रोहिणी नक्षत्र समाप्त, किसान नहीं डाल पाए खेतों में धान का बीज
सीतामढ़ी में किसान रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने के बावजूद धान का बीज नहीं बो सके हैं, जिससे उनकी चिंता बढ़ गई है। पारंपरिक पद्धति से खेती करने वाले किसान मानसून से पहले खेतों को तैयार करते हैं, लेकिन इस...
सीतामढ़ी, हमारे प्रतिनिधि। रोहिणी नक्षत्र समाप्त हो गया है। लेकिन किसान अभी तक खेतों में धान का बीज नहीं डाल सके हैं। इस कारण पारंपरिक पद्धति से खेती करने वाले किसान चिंतित हैं। कृषि प्रधान जिला होने के कारण धान का बिचड़ा गिराने का काम किसान रोहिणी नक्षत्र से ही शुरू कर देते थे। मानसून के आगमन से पूर्व रोहिणी नक्षत्र में किसान खेतों को जोत कर तैयार कर लेते थे। पारंपरिक पद्धति से खेती करने वाले किसान बीज डालने के लिए रोहिणी नक्षत्र को सबसे उपयुक्त समझते हैं। लेकिन इस नक्षत्र में मौसम धान बीज लगाने के उपयुक्त नहीं होने के कारण किसान बिचड़ा नहीं गिरा पाए।
यह स्थिति खरीफ के फसल के लिहाज से सही नहीं माना जा सकता है। मौसम विभाग के अनुसार सही समय पर मानसून आने की जानकारी दी गई है। जिससे खेतों में बिचड़ा नहीं गिराने की चिंता सभी किसान को सता रही है। धान की पैदावार पर पड़ सकता है प्रतिकूल असर : पारंपरिक पद्धति से खेती करने वाले किसान खेतों को तैयार कर बीज नहीं गिरा पाए। जिस कारण किसान थोड़ी चिंतित हैं। हालांकि किसान अब भी इसकी तैयारी में लगे हुए हैं। किसान रमेश सिंह, सुमित सिंह, संतोष कुमार, संजय कुमार, विजय प्रसाद, विकास शर्मा, सुरेंद्र दास, कन्हैया भगत, मनोज शर्मा, गणेश राय, वीरेंद्र ठाकुर आदि ने बताया कि इस वर्ष माघ महीने में बारिश नहीं होने से लोग धान का बिचड़ा लगाने के लिए खेत तैयार नहीं कर सके। यही कारण है कि रोहिणी नक्षत्र में बीज नहीं बोया जा सका। इसका प्रतिकूल असर धान की पैदावार पर पड़ सकता है। बारिश की कमी का असर भदई फसलों पर भी पड़ने की संभावना है। दूसरी ओर केदार सिंह, सुभाष शर्मा, राम दुलार ठाकुर, विश्वनाथ कुशवाहा आदि किसानों का कहना है कि जब से हाइब्रिड बीज बाजार में आया है। तब से रोहिणी नक्षत्र में बीज गिराना उतना मायने नहीं रखता है। रोहिणी के बाद मृगशिरा एवं आद्रा नक्षत्र तक बीज बोया जा सकता है। यह हाइब्रिड बीज 15 से 20 दिन में तैयार हो जाता है। इसे लगाने से खेती पर कोई बहुत असर नहीं पड़ता है।
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