बहुस्तरीय पद्धति से खेती करना किसानों के लिए लाभदायक
जलालगढ़, एक संवाददाता। हृदय परियोजना के माध्यम माध्यम से संचालित प्रशिक्षण में किसानों को खेती से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई।

जलालगढ़, एक संवाददाता। हृदय परियोजना के माध्यम माध्यम से संचालित प्रशिक्षण में किसानों को खेती से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई। इस प्रशिक्षण में श्रीनगर प्रखंड के हृदय परियोजना द्वारा चयनित छह गांवों के 40 किसानों ने भाग लिया। कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़के वैज्ञानिक डॉ. गोविन्द कुमार ने बताया कि बहुस्तरीय पद्धति से खेती करना आज के समय मे ना केवल अनिवार्य हो गया है बल्कि समय के साथ साथ किसानों को कम जगह और कम लागत मे अधिक उत्पादन लेने का बहुत ही आसान पद्धति है। इसके अलावा बहुस्तरीय पद्धति से खेती करने से किसानों को लागत तीन से चार गुना कम होती है, जबकि मुनाफा 8 गुना ज्यादा मिलता है।
फसलों को एक-दूसरे से पोषक तत्व मिल जाते हैं। जमीन में जब खाली जगह नहीं रहती है तो खरपतवार भी नहीं निकलते हैं। एक फसल में जितनी खाद डालते हैं, उतनी ही खाद से एक से अधिक फसलों की उपज मिल जती है और इस तरीके से 70 प्रतिशत पानी की बचत होती है। वैज्ञानिक दयानिधि चौबे ने बताया कि बहुस्तरीय खेती एक ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें एक ही खेत में विभिन्न उंचाई (स्तर) की फसलों को एक साथ उगाया जाता है, ताकि सूर्य के प्रकाश, जल, पोषक तत्वों और स्थान का अधिकतम उपयोग हो सके। यह प्रणाली खासकर बागवानी और वृक्ष आधारित कृषि प्रणालियों में अपनाई जाती है। डॉ. आतिश सागर ने खेती में उपयोग होने वाला कृषि यंत्रों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जबकि डॉ. संतोष कुमार ने प्राकृतिक खेती पर प्रकाश डालते हुए केचुवा खाद, बीजमृत, जीवामृत, घनजीवमृत, निमास्त्र और अन्य तरह के जैविक खाद और कीट नियंत्रक के फायदा व उपयोग विधि बताए। सहायक प्रबंधक धर्मेन्द्र तिवारी ने बताया कि इस हृदय परियोजना के माध्यम से किसानों को इस तरह का प्रशिक्षण देने उद्देश्य किसानों को नई तकनीकी, नई फसल और कृषि आधारित बेहतर प्रशिक्षण लेकर उत्पादन बेहतर कर सके जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके। ✅ इस पद्धति से लाभ: -सूर्य प्रकाश, पानी और पोषक तत्वों का बेहतर उपयोग -एक ही समय में कई फसलें उगाने से आय बढ़ती है -घनी खेती से खरपतवार कम उगते हैं, कीटों का प्रभाव भी कम - भूमि की ऊपरी परत का कटाव कम होता है - विभिन्न प्रकार की फसलें पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में सहायक
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