Yoga Training Centers Struggle for Survival in Motihari City शहर के योग शिक्षकों को चाहिए योग भवन, संसाधन व सुविधाएं, Samastipur Hindi News - Hindustan
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शहर के योग शिक्षकों को चाहिए योग भवन, संसाधन व सुविधाएं

मोतिहारी शहर में योग प्रशिक्षण केंद्र अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रशिक्षकों को संसाधनों और सम्मान की कमी का सामना करना पड़ रहा है। योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार और समाज को मिलकर ठोस कदम...

Newswrap हिन्दुस्तान, समस्तीपुरSat, 14 June 2025 11:43 PM
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शहर के योग शिक्षकों को चाहिए योग भवन, संसाधन व सुविधाएं

शहर में संचालित अधिकतर योग प्रशिक्षण केंद्र खुद के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। शहर के लगभग सभी प्रशिक्षण केंद्र न केवल बुनियादी संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं, बल्कि यहां कार्यरत प्रशिक्षक भी उपेक्षा और आर्थिक असुरक्षा के शिकार हैं। मोतिहारी शहर योग में अपनी पहचान बना सकता है, बशर्ते यहां के योग केंद्रों और प्रशिक्षकों को सम्मान, संसाधन व प्रोत्साहन मिले। योग प्रशिक्षक धीरा गुप्ता, आशा सिंह, किरण शर्मा, प्रमिला कुमारी, पुतुल रानी, प्रियंका नागवंशी, संजय कुमार सिंह, रीना सिन्हा, सरिता टिबड़ेवाल आदि ने बताया कि योग केवल शारीरिक कसरत नहीं, यह समाज को स्वस्थ और अनुशासित बनाने का माध्यम है।ऐसे में सरकार व समाज को मिलकर इस दिशा में ठोस प्रयास करना होगा। 

प्रशिक्षकों को सुविधा व सम्मान की दरकार

स्वस्थ जीवनशैली और मानसिक शांति के लिए योग को बढ़ावा देने की बात सरकार व जिला प्रशासन हमेशा करती है, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। शहर में संचालित करीब 25 योग प्रशिक्षण केंद्रों में से अधिकतर बुनियादी संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। योग प्रशिक्षकों को न कोई सुविधा मिलती है और न ही सम्मान मिलता है।

 भवन जर्जर, सुविधाएं नदारद 

शहर के कई योग प्रशिक्षण केंद्र स्कूलों, सामुदायिक भवनों या किराए के कमरों में संचालित हो रहे हैं। कुछ केंद्रों में शौचालय व पानी जैसी सुविधाएं तक नहीं हैं। बरसात के दिनों में छत टपकती है और गर्मियों में पंखा भी सही से नहीं चलता। जमीन पर बिछाने के लिए पर्याप्त दरी या मैट तक नहीं होती। 

प्रशिक्षकों की आर्थिक स्थिति दयनीय 

 प्रशिक्षक जयंती कुमारी, किरण कुमारी, मुन्नी देवी, शोभा देवी, बेबी देवी, अनिता देवी, ऊषा कुमारी, उर्मिला कुमारी आदि ने कहा कि योग शिक्षकों को न्यूनतम पारिश्रमिक भी नहीं मिलता है। प्रशिक्षकों के लिए न तो कोई स्थायी सेवा योजना है और न ही स्वास्थ्य या बीमा से जुड़ी कोई सुविधा मिलती है। सरकार योग दिवस पर बड़े-बड़े आयोजन करती है, लेकिन हम प्रशिक्षकों की हालत कोई नहीं देखता। साल भर हम समाज की सेवा करते हैं, मगर हमारा भविष्य अधर में लटका है। 

शहर में बने योग भवन 

 रेणु प्रसाद, प्रियंका गिरि, नमिता कुमारी, शिल्पी कुमारी, ललिता देवी, सुलोचना देवी, नीलू देवी, विद्यावती देवी, मधु कुमारी आदि ने बताया कि शहर में खेल भवन की तरह योग भवन बनाया जाए। इससे योग प्रशिक्षकों व शहर के लोगों को बहुत सुविधा होगी। बढ़िया भवन के अभाव में अधिकतर मोहल्लों के पार्क, खाली स्थानों व किराए के घर में केेंद्र चलाना पड़ता है। योग के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान के बावजूद जिला प्रशासन या खेल विभाग की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई है। योग को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन व आयुष मंत्रालय के तहत प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान है। 

जागरूकता बढ़ी, पर संसाधन नहीं 

 शहर में योग के प्रति लोगों की जागरूकता में वृद्धि हुई है। विशेषकर कोरोनाकाल के बाद लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए हैं। महिलाएं, वरिष्ठ नागरिक और युवा वर्ग योग केंद्रों से जुड़ना चाहते हैं। मगर, संसाधनों की कमी के कारण कई बार नियमित अभ्यास संभव नहीं हो पाता। बारिश के समय पार्कों में चलनेवाला केंद्र बंद करना पड़ता है। मैदान में प्रशिक्षण के दौरान हमेशा क्रिकेट बॉल से चोट लगने का डर रहता है। योग केंद्रों की स्थापना संग सुविधा के लिए हो सरकारी पहल : किरण शर्मा, धीरा गुप्ता, प्रमीला कुमारी, पुतुल रानी आदि ने बताया कि मोतिहारी शहर में योग प्रशिक्षण केंद्रों की स्थिति बदहाल है। इससे प्रशिक्षकों को भी कई तरह की परेशानी झेलनी पड़ रही है। प्रशिक्षकों को सम्मान, स्थायी योग केंद्रों की स्थापना और बेहतर सुविधा के लिए सरकारी पहल जरूरी है। स्थायी योग केंद्रों की स्थापना की जरूरत है। इससे हर मौसम में लोगों को योगाभ्यास करने की सुविधा होगी। प्रशिक्षकों द्वारा शहर के मंदिरों, पार्क, मोहल्ला के खाली स्थान व किराए के मकान में केंद्र का संचालन किया जा रहा है। यहां सुविधाओं का अभाव होने से योगाभ्यास करनेवालों को दिक्कत होती है।

 शिकायतें

 1. शहर में योग प्रशिक्षण केंद्रों की स्थिति बदहाल है। इन केंद्रों पर प्रशिक्षकों के साथ आम लोगों को भी परेशानी होती है।

 2. योग प्रशिक्षकों को न्यूनतम मजदूरी, उचित सम्मान व सरकारी स्तर पर प्रोत्साहन तक नहीं मिलता है। 

3. शहर में स्थायी योग केंद्रों की स्थापना और बेहतर सुविधाओं के लिए सरकारी स्तर पर पहल नहीं हो रही है।

 4. योग को बढ़ावा देने की बात सरकार व जिला प्रशासन हमेशा करती है, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। 

5. शहर के कई योग प्रशिक्षण केंद्र स्कूलों, मैदान, पार्क या किराए के छोटे कमरों में संचालित करने की मजबूरी है। 

सुझाव

1. योग शिक्षकों को स्थायी मानदेय और सामाजिक सुरक्षा देने की जरूरत है। इससे बेहतर प्रशिक्षण का मार्ग प्रशस्त होगा।

 2. शहर में खेल भवन की तरह योग भवन का निर्माण आवश्यक है। इससे योग सीखने और सिखानेवालों को सुविधा होगी। 

3. योग को बढ़ावा देने के लिए केंद्रों की नियमित मॉनिटरिंग और प्रशिक्षण के लिए विभागीय सहयोग जरूरी है।

 4. निजी संस्थानों और सीएसआर फंड के माध्यम से संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए। इससे प्रशिक्षण केंद्रों की स्थिति सुधरेगी। 

5. योग प्रशिक्षकों को न्यूनतम मजदूरी, उचित सम्मान व प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इससे योग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। 

बोले जिम्मेदार

 योगा को बढ़ावा देने के लिए सरकार व जिला प्रशासन प्रयासरत है। योग के प्रशिक्षकों को यदि जगह की परेशानी है तो इसे दूर करने की कोशिश की जाएगी। जिले में संचालित योग प्रशक्षिण केंद्रों के प्रशिक्षक कार्यालय में आकर मिल सकते हैं। उन्हें जिला मुख्यालय अवस्थित खेल भवन में जगह उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी। योगाभ्यास करनेवालों को खेल भवन में सुबह के शिफ्ट में एक बड़ा हॉल उपलब्ध कराया जा सकता है। इससे शहर के लोगों को योगाभ्यास में सुविधा होगी।

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