पटना सचिवालय के घंटा घर की घटेगी लंबाई, सरकार ने क्यों बनाया प्लान
सचिवालय स्थित घंटा घर 1917 में बना था। न्यूजीलैंड के जोसेफ फियरिस मनी की देखरेख में इसका निर्माण किया गया था। तब टावर की ऊंचाई 198 फीट थी। 1934 में बिहार में भूकंप आने पर यह क्षतिग्रस्त हो गया तथा इसकी ऊंचाई 184 फीट हो गई।

जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर उतरने वाले विमानों को सचिवालय के घंटा घर से परेशानी हो रही है, जिसके कारण रनवे पर विमान सही तरीके से उतर नहीं पा रहे हैं इसलिए इसकी ऊंचाई 17.5 मीटर (लगभग 51 फीट) कम करने की मांग एयरपोर्ट प्रशासन की ओर से की गई है। इस बाबत एयरपोर्ट प्रशासन ने जिला प्रशासन को पत्र भी भेजा है। एयरपोर्ट प्रशासन का कहना है कि रनवे छोटा होने के कारण विमानों की लैंडिंग में बहुत परेशानी हो रही है।
यदि प्रशासन इस पर गंभीरता से विचार करे तो समस्या का समाधान हो सकता है। अहमदाबाद में विमान हादसे के बाद एक बार फिर पटना एयरपोर्ट के रनवे विस्तार का मामला उठाया गया है। सोमवार को इस विषय पर एयरपोर्ट व जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक होनी है। रनवे छोटा होने से विमानों के उतरने में काफी परेशानी हो रही है। लेकिन इस पर अभी तक ठोस निर्णय नहीं लिया गया। इसलिए विमानों के लैंडिंग की दृष्टि से रनवे को अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप नहीं माना जा रहा है।
1917 में बना था घंटा घर
सचिवालय स्थित घंटा घर 1917 में बना था। न्यूजीलैंड के जोसेफ फियरिस मनी की देखरेख में इसका निर्माण किया गया था। तब टावर की ऊंचाई 198 फीट थी। 1934 में बिहार में भूकंप आने पर यह क्षतिग्रस्त हो गया तथा इसकी ऊंचाई 184 फीट हो गई। 1924 में टावर में घड़ी लगाया गया। लंदन और मैनचेस्टर के बिगबेन टावर के तर्ज पर इसे बनाया गया है। घड़ी को जिलेट एंड जॉसन कंपनी ने लगाया था। घड़ी की घंटे की सूई 4.5 फीट लंबा है। मिनट की सूई की लंबाई 5.5 फीट है। पेंडुलम दो क्विंटल का है। इसे आर्टिटेक्ट हेरिटेज ऑफ पटना घोषित किया गया है।