Baisamara Village An Adverse Tale of Development Neglect in India विकास से कोसों दूर मझौक पंचायत का बाइसमारा गांव, Purnia Hindi News - Hindustan
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विकास से कोसों दूर मझौक पंचायत का बाइसमारा गांव

मझौक पंचायत के आदिवासी गांव बाइसमारा आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। यहां कोई विद्यालय नहीं है, जिससे बच्चे पढ़ाई के लिए दूसरे गांवों का रुख करते हैं। सड़क की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की...

Newswrap हिन्दुस्तान, पूर्णियाSat, 31 May 2025 04:06 AM
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विकास से कोसों दूर मझौक पंचायत का बाइसमारा गांव

बैसा, एक संवाददाता। प्रखंड क्षेत्र के मझौक पंचायत का आदिवासी बाहुल गांव बाइसमारा आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। समाजसेवी इंजीनियर महफूज आलम समेत कृष्णा, सुमाई मुर्मू, सुमी किस्कू, बड़का किस्कू, मंगन मुर्मू, अरकू किस्कू आदि ग्रामीण बताते हैं कि यह गांव सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन से लगातार अछूता रहा है। सर्वांगीण विकास के लिए यह पंचायत किसी तारणहार की बाट जोह रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी के चलते यहां विकास कार्यों की गति नहीं के बराबर है। करीब 600 की आबादी वाले इस गांव में आज तक कोई विद्यालय नहीं है। जिस कारण से बच्चों को पढ़ाई के लिए दूसरे गांवों की ओर रुख करना पड़ता था।

लंबे इंतजार के बाद बिजली मिली है। लेकिन जब तक सड़क नहीं बनेगी, तब तक बच्चों के लिए आना-जाना आसान नहीं होगा। लोगों का कहना है कि सड़क नहीं होने की वजह से यहां लोगों को कही भी जानें में परेशानी होती है। साथ ही तबीयत खराब होने पर इमरजेंसी के वक्त वाहन से गांव से बाहर निकलना मुश्किल होता है। सुविधाओं के आभाव में पलायन करने को भी मजबूर हैं। .....कच्ची सड़क के सहारे आवागमन: सड़क नहीं होने की वजह से गांव का विकास ठप है। गांव से बाहर निकलने का खराब कच्ची रास्ता और नाव सहरा है। यहां तक कि मतदान करने के लिए भी ग्रामीणों को करीब तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है और उसमें भी नदी पार करने के लिए नाव का उपयोग करना पड़ता है। बारिश के दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है, जब जलस्तर बढ़ने से नाव चलाना भी मुश्किल हो जाता है। उन्होंने बताया कि गांव में एक भी आंगनबाड़ी व विद्यालय नहीं है। बच्चे आज भी लंबी दूरी तय कर दूसरे गांव के विद्यालय में जाकर पढ़ने को विवश है। जिसके कारण अधिकतर बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। आक्रोशित ग्रामीणों ने बताया कि गांव में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बुरा है। आपातकालीन स्थिति में किसी मरीज को अस्पताल ले जाना किसी चुनौती से कम नहीं होता। एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती और घंटों इंतजार के बाद मरीज को नदी पार कर किसी तरह अस्पताल ले जाना पड़ता है। यह गांव हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलता है। यह गांव एक तरह से टापू में तब्दील हुआ पड़ा है। विकास क्या होती है इससे उक्त गांव के लोग अनजान है। आज तक इस गांव में सांसद या विधायक कोई भी नहीं पहुंचे हैं। प्रशासनिक अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधियों तक सभी इस गांव के लोगों की दुख-दर्द से वाकिफ है लेकिन गांव के विकास को लेकर कोई पहल नहीं हुई है।

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