Dhamai River From Life-Giving Waterway to Polluted Drain बोले सीवान : खर-पतवार की सफाई हो तो पुरानी धारा में बहेगी धमई नदी , Siwan Hindi News - Hindustan
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बोले सीवान : खर-पतवार की सफाई हो तो पुरानी धारा में बहेगी धमई नदी

भगवानपुर प्रखंड की धमई नदी, जो कभी जीवनदायिनी मानी जाती थी, अब प्रशासनिक उपेक्षा और अतिक्रमण के कारण नाले में बदल गई है। कचरे का अंबार, प्रदूषण और जल संकट ने इसे संकट में डाल दिया है। स्थानीय लोग इसके...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानMon, 9 June 2025 10:54 PM
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बोले सीवान : खर-पतवार की सफाई हो तो पुरानी धारा में बहेगी धमई नदी

भगवानपुर प्रखंड में कभी जीवनदायिनी नदी के नाम से प्रसिद्ध रही धमई नदी समाज एवं प्रशासनिक उपेक्षा के कारण अपनी पहचान खोती जा रही है। अब तो क्षेत्र में गंगा के नाम से पुकारी जाने वाली यह नदी नाला के स्वरूप में हो गई है। अब तो यह नदी देखरेख के अभाव में कचरा का सुरक्षित स्थान बन कर रह गया है। यह नदी भगवानपुर प्रखंड क्षेत्र में करीब दस किलोमीटर की दूरी में गुजरती है। इसके किनारे करीब डेढ़ दर्जन से अधिक गांव बसे हैं। इस क्षेत्र के लोग कभी इसे गंगा का रूप मान पूजा करते थे। कालांतर में इसका पानी बिल्कुल निर्मल था।

इसके जल में लोग डुबकी लगा- लगा कर स्नान करते थे। इसके जल से देवी- देवताओं की पूजा की जाती थी। इसका जल मवेशियों को पिलाने, कृषि के क्षेत्र में सिंचाई के रूप में उपयोग किया जाता था। इससे किसानों के घरों में खुशहाली होती थी। लेकिन, करीब 50 वर्षों से धीरे - धीरे इसका दायरा समेटते- समेटते नाला के रूप में बदल गया है। अब तो यह बाजार में कचरा फेंकने का एकमात्र सुरक्षित स्थल बन कर रह गया है। मानव अपने स्वार्थ में इतना अंधा हो गया है कि इसकी पहचान को समाप्त करने को आतुर हो गया है। फिलहाल इस भीषण गर्मी में नदी सूख गई है, जहां कहीं नाला का पानी गिरता है वहां पर थोड़ा बहुत पानी जमा है, जानवर भी पीने से परहेज करने लगे हैं। प्रदूषण एवं अतिक्रमण के कारण इसकी पहचान समाप्ति के कगार पर खड़ा है । मवेशियों के मरने के बाद लोग नदी में फेंक देते हैं। बाजार का सभी कचड़ा, चिकेन शॉप का कचड़ा, बकरे का मांस बेचने के लिए काट उसके बेकार अवशेष को इसी नदी में फेंक देते हैं। नदी का उद्गम स्थल : इस नदी का उद्गम स्थल गोपालगंज के बरौली प्रखंड के रूपछाप नामक स्थान है। यहीं से यह गंडक नदी से निकलकर सीवान जिले के गोरेयाकोठी, बसंतपुर भगवानपुर प्रखंड के कई गांवों से होते हुए सारण जिले के सहाजितपुर, बनियापुर प्रखंड होते हुए दिघवारा के पास सरयू नदी में जा मिलती है। यह नदी राजनीति के उपेक्षा शिकार होते हुए अतिक्रमण का शिकार बन गई है। वर्तमान समय में इस नदी में सिर्फ और सिर्फ कचरा फेंकने के लिए आसपास बसे लोग उपयोग करते है। प्रखंड मुख्यालय बाजार में इस नदी पर बने सेतु को पार करते समय सड़ांध से उठ रही बदबू के कारण लोगों को नाक पर रुमाल रख कर गुजरना पड़ता है। स्थानीय लोगों के अनुसार बरसात के दिनों में जब इस नदी में अधिक पानी होता था तो वह एक बड़े नाला के माध्यम से बहियारा चंवर में जा गिरता था, जिससे सिंचाई होती थी। यह नदी बरसात के दिनों में अपने उफान पर रहती थी। लेकिन अब बरसात के दिनों में भी इसका वह रुतबा नहीं देखा जाता है। गंडक का जलस्तर बढ़ने पर धमई नदी में आता है पानी भगवानपुर हाट प्रखंड क्षेत्र के बीचोबीच से होकर गुजरने वाली धमई नदी का पौराणिक महत्व है। लेकिन आज इस नदी को उद्धारक की आन पड़ी है। बड़े -बुजुर्ग बताते हैं कि इस नदी का नामकरण गायत्री मंत्र में प्रयुक्त होने वाले धीमहि शब्द से हुआ है। कालांतर में धीमहि से इसका नाम धमई हो गया। यह नदी गोपालगंज जिले के बरौली प्रखंड के रूपछाप नामक स्थान से गंडक नदी से निकलकर सीवान जिले के गोरेयाकोठी, बसंतपुर भगवानपुर प्रखंड के कई गांवों से होते हुए सारण जिले के सहाजितपुर, बनियापुर प्रखंड होते हुए दिघवारा के पास सरयू नदी में जा मिलती है। जिन क्षेत्रों से होकर यह नदी गुजरती है उस क्षेत्र के लोगों जन जीवन पहले इस नदी पर आधारित था। हालांकि इसकी पहचान बरसाती नदी के रूप में है। बरसात के दिनों में गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने पर इसका पानी धमई नदी होते हुए सरयू नदी में जाकर मिल जाती है। रास्ते में इसका पानी इसके किनारे स्थित खेतों की सिंचाई करने, मवेशियों को पानी पीने, मछली पालन करने सहित कई महत्वपूर्ण कामों में इसका उपयोग होता है। इस नदी की महत्ता को देखते हुए लोग इसे धमई माई के नाम से पुकारते हैं। इसके किनारे सैकड़ों स्थान पर छठ घाट बने हुए हैं। लेकिन इस महत्वपूर्ण नदी का अस्तित्व पर आज संकट उत्पन्न हो गया है। यह नदी गाद, खर -पतवार, जलकुंभी आदि से भर गई है। बरसात के दिनों में इसका पानी नदी के ऊपरी भागों में फैल जाता है, जिससे फसलों की सिंचाई के स्थान पर यह फसलों को डूबा देता है। इस नदी के कारण हीं पिछले वर्षों में गोपालगंज के लकड़ी नबीगंज, सीवान जिले के बसंतपुर, भगवानपुर हाट प्रखंडों में बाढ़ के हालात उत्पन्न होते रहे हैं। नहरों का निर्माण होने पर नहर में अधिक पानी होने पर इसका पानी धमई नदी में छोड़ दिया जाता है। इससे यह नदी अब इस क्षेत्र में बाढ़ आने का कारण बन गया है। लेकिन इस नदी की सफाई कर इसके तलहटी में जमा गाद को हटाकर इसे दुबारा उपयोगी बनाया जा सकता है। भगवानपुर हाट नया बाजार के पास यह नदी तो मुहल्ले के कचड़े भरे गड्ढे के समान हो गई है। फिलहाल धमई नदी किसी उद्धारक की बाट जोह रही है। प्रस्तुति : विनय कुमार श्रीवास्तव शिकायतें 1. गर्मी में दिनों में धमई नदी सूख जाती है, जिससे पशु, पक्षियों व जानवरों को पीने का पानी नहीं मिल पाता है। 2. बाजार का कूड़ा, मीट -मुर्गा, मछली का कचरा नदी में फेंकने से सड़ांध पैदा हो जाती है। 3. नदी से आ रही दुर्गंध/बदबू से बाजार में नदी पर बने पुल से होकर गुजरने में नाक पर रुमाल रखना पड़ता है। 4. पुल के नीचे नदी में बने गड्ढे में जमा पानी काला हो जाने से मवेशियों के भी पीने लायक नहीं। 5. नदी के खर - पतवार व जलकुंभी से भर जाने से इसमें जहरीले सांप व जंगली जानवर भी आशियाना बना लेते हैं। सुझाव 1. धमई नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए ठोस पहल करने की जरूरत है। अगर ऐसे हीं हालात रहे तो जन आंदोलन करना पड़ेगा। 2. नदी की सफाई के लिए विभाग द्वारा योजना बनानी चाहिए, ताकि इसे उपयोगी बनाया जा सके। 3. जीवनदायिनी कही जाने वाली इस नदी को पुराने स्वरूप में लौटाने के लिए संबंधित विभाग को आवश्यक एवं कारगर पहल करनी चाहिए। 4. लोगों को नदी की महत्ता के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए ताकि वे इसे स्वच्छ रखने में सहयोग कर सकें। 5. नदी में मछली पालन की संभावना की तलाश कर इसे उपयोगी और स्वच्छ बनाने की पहल करनी चाहिए। हमारी भी सुनिए 1.आज धमई नदी का अस्तित्व खतरे में है। जगह- जगह अतिक्रमण, अपशिष्ट पदार्थों का नदी के पेंदी में जमाव, मीट - मुर्गा - मछ्ली के अपशिष्ट के उत्सर्जन ने इसकी स्थिति को दयनीय कर दिया है। प्रशासन को अतिशीघ्र कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। - डॉ. उमाशंकर साहू 2.धमई नदी जो कभी अपने स्वच्छ जल और आसपास के लोगों के जीवन को संजीवनी देने वाली नदी मानी जाती थी, आज प्रदूषण और उपेक्षा की मार झेल रही है। इसकी दुर्दशा का मुख्य कारण क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा अव्यवस्थित मुर्गा के दुकान है। जिससे नदी में प्रतिदिन गंदगी और अवशिष्ट बहकर दुर्गंध का कारण बन रहा है। - सीता देवी 3.धमई नदी का अस्तित्व मिटने के कगार पर है। लोगों के अतिक्रमण की वजह से एवं बड़े पैमाने पर कचरा फेंकने किसानों के सिंचाई के लिए यही नदी पहले विभिन्न प्रकार से उपयोग में आती थी, लेकिन सफाई नहीं होने के कारण आज जल संकट गहरा रहा है। लोग इसका अतिक्रमण करते जा रहे हैं। - वीरेन्द्र सिंह 4. छोटी नदियां जो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है उनमें से एक का नाम धमई नदी है। कोई अतिक्रमण करके बिल्डिंग खड़ा कर रहा है तो कोई उसमें नाले और नालियों का गंदा पानी बहा रहा है। कहीं-कहीं कूड़े और कचड़ों का अम्बार लगा पड़ा है। ऐसी छोटी नदियों को अपना अस्तित्व बचाए रखना आसान नहीं होगा। - सतीश शर्मा 5.धमई नदी, जो कभी अपने शुद्ध और शांत जल के लिए जानी जाती थी, आज कचरे और गंदगी के ढेर में तब्दील होती जा रही है। यह नदी सिर्फ एक जलस्रोत नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन, कृषि और पारिस्थिकी से भी गहराई से जुड़ी रही है। लेकिन अब इसकी दुर्दशा देख कर यह कहना गलत नहीं होगा कि हमने अपनी जीवनदायिनी नदियों को अपने स्वार्थ और लापरवाही की भेंट चढ़ा दिया है। - सरिता देवी। 6. धमई नदी नाला बन गया है। अगल बगल के लोग गुमटी रखकर अतिक्रमण कर लिए हैं। नदी के पानी से सिंचाई नहीं हो रहा है। इससे निकलने खांड़ अवरूद्ध हो गया है। मीट - मुर्गा का दुकान नदी को प्रदूषित कर रहा है। - टुनटुन प्रसाद। 7.धमई नदी की जीर्णोद्धार की जरूरत है। नदी के आसपास अतिक्रमण के कारण नदी भी छोटी हो गयी है तथा इस नदी में सड़े-गले कचरा डाल कर धमई नदी को गंदा कर दिया गया है। हिन्दुओं के महापर्व छठ पर्व के शुभ अवसर पर सफाई होती है। किन्तु सामाजिक स्तर पर कचरा क नदी में फेकने से रोकना जरूरी है। धमई नदी किनारे मांस-मछली के बिक्री पर रोक लगाने की आवश्यकता है। - मुन्ना चौधरी। 8. लगभग एक दशक पहले पर्व त्यौहारों के मौके पर व्रती महिला पुरूष इस नदी के पवित्र जल में स्नान कर पूजा के लिए जल भर कर लाया करते थे। आज भी इस नदी तट पर सैकड़ों छठ घाट हैं, जहां हर साल व्रती भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करते हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार नदी की साफ सफाई के प्रति उदासीन बने हुए हैं। - प्राणनाथ उपाध्याय। 9.धमई नदी समाज एवं प्रशासनिक उपेक्षा के कारण अपनी पहचान खोती जा रही है। अब तो क्षेत्र में गंगा के नाम से पुकारी जाने वाली यह नदी नाला का स्वरूप में हो गई है। अब तो यह नदी देखरेख के अभाव में कचरा का सुरक्षित स्थान बन कर रह गया है। - विनोद कुमार श्रीवास्तव। 10. प्रखंड क्षेत्र की प्रसिद्ध धमई नदी, लोक उपेक्षा एवं प्रशासनिक लापरवाही के कारण अब अपनी पहचान खोती जा रही है। अतिक्रमण, कचरा डालने एवं गाद भरने के कारण नदी की पाट लगातार घटती जा रही है। कोढ़ में खाज यह कि बाजार क्षेत्रों में मुर्गा मीट काटने वाले इसी नदी में वेस्ट फेंकते हैं जिसके कारण नदी का जल काला हो गया है और यह सड़ांध मार रही है। - मुन्ना शर्मा 11. करीब एक दशक पहले पर्व त्यौहारों के मौके पर व्रती महिला पुरूष इस नदी के पवित्र जल में स्नान कर पूजा के लिए जल भर कर लाया करते थे। आज भी इस नदी तट पर सैकड़ों छठ घाट हैं, जहां हर साल व्रती भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करते हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार नदी की साफ सफाई के प्रति उदासीन बने हुए हैं। - प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव। 12.धमई नदी अपना अस्तित्व खोती जा रही है। सरकार का इस पर बिल्कुल ही ध्यान नहीं है। जितना जल्द हो सके धमई नदी का जीवनोद्धार अति आवश्यक है। भगवानपुर हाट बाजार में हीं इस नदी से जुड़ी एक पइन है जो धमई नदी से बहियारा चंवर में पानी का अदान- प्रदान करती है, वो अपनी अंतिम सांसें गिन रही है गंडक विभाग इस पइन(खांड़) का पक्कीकरण कर इसका जीवनोद्धार करे। - सुनील कुमार ठाकुर। 13. लगभग 50 वर्ष पूर्व यह नदी क्षेत्रवासियों के लिए जीवनदायनी थी । इसके पानी से क्षेत्र में सिंचाई का काम होता था । जिससे किसानों को लाभ मिलता था । उन्होंने कहा कि नदी के साथ छेड़छाड़ करना मतलब प्राकृतिक से छेड़छाड़ करना हुआ । प्रदूषण को निमंत्रण देना । जल संकट को उत्पन्न करना है । - बृजकिशोर यादव। 14. धमई नदी को बचाने के लिए समाज में नदी के महत्व के प्रति समाज को जागरूक करना होगा । उन्होंने कहा कि यह नदी इस क्षेत्र के लिए जल का सबसे बड़ा श्रोत थी । इसके अस्तित्व को बचाने के लिए एक मास्टर प्लान बनाने की जरूरत है।- मुकेश सिंह। 15. प्रशासन ने कभी भी इस नदी को बचाने का प्रयास नहीं किया। नदी को बचाने के लिए उसकी खोदाई, सफाई अनिवार्य है। नदी को बचाने के लिए सामाजिक रूप से लोगों को आगे आना चाहिए। - राजेश कुमार गुप्ता। 16. नदी में जंगल एवं कचरे का है साम्राज्य हो गया है। क्षेत्र की गंगा कहलाने वाली इस धमई नदी की पहचान अब जंगल एवं कचरा फेकने का स्थल बन गया है। इस नदी में पूरे क्षेत्र में कचरा का साम्राज्य स्थापित हो गया है। प्रशासन पूरी तरह से इस नदी को बचाने के प्रति उदासीन है। - लक्ष्मण प्रसाद रस्तोगी। 17.बरसात के दिनों में जब इस नदी में अधिक पानी होता था तो वह एक बड़े नाला के माध्यम से बहियारा चंवर में जा गिरता था, जिससे सिंचाई होती थी। यह नदी बरसात के दिनों में अपने उफान पर रहती थी। लेकिन अब बरसात के दिनों में भी इसका वह रुतबा नहीं देखा जाता। - संजय कुमार शर्मा । 18. पूरब में गंडक नदी और पश्चिम में सरयू नदी के बीच में धमई नदी बहती है। पहले हमलोग इसके किनारे वाले खेतों में मूंग, धान, बाजरा की फसल होती थी। लेकिन अब कोई फसल नहीं हो पाता है। क्योंकि इस नदी में नगर का पानी छोड़ दिए जाने से कब नदी में पानी बढ़ जाएगा और फसल को डूबो देगा, इसकी कोई गारंटी नहीं रहती। इस तरह करीब 50- 60 वर्षों से हम किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसे न कोई देखने वाला है और न कोई सुनने वाला। - मिथिलेश्वर प्रसाद। 19. प्रखंड क्षेत्र की प्रसिद्ध धमई नदी, अतिक्रमण, कचरा डालने, गाद भरने एवं जलकुंभी के कारण नदी की पाट लगातार घटती जा रही है। बाजार में मुर्गा, मीट काटने वाले इसी नदी में कचरा फेंकते हैं जिसके कारण नदी का जल काला हो गया है। - रोहित रंजन। 20. यह नदी इस क्षेत्र के लिए जल का सबसे बड़ा श्रोत थी। लेकिन गर्मी के मौसम में यह नदी सूख जाती है। नदी की तलहटी में धूल उड़ने लगती है। बाजार से होकर गुजरने वाली इस नदी में गंदगी का अंबार लगा है। धमई नदी खर - पतवार व जलकुंभी से भरी हुई है। इसकी सफाई कर इसके अस्तित्व को बचाने की जरूरत है। - अमित कुमार।

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