड़ी करते हैं तो दुकानदारों से झगड़ा होता है। उनके अनुसार, यह उनकी दुकान के लिए समस्या है। हमें कोई उचित स्टैंड भी नहीं मिलता।- नीतीश कुमार

सड़क पर खड़ी बस के कारण हमें बार-बार दुकानदारों से टकराना पड़ता है। हमारी मुख्य समस्या यह है कि हर जगह बस खड़ी करने की जगह नहीं मिलती। स्टैंड चार्ज की व्यवस्था भी सही नहीं है। - मो. आलम

लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया काफी कठिन है। कभी-कभी बिना काम के घंटों हमें इंतजार करना पड़ता है। सरकार ने इसके लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की है। परिवहन कार्यालय में हमें हमेशा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।- पिन्टू यादव

दुकानदार हमें बस खड़ी करने के लिए हमेशा परेशान करते हैं। हम हर बार एक ही समस्या का सामना करते हैं। स्टैंड की कमी ने हमारी मुश्किलों को और बढ़ा दिया है। हमें कोई उचित स्थान नहीं मिलता।- अमरजीत यादव

हर विवाद में हमें दोषी ठहरा दिया जाता है। यात्री से मामूली झगड़ा हो तो हम पर ही आरोप लगते हैं। पुलिस कभी हमारी बात नहीं सुनती। हमेशा हमें ही गलती का जिम्मेदार ठहराया जाता है।- देव चंद्र पांडेय

पीडब्ल्यूडी को टैक्स देने के बावजूद सड़क की हालत खराब रहती है। हमें बस खड़ी करने के लिए कोई जगह नहीं मिलती। सड़कों की मरम्मत नहीं होती, जिससे हमे परेशानी होती है। टैक्स की राशि हर साल बढ़ती जाती है।- शिवजी चौधरी

हमारे लिए टाइम टेबल का पालन करना मुश्किल होता है। परमीट के हिसाब से सही दिशा-निर्देश नहीं मिलते। कई बार हमें स्टैंड के बजाय सड़क पर खड़ा होना पड़ता है। इससे जाम की समस्या पैदा होती है। - जगनाथ यादव

हर जगह स्टैंड चार्ज लिया जाता है, लेकिन सही स्टैंड नहीं होते। अगर चार्ज लिया जाता है तो फिर जगह क्यों नहीं मिलती? हमे सड़क पर खड़ा करना पड़ता है, जिससे जाम लग जाता है। - दीपू कुमार

लाइसेंस बनाने में हमें बहुत समस्या होती है। विभाग में कई बार घंटों इंतजार करने के बाद भी कोई काम नहीं होता। यह सब बहुत समय की बर्बादी है। हम इस प्रक्रिया से बहुत थक चुके हैं। कई बार गुहार लगानी पड़ रही है। - दीपक कुमार

हर जगह स्टैंड चार्ज लिया जाता है, लेकिन स्टैंड की जगह नहीं मिलती। बाजारों में हमें कभी भी बस खड़ी करने की जगह नहीं मिलती। इसके कारण जाम की समस्या और बढ़ जाती है। - ललन कुमार

अधिकारियों को कभी भी बसों में यात्रा करते हुए हमारी समस्याओं का एहसास नहीं होता। वे केवल आराम से यात्रा करते हैं, लेकिन हमारी मुश्किलें अनदेखी रहती हैं। - सुजीत कुमार सिंह

आयुष्मान कार्ड और राशन कार्ड की हमें सख्त जरूरत है। अगर हम बीमार हो जाएं तो इलाज के लिए पैसे नहीं होते। इन कार्डों के बिना हमें स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलतीं। अगर हमे ये कार्ड मिल जाएं तो हमारी जिंदगी आसान हो जाएगी।- गौतम कुमार यादव

प्रशासन कभी सड़क किनारे के अतिक्रमण को हटाने का काम नहीं करता। इससे सड़क पर जाम लगता है। सड़क किनारे के अतिक्रमण को हटाना प्रशासन की जिम्मेदारी है। - विक्की कुमार

हम परमीट के हिसाब से काम करते हैं, लेकिन टाइम टेबल कभी सही नहीं होता। समय पर बसें नहीं पहुंच पातीं और कभी-कभी देर हो जाती है। इससे हमारे लिए समस्याएं बढ़ जाती हैं।- अजय कुमार

हमारे मानदेय कोई सुधार नहीं हुआ है, जबकि हमें दिन-रात काम करना पड़ता है। लंबी शिफ्ट्स और कठिन परिस्थितियों में काम करने के बावजूद हमें कम मानेदय से परिवार का गुजारा करना पड़ता है। - राजेन्द्र यादव

बस चालकों के लिए पड़ाव में हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराइ्र जानी चाहिए। शौचालय अधिक संख्या में बनाए जाएं वहीं पानी की भी व्यवस्था कर पानी टंकी की व्यवस्था हो तो बेहतर रहेगा। - जितेन्द राम

हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम हमेशा विवादों में फंस जाते हैं। छोटी सी बात पर हमें ही दोषी ठहराया जाता है। यात्री से विवाद हो तो हमें ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। - पवन कुमार तिवारी

बस चालकों के लिए पड़ाव में हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराइ्र जानी चाहिए। शौचालय अधिक संख्या में बनाए जाएं वहीं पानी की भी व्यवस्था कर पानी टंकी की व्यवस्था हो तो बेहतर रहेगा। - राम नारायण

हमारे पास आयुष्मान कार्ड या राशन कार्ड नहीं है। अगर हमें कोई स्वास्थ्य समस्या होती है तो हम इलाज के लिए पैसे जुटाने में असमर्थ होते हैं। अगर ये कार्ड हमें मिल जाएं तो हमारी स्थिति बहुत बेहतर हो सकती है। - मनोज चौहान

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