सदर अस्पताल में मरीजों को मिले लंबी कतारों से मुक्ति, बढ़े काउंटर
समस्तीपुर के सदर अस्पताल के ओपीडी में रोजाना एक हजार मरीज आते हैं, लेकिन संसाधनों का घोर अभाव है। रजिस्ट्रेशन और दवा काउंटरों की कमी के कारण मरीजों को लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता है। साफ-सफाई की...
समस्तीपुर। सदर अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन एक हजार तक मरीजों की संख्या होती है। भीड़ के अनुसार अस्पताल में संसाधनों का घोर अभाव है। रजिस्ट्रेशन से लेकर दवा काउंटरों की संख्या नाकाफी है। इससे मरीजों और तीमारदारों को घंटों लंबी कतारों में लगे रहना पड़ता है। उन्हें परेशानी झेलनी पड़ती है। नंबर लग जाने और चिकित्सीय परामर्श मिल जाने के बाद दवा और जांच के लिए भी बाहर का रास्ता देखना पड़ता है। ओपीडी में बैठने तक की जगह नहीं है। भीड़ होने पर धक्का-मुक्की भी बढ़ जाती है। दूसरी ओर सदर अस्पताल में साफ-सफाई में लापरवाही स्पष्ट दिखती है।
वार्डों में बिछी चादरें भी मैली रहती हैं। दर अस्पताल के ओपीडी में सोमवार से शनिवार तक करीब 7000 मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। यानी हर रोज एक हजार मरीज सिर्फ ओपीडी में पहुंच रहे हैं। अलग-अलग बीमारियों से पीड़ित इन मरीजों की पीड़ा तब और बढ़ जाती है, जब उन्हें जरूरी सुविधाएं नहीं मिलती हैं। लंबी लाइन में लगकर पर्ची कटवाने और फिर ओपीडी के बाहर बैठकर अपनी बारी आने का घंटों इंतजार करना होता है। यदि डॉक्टर ने देखने और दवा लिखने के साथ कुछ जांच कराने को लिख दिया तो इनकी समस्या काफी बढ़ जाती है। जांच के लिए मरीजों को अगले दिन फिर आना पड़ता है। दवा लेने के लिए भी उन्हें लोगों की लंबी कतार में खड़ा होकर घंटों इंतजार करना पड़ता है। कई बार दवा मिल जाती है तो कई बार उन्हें बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है। अस्पताल आए प्रभात कुमार, सूरज कुमार, अभिषेक कुमार, संदीप कुमार, अभिषेक कुमार आदि का कहना है कि यहां सबसे अधिक सामान्य, प्रसूति, बच्चा व आंख विभाग में भीड़ होती है। साफ-सफाई के नाम पर ओपीडी तो ठीक भी है, लेकिन इमरजेंसी भवन में घुसते ही दुर्गंध से हालत खराब हो जाती है। इमरजेंसी में लगे बेडसीट पर आपको गंदगी व खून लगे दिख जाएंगे, जिसकी सफाई समय से नहीं हो पाती है। अस्पताल में मरीज के परिजनों के बैठने तक की समुचित व्यवस्था नहीं है। मात्र चार रजिस्ट्रेशन काउंटर से चल रहा काम : पिंकू कुमार, रीता देवी, माला देवी, संजीव कुमार, विनय कुमार, रंजू देवी आदि ने बताया कि ओपीडी में हजारों की भीड़ के लिये मात्र चार रजिस्टेशन काउंटर सदर अस्पताल में चलाया हैं। हमलोगों को पहले पर्ची कटाने के लिए सुबह से ही लाइन में लगना पड़ता है। इसमें भीड़ अधिक होने पर कई बार धक्का-मुक्की की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यहां पर पर्ची कटाने के लिए काउंटर बढ़ाया जाना चाहिए। इसी तरह दवा लेने के लिए भी दो ही काउंटर चलाये जा रहे हैं। दवा लेने से पहले भी रजिस्ट्रेशन कराकर पुर्जा कटवा होता है। दो काउंटर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए है, वहां भी लंबी लाइन लगती है। दवा काउंटर पर नहीं मिलती है सारी दवाएं : काउंटर पर दवा ले रहे मरीजों ने बताया कि काउंटर पर 30 से 40 फीसदी ही दवाएं मिलती हैं। दवा काउंटर पर सबसे ज्यादा मरीज मेडिसिन, हृदय, गैस्ट्रो, ईएनटी, स्त्री एवं प्रसूति रोग, आर्थो और टीबी रोग विभाग के रहते हैं। दवा कांउटर पर मौजूद लोगों ने हिन्दुस्तान से बातचीत में बताया कि दवा काउंटर पर कई जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं रहती हैं। मरीजों को जो दवाएं लिखी जाती हैं उसमें अधिकांश काउंटर पर उपलब्ध नहीं रहती हैं। बाहर से दवा लेने पर वह काफी महंगी रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों से पहुंचे मरीजों का कहना था कि सभी दवाएं न मिलने से परेशानी हो रही है। मरीजों का कहना था अस्पताल को दवा काउंटर बढ़ाना चाहिए। ओपीडी में 50 लोगों की ही बैठने की व्यवस्था है। लेकिन हजार लोगों की भीड़ में यह व्यवस्था कम पड़ जाती है। मरीजों का कहना है कि दवा काउंटर पर घंटों लाइन में लगने के बाद बारी आने पर पता चलता है कि अधिकतर दवा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है। बोले-जिम्मेदार नये एमसीएच बिल्डिंग के उद्घाटन होने के बाद जगह बचने पर दवा काउंटर को वहीं शिफ्ट किया जाएगा। वहीं साफ-सफाई को लेकर विशेष ख्याल रखा जा रहा है। अगर कर्मी की लापरवाही से वार्ड में बेड शीट चेंज नहीं किया जा रहा है तो वैसे कर्मियों को चिह्नित कर उस पर कार्रवाई की जाएगी। समस्याओं का निदान होगा। -डॉ. गिरीश, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल समस्तीपुर
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