शहर में वायु प्रदूषण का बढ़ रहा ग्राफ धूल और धुएं पर नहीं लग रही लगाम
समस्तीपुर में वायु प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या बन गई है। निर्माण कार्य और बड़े वाहनों की आवाजाही से प्रदूषण बढ़ रहा है। स्थानीय लोग सड़क पर पानी का छिड़काव और निर्माण स्थलों पर ग्रीन घेरा लगाने की मांग...
समस्तीपुर। शहरवासियों के लिए वायु प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या का कारण हैं। शहर और आसपास में हो रहे निर्माण कार्य ने प्रदूषण को बढ़ा रखा है। जबकि शहर के बीच से होकर बड़े वाहनों को आना-जाना लगा रहता है। घंटों जाम दौरान वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण बढ़ा देता है। जरूरी काम से शहर निकले लोग भी इस धुएं की चपेट में आते हैं। निर्माण कार्यों में सरकारी निर्देशों का पालन नहीं होता है। सड़क और भवन निर्माण साइट पर पानी का छिड़काव भी नहीं किया जाता है। स्थानीय लोग शहर की सड़कों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव चाहते हैं ताकि प्रदूषण कम किया जा सके।
वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति शहरवासियों में चिंता की बड़ी वजह बन गई है। लोगों का कहना है कि प्रशासन के स्तर पर बेहतर प्लानिंग और गंभीर प्रयास नहीं होने के कारण दिनोंदिन शहर की हवा जहरीली होती जा रही है। देश के प्रदूषित शहरों की सूची में जिले का नाम शामिल है। पिछले पांच वर्षों में जिले में वायु प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। वर्तमान में शहर का औसत एक्यूआई 80 से 130 के बीच रह रहा है। खासकर मथुरापुर और मोहनपुर इलाके का एक्यूआई शहर में लगातार सबसे अधिक रहता है। बियाडा के आसपास आवासीय परिसर में रह रहे लोगों को वायु प्रदूषण से अधिक परेशानी हो रही है। शहर के अन्य हिस्सों में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जा रही है। लोगों की शिकायत है कि निर्माण कार्यों में लगातार लापरवाही बरती जा रही है। ग्रीन घेरा नहीं लगाया जा रहा है। निर्माण वाले इलाकों में पानी का नियमित छिड़काव नहीं किया जा रहा है। लोगों का आरोप है कि पौधरोपण के नाम पर प्रशासन कोरम पूरा कर रहा है। पौधों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा रही है, जिसके कारण ये सूख जा रहे हैं। शहरी क्षेत्र में डीजल ऑटो और जुगाड़ गाड़ियों पर प्रतिबंध है। इसके बाद भी लगातार ये शहर की सड़कों पर चल रही हैं। इनसे काफी धुआं निकलता है। इसके साथ मिलकर धूलकण लोगों को बीमार बना रहे हैं। बोले हिन्दुस्तान के तहत लोगों से बात करने पर सभी ने इस पर गहरी चिंता जतायी है। इन्द्रनगर इलाके में रहने वाले सुधांशु भरत व मनोज कुमार कहते हैं कि प्रदूषण के कारकों के खिलाफ सख्ती और कार्रवाई जरूरी है। प्रशासन के लापरवाह रवैया के कारण शहर की हवा जहरीली होती जा रही है। यह शहरवासियों के लिए चिंताजनक है। इसके निदान को लेकर कदम उठाने की जरूरत है। सनोज कुमार व मनीष कुमार ने कहा कि शहर में तेजी से भवन का निर्माण हो रहा है। इन स्थलों के आसपास मिट्टी, गिट्टी, बालू आदि सामग्रियां ढंकी नहीं रहने के कारण बड़ी मात्रा में यह उड़कर हवा में फैल जाती है। इसका उचित प्रबंधन होना चाहिए। इसे सड़क से हटाकर और ढंककर रखने की जरूरत है। इसके साथ ही निर्माण स्थलों के पास ग्रीन घेरा लगाया जाना चाहिए, ताकि वहां से धूलकण नहीं उड़े। इन इलाकों में भारी गाड़ियों के परिचालन पर रोक लगनी चाहिए, ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। सतीश झा व राजेश झा कहते हैं कि जिस तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, उस अनुपात में शहरी इलाके में हरित क्षेत्र का दायरा बढ़ने की बजाय घटता जा रहा है। मानक के अनुसार 21 प्रतिशत हरित क्षेत्र होना चाहिए। कुणाल कुमार व सत्येन्द्र सिंह कहते हैं कि प्रशासनिक स्तर पर पौधरोपण तो किया जाता है, लेकिन उसके बाद पौधों की देखभाल नहीं होने से वे सूख जाते हैं। इसका कोई लाभ नहीं मिल पाता। इधर, शहर से सटे फोरलेन का निर्माण हो रहा है। यहां भी इतनी धूल उड़ती है कि लोगों को आने-जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। स्थानीय लोग नगर निगम और स्थानीय प्रशासन से प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए पहल की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि लोगों की सेहत का ध्यान रखते हुए पहल निदान की पहल जरूरी है। बोले-जिम्मेदार वायु प्रदूषण की रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दिए गए निर्देशों के अनुपालन को लेकर अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं। वहीं नगर निगम को सड़क पर जल छिड़काव के निर्देश दिए गए हैं, ताकि प्रदूषण को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सके। वहीं प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चिह्नित कर भारी जुर्माना किया जाएगा। इसको लेकर अभियान भी चलेगा। - रोशन कुशवाहा, डीएम, समस्तीपुर
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।