बोले औरंगाबाद: फुटपाथी फल विक्रेताओं को हटाने से पहले करें वैकल्पिक व्यवस्था
जिले में फल विक्रेताओं की आजीविका सड़क किनारे दुकानों पर निर्भर करती है। अतिक्रमण के नाम पर प्रशासन द्वारा लगातार उनकी दुकानों को हटाया जा रहा है, जिससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ रहा है। फल दुकानदार...
जिले में प्रखंड मुख्यालय से लेकर छोटे-छोटे बाजारों में सैकड़ों जगहों पर सड़क किनारे फलों की दुकानें सजती हैं। इससे हजारों परिवारों की आजीविका चलती है। फल व्यापारियों की पीड़ा है कि अतिक्रमण के नाम पर पुलिस प्रशासन की प्रताड़ना सहने की मजबूरी है। हर दो-तीन महीने में उन्हें हटा दिया जाता है। इससे उनके सम्मान के साथ सामान को भी नुकसान होता है। उनकी मांग है कि शहर में कोई फल मंडी बन जाए तो उनकी परेशानी कम हो जाएगी। जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक सड़क के किनारे फलों की दुकानें सजती हैं लेकिन आज तक फल दुकानदारों के लिए स्थाई दुकानें नहीं बन सकी हैं। फल दुकान बनाने के लिए प्रस्ताव की फाइल सरकारी दफ्तरों में ही सज कर रह जाती है। योजनाएं बनती रहीं और लोगों को उम्मीद भी जागती रही लेकिन एक बड़ा वर्ग हमेशा उपेक्षित रहा।
जिला मुख्यालय में ही फल मंडी अस्थायी रूप से लगती है। स्थायी जगह की व्यवस्था नहीं हो सकी। विभिन्न जगहों पर फल दुकानदार सड़क किनारे अपनी दुकान लगाकर व्यापार करते हैं। शहर में एक दर्जन से अधिक जगहों पर फल दुकानदार सड़क किनारे अपनी दुकान लगाकर व्यापार करते हैं। जिले में सड़क के किनारे करीब पांच सौ से अधिक लोग ठेला अथवा अस्थाई दुकान लगाकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। प्रशासन के स्तर से अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाए जाने पर सबसे ज्यादा परेशानी इन दुकानदारों को होती है। ड़क पर दुकान लगाकर अपना पेट पालने वाले इन दुकानदारों की रोजी-रोटी पर संकट बन आता है। इनकी दुकानों पर जेसीबी चलाकर हटा दिया जाता है। इस तरह की प्रशासनिक कार्रवाई से आहत फल दुकानदार भी हैं। मदनपुर में आयोजित हिन्दुस्तान के संवाद कार्यक्रम में महेश गुप्ता, हिमांशु कुमार, अजय कुमार, संजय कुमार, प्रिंस कुमार, पुकार चौधरी, सुनील कुमार, अशोक कुमार, गौतम कुमार आदि ने कहा कि पर्व त्यौहार के समय तो और भी आफत हो जाती है। एक अनुमान के मुताबिक हर रोज जिले में दो से तीन ट्रक फल की खपत है।
फल के थोक कारोबारी से लेकर खुदरा फल की दुकानें लगती हैं। अब इसमें मुनाफा कम हो रहा है। फल को सुरक्षित रखने के लिए कोई उपाय ही नहीं है। कोल्ड स्टोरेज को लेकर प्रशासन के स्तर पर भी कोई सुविधा फल दुकानदारों को नहीं दी गई। इसके कारण फल खराब हो जाते हैं। स्थाई बाजार किसी भी क्षेत्र के व्यापारिक और आर्थिक विकास के लिए रीढ़ की हड्डी के समान है। फल विक्रेताओं ने कहा कि स्थाई बाजार का मतलब ऐसा बाजार जो अच्छी बुनियादी सुविधाओं स्वच्छता, जल निकासी और अन्य आवश्यक सेवाओं से लैस हो। स्थाई बाजार व्यापारियों की स्थिरता प्रदान करता है। इसमें दुकानें व्यवस्थित तरीके से रहती हैं जिससे व्यापारियों को रोजाना की असुविधाओं से निजात मिलती है। जल निकासी, बिजली और पार्किंग जैसी बुनियादी सुविधाएं व्यापारियों के लिए बड़ा सहारा होती है। दुकानदारों ने कहा कि स्थाई बाजार में किराए की दर भी पारदर्शी होती है लेकिन उनकी यह मांग पूरी नहीं हो सकी है।
दुकानदार सब्जी बाजार में किसी तरह काम चला रहे थे जहां रैयती जमीन होने को लेकर कोर्ट के निर्देश पर दुकानें तोड़ दी गई। हालांकि यह मामला अटका हुआ है और दुकानदार किसी तरह अपना काम चला रहे हैं।जिला मुख्यालय में स्थायी रूप से दुकानों का निर्माण कर आवंटित नहीं किए जाने की वजह से भी उनकी परेशानी बढ़ी है। दुकानदारों ने बताया कि अस्थाई बाजारों में व्यापार केवल कुछ घंटे तक सीमित रहता है। स्थाई बाजार पूरे दिन काम हो सकता है। बारिश होने या लू चलने और अत्यधिक ठंड पड़ने पर दुकानदारों को काफी परेशानी होती है। फल दुकानदारों ने कहा कि स्थाई बाजार ग्राहकों के लिए भी सुविधाजनक और आकर्षक होते हैं।
कहा कि स्थाई बाजार में उत्पादों की गुणवत्ता और उनकी उपलब्धता भी बेहतर होती है। व्यापारी यहां अपने उत्पादों को सुरक्षित रख सकते हैं। सरकार को चाहिए कि फल दुकानदारों को एक स्थाई दुकन दें। साथ ही फल दुकानदारों को अनुदान भी दिया जाए ताकि लोगों को सुविधा मिल सके। इसके लिए सरकार को एक ठोस कदम उठानी चाहिए। यहां तक कि जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण के नाम फल दुकानदारों को भगा दियजाता है।
बोले जिम्मेदार
स्थायी बाजार खुलने से व्यापारियों को होगा फायदा
स्थाई रूप से दुकानें उपलब्ध कराने की मांग फल दुकानदारों ने की है। पूर्व में जिला प्रशासन ने प्रियव्रत पथ में जगह चिह्नित करते हुए दुकानें लगाने की बात कही थी। स्थानीय लोगों ने गंदगी होने और संकरी सड़क होने का हवाला देकर इसका विरोध किया था। इसके बाद प्रशासन ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। बाद में इस जगह पर पार्क का निर्माण शुरू हुआ जो अब तक अधूरा है। इसके बाद से फल दुकानदारों के लिए कागजों पर स्थल चिह्नित होते रहे लेकिन दुकानें उपलब्ध नहीं हुई।
सुझाव
1. अतिक्रमण हटाने के नाम पर शोषण बंद होना चाहिए।
2. जिला प्रशासन या नगर परिषद को अतिक्रमण हटाने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए।
3. नगर परिषद के द्वारा दुकान लगाने के लिए ऐसी जगह दी जाए जहां आम लोगों का आवागमन हो।
4. दुकान बनाने के लिए सरकारी स्तर पर न्यूनतम दर पर लोन देने की व्यवस्था हो।
5. दुकानदारों पर हो रहे शोषण को बंद किया जाए
शिकायतें
1. समय-समय पर अतिक्रमण हटाने के नाम पर फल दुकानदारों का शोषण होता है।
2. अतिक्रमण हटाने से दुकानदारों को नुकसान उठाना पड़ता है, फल भी खराब हो जाता है।
3. 15-20 साल से सड़क किनारे दुकान लगाने के बावजूद अब तक कोई स्थाई जगह नहीं मिली है।
4. बड़ी दुकान और जगह लेने के लिए पूंजी नहीं है, इसकी कोई व्यवस्था भी नहीं होती।
5. दुकान लगाने के लिए प्रशासन के द्वारा ऐसी जगह दी जाती है जहां आम लोगों का आवागमन होता ही नहीं है।
हमारी भी सुनिए
हम लोगों को प्रशासन की ओर से कोई जमीन उपलब्ध नहीं कराई जाती है जहां अपनी दुकान लगा सकें। सड़क किनारे दुकान लगाकर अपनी आजीविका चलानी पड़ती है। -संजय कुमार
अतिक्रमण के नाम पर फल दुकानदारों का शोषण बंद हो। जिले में बड़े-बड़े दुकानों के पास भी तो पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। दुकान के सामने गाड़ी लगा कर ट्रैफिक जाम रखते हैं पर उन पर कार्रवाई नहीं होती।-प्रवीण कुमार
हम लोग फलों की दुकान नाले के उपर लगाते हैं लेकिन अतिक्रमण के नाम पर हमारा शोषण किया जाता है। पेट के लिए कई बार शोषण का शिकार होना पड़ता है।
-सत्येंद्र कुमार
हमारा भी परिवार है और बच्चों की पढ़ाई की चिंता होती है। इतने पैसे नहीं हैं कि किराए पर जगह लेकर कहीं दुकान चलाए। छोटी सी जगह पर दुकान चलाने पर भी प्रशासन परेशान करता है।-अखिलेश कुमार
मंदिर के पास भीड़ रहने के कारण फल की बिक्री बेहतर हो जाती है लेकिन हर 2 से 3 महीने पर दुकान को हटा दिया जाता है। थोड़ी-थोड़ी बचाई पूंजी फिर निर्माण में ही लग जाती है।-रौशन कुमार
हम फुटकर दुकानदारों की समस्याओं को समाधान करने के लिए प्रशासन द्वारा कुछ कदम उठाए जाए जिससे हम लोग भी खुलकर अपना रोजगार कर सकें। -अजय प्रसाद गुप्ता
फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों पर कार्रवाई कर हम गरीबों का शोषण किया जाता है। इस पर प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है। हर रोज परेशान किया जाता है।-महेश साव
हम लोग ठेला लगाकर फल बेचते हैं। अतिक्रमण हटाने के दौरान हमें ठेला हटाने का समय तक नहीं दिया जाता और सामान का भी नुकसान कर दिया जाता है।
-संजय कुमार
फुटपाथ पर दिन भर धूल, मिट्टी में रहकर फल बेचते हैं। कभी तो बिक्री पर भी आफत हो जाती है। इसके बावजूद अतिक्रमणकारी कह कर हमारा शोषण किया जाता है। -प्रिंस कुमार
स्थानीय प्रशासन को फुटपाथी दुकानदारों के मुद्दों को समझने और उसके साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता है। अतिक्रमण के नाम पर दुकानदारों को उजाड़ दिया जाता है।-पुकार चौधरी
सरकार के अधिकारी को हम लोगों की रक्षा करनी चाहिए। हमारी समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। हर रोज दुकान हटा देने की धमकी दी जाती है।-अशोक कुमार
अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस मारपीट करती है। हम लोगों का भी परिवार है। काम आएंगे नहीं तो उनको खिलाएंगे क्या। फुटकर दुकानदारों के बारे में भी सोचना चाहिए।-गौतम कुमार
फल दुकानदारों को व्यवस्था नहीं मिलने के कारण कई तरह की समस्याएं होती हैं। हम लोगों के साथ अन्य लोगों को परेशानी झेलनी पड़ती है।
-अजय सिंह
जैसे-तैसे सड़क किनारे फल दुकान चलाने वालों को परेशान किया जाता है। उनकी सुविधा के बारे में कोई विचार नहीं करता है। सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता है।-रमेश कुमार
सरकार को चाहिए कि हम फल दुकानदारों को दुकान उपलब्ध कराए ताकि हम लोगों का जीविकोपार्जन हो सके। हम लोगों को हमेशा परेशान किया जाता है।-सुनील कुमार
फल दुकान चलाकर परिवार चलता हूं। जैसे-तैसे दुकान चला रहे हैं। व्यवसाय सही से नहीं चलता है। वहीं प्रशासन की ओर से कई बार दुकान हटा दी गई। -रौशन गुप्ता
फल दुकानदारों को सस्ते दर पर ऋण मुहैया हो ताकि हम लोग फल का व्यापार कर जीवीकोपार्जन कर सकें। सरकार दुकानदारों की ओर ध्यान दें।-मुन्ना कुमार
सरकार को चाहिए कि फल व्यापारियों के लिए भी योजना बनाए और उन्हें सरकारी सुविधाएं मिले। आमदनी घटती जा रही है और व्यवसाय पर संकट मंडरा रहा है।-दिलीप चौधरी
सड़क किनारे दुकान का संचालन करने वालों को चिह्नित किया जाए। उन्हें स्थायी रूप से दुकानें उपलब्ध कराई जाए तभी सहूलियत होगी। अतिक्रमण के नाम पर परेशान किया जाता है।-रंजीत चौधरी
सड़क किनारे ठेला पर फल बेचने का काम करते हैं लेकिन सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिलती है। उन पर प्रशासनिक कार्रवाई की जाती है लेकिन योजना का लाभ नहीं दिलाया जाता है।-हिमांशु कुमार
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