बोले सीवान : पाइप और टंकी की मरम्मत हो तो नल से नियमित जलापूर्ति होगी
जिले की लगभग 60 फीसदी जनता पानी की गंभीर कमी का सामना कर रही है। जल संकट के कई कारण हैं, जैसे बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण और जलवायु परिवर्तन। नल जल की योजनाएँ विफल हो रही हैं, और लोग पानी के लिए तरस...
जिला की लगभग साठ फीसदी जनता पानी की जबर्दस्त किल्लत से जूझ रही है पर नागरिक समाज की इस दिशा में उदासीनता और नीतिगत सुधारों का अभाव जैसे धरती की कोख को पानी से भरने नहीं दे रहे हैं। विडंबना यह है कि सभी गंभीर जल संकट की ओर तेजी से बढ़ रहे है। लोग जंगल, तालाब और पानी के परंपरागत स्रोतों को मार कर अपना विस्तार करते जा रहे हैं। प्यासी धरती में कभी खुशहाली के अंकुर नहीं फूटते। लोगों को सुलभ व स्वच्छ जल उपलब्ध कराने को लेकर गांवो में सात निश्चय योजना के तहत प्रत्येक वार्ड में नल जल के लिए पानी टंकी बनाई गई।
गांव में पाइप लाइन बिछाई गई। लेकिन, जल्द ही यह ध्वस्त भी होने लगे। शुरुआती दौर में समन्वय समिति बनाकर नल जल का काम से किया गया। इस योजना से एक वार्ड में लगभग 15 लख रुपए खर्च किया गया। घटिया सामग्री का उपयोग के कारण जल्दी ही यह नकारा साबित हो गया। लगभग 2 साल पहले सभी नल - जल को पीएचईडी के अधीन ट्रांसफर कर दिया गया। पीएचईडी के पास इतने ऑपरेटर नहीं कि इन पानी टंकी का संचालन कर सके और लोगों को पेयजल मिले। कुछ जगहों पर रखे गए ऑपरेटर और वार्ड सदस्यों के बीच विवाद व रखरखाव नहीं होने से यह नकारा साबित होने लगा है। आज स्थिति यह है कि लोगों को नल का जल नहीं मिल रहा। लोगों के लिए पीएचईडी विभाग के द्वारा पाइप जलापूर्ति योजना के माध्यम से पानी उपलब्ध कराने का कार्य किया जाता है। कई जगहों पर पानी टंकी बनाकर बाजारों में पानी सप्लाई करने की योजना बनाई गई। लेकिन, बड़ी क्षमता वाले इन पानी टंकियां से भी लोगों को पानी नहीं मिलता है। जल को अमृत माना गया है। यह भी कहा जाता है कि जल ही जीवन है। परंतु, आज जिले भर में गंभीर जल संकट की स्थिति बनी हुई है। बढ़ती जनसंख्या व जलवायु परिवर्तन का पानी पर बढ़ा है दबाव बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन ने जिले के जल संसाधनों पर काफ़ी दबाव डाला है। जिले के 60 फीसदी से अधिक लोग पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि जल संकट की जड़ें कहाँ हैं। जल संकट कोई नई समस्या नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में यह और गहरा गया है। कई हिस्सों में भूजल स्तर तेज़ी से गिर रहा है। जिला कृषि के लिए जाना जाता हैं, अब पानी की कमी से जूझ रहे हैं। गांव व शहरों में गर्मियों के दौरान पानी के लिए हाहाकार मच जाता है। नदियाँ जो कभी जीवनदायिनी मानी जाती थीं, अब प्रदूषण और अतिक्रमण की शिकार हो रही हैं। सरयू व दाहा नदियाँ भी आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं। जलवायु परिवर्तन ने पानी संकट को और बढ़ाया है। अनियमित मानसून, सूखा और बाढ़ की घटनाएँ अब आम हो गई हैं। जल संकट के पीछे कई कारण हैं। पहला और सबसे बड़ा कारण है जल का अंधाधुंध दोहन होना। खेती के लिए भूजल का अत्यधिक उपयोग, खासकर ट्यूबवेल और बोरवेल ने प्राकृतिक भूजल के स्तर को खतरनाक रूप से कम कर दिया है। दूसरा कारण है जल संसाधनों का प्रदूषण, औद्योगिक कचरा, सीवेज और रासायनिक खाद नदियों और झीलों को जहरीला बना रहे हैं। दिन प्रतिदिन बढ़ता हुआ शहरीकरण भी इस संकट को और बढ़ा रहा है। कंक्रीट के जंगल बनने से वर्षा का जल जमीन में नहीं रिस पाता, जिससे भूजल पुनर्भरण प्रभावित होता है। इसके अलावा जल प्रबंधन में कमी और नीतियों का ठीक से लागू नही होना भी एक बड़ी समस्या है। लोग पानी को मुफ्त संसाधन समझकर उसकी बर्बादी करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पुरानी और अकुशल तकनीकों का इस्तेमाल अभी भी जारी है। जल संकट का असर हर क्षेत्र पर पड़ रहा है। कृषि जो अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, पानी की कमी से प्रभावित हो रही है। किसानों को फसल नुकसान और कर्ज के बोझ का सामना करना पड़ रहा है। शहरों में पानी की किल्लत से लोग टैंकर माफिया पर निर्भर हो गए हैं। स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है, क्योंकि प्रदूषित पानी से बीमारियाँ फैल रही हैं। सामाजिक स्तर पर जल संकट तनाव और संघर्ष को जन्म दे रहा है। सिसवन के आधी अबादी को नही मिल रहा नल का जल प्रखंड क्षेत्र में नल का जल दिखावे की वस्तु बन करके रह गई है। कुछ जगहों पर नल का जल लोगों को मिल रहा है तो प्रखंड के 60% वार्डों में नल का जल सप्लाई नहीं हो रहा। वैसे तो प्रखंड के सभी 13 पंचायत में नल जल का काम पूरा हो चुका है। लेकिन कहीं बिजली की कमी, मोटर की खराबी तो कहीं पाइप फूटने की स्थिति में नल का जल की सप्लाई नहीं हो रही है। बल्कि यह कहे की पीएचईडी के जिम्में जाने के बाद स्थिति और बदतर हुई है। चैनपुर बाजार व सिसवन बाजार में भी नल का जल लोगों को नहीं मिल रहा। सिसवन पानी टंकी से 10 वार्डो को पानी सप्लाई करना है। आठ माह से गांव के लोगों को पानी नहीं मिलता है। यहां तक कि प्रखंड मुख्यालय के कर्मी व आने वाले लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ता है। यहां कार्यरत कर्मी मनमाने तरीके से काम करता है और बहुत ही कम आता है। लोग शिकायत करके थक चुके हैं मगर कोई सुधार नहीं हुआ। सिसवन बाजार में भी नल का जल लोगों को नहीं मिल पाता। क्या कहते हैं जिम्मेदार बीडीओ राजेश कुमार ने बताया कि पूर्व बीडीओ सूरज कुमार सिंह के वार्डो में मेंटेनेंस के लिए राशि भेजी गई थी। वार्ड सदस्य व जमीन मालिकों के बीच विवाद को लेकर कुछ जगह काम हुए, कुछ जगह नहीं हो पाए। जांच कर पानी की सप्लाई शुरू की जाएगी। सुझाव 1-सिसवन व चैनपुर पानी टंकी से पानी की सप्लाई नियमित करने की जरूरत है। 2-गांवो में लगाए गए नल जल से पानी का सप्लाई हो सुनिश्चित होनी चाहिए। 3-ऑपरेटर नियमित रूप से नल जल के मश्नि का मेंनटेन व रख रखाव करे। 4-प्रशासन शिकायत करने के बाद तुरंत ही कारगर कदम उठाए। 5-पानी सप्लाई करने वाले अपरेटर्स की लापरवाही बरतने पर कार्रवाई होनी चाहिए। शिकायतें 1-सिसवन व चैनपुर पानी टंकी से पानी की सप्लाई लंबे समय से बंद है 2- लगभग 60 फीसदी लगाया गया नल जल से पानी का सप्लाई नहीं हो रहा। 3-ऑपरेटर व रख रखाव के अभाव में बंद पड़े हैं पानी टंकी 4-प्रशासन शिकायत करने के बाद भी कोई कारगर कदम नहीं उठाता। 5- प्रखंड मुख्यालय के कर्मी व लोगों को भी नहीं मिल पाता शुद्ध पेयजल। इनकी भी सुनिए 1-जल संकट से निपटने के लिए ठोस और त्वरित कदम उठाने की जरूरत है। सबसे पहले जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाना होगा। बलिराम सोनी 2-वर्षा जल संचयन (रेनवाटर हार्वेस्टिंग) को हर घर, स्कूल और ऑफिस में अनिवार्य करना चाहिए। सरकार ने जल शक्ति अभियान शुरू अवश्य किया है, लेकिन इसे और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है। राजेंद्र यादव 3-बंद पड़े नल जल को चालु कर लोगों को स्वच्छ व साफ सुथरा पानी मिले इसकी ज़रूरत है। पारंपरिक जलस्रोतों को संरक्षित कर उनका जीर्णोद्धार किया जाय सुनिल कुमार सिंह 4-पौराणिक कुंडों को साफ़ सुथरा कर वर्षा के जल संचय कर एक बड़ा स्रोत बनाया जा सकता है, इससे भूजल स्तर में सुधार होगा और पानी संकट से बचा जा सकता है। भभुती भगत 5-कृषि में पानी की बचत के लिए ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर जैसी आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देना होगा। पानी टंकी से बजार में पानी सप्लाई सुविधाएं उपलब्ध कराई जाय। नीतेश कुमार 6- पानी संकट से जूझ रहे किसानों को फसलों के चयन में बदलाव लाकर कम पानी वाली फसलों को प्राथमिकता दी जानी जाय। सुशील कुमार 7- गांव में हरे-भरे क्षेत्रों और जल निकायों को संरक्षित करना होगा। इसके अलावा लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए स्कूलों में जल संरक्षण को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा सकता है। सगीर हुसैन 8--सरकार को जल प्रबंधन के लिए दीर्घकालिक नीतियाँ बनानी होंगी। योजना लाने से समस्याओं का समाधान नहीं होगा। मंटु प्रसाद 9-पेयजल व्यवस्था लोगों तक पहुंचाने के लिए जिन पाइपों का इस्तेमाल हुआ है वह घटिया है, जो बार-बार टूट रहे हैं इसे बदलने की जरूरत है। राजन कुमार 10- प्रशासन के उदासीनता व पानी के असमान वितरण को कम कर लोगों को पानी दिया जा सकता है। भूजल के उपयोग पर नियंत्रण के लिए कानून बनाना भी जरूरी है। हरि किशोर सिंह 11- पानी के प्रति समाज भी अपनी जिम्मेदारी समझे और उसे निष्ठा से निभाए। हर नागरिक को पानी की एक-एक बूँद बचाने का संकल्प लेना होगा। फुल मुहम्मद 12-जल संकट सबके सामने एक बड़ी चुनौती है, लेकिन यह असाध्य नहीं है। प्रशासन अगर इस पर कारवाई करती तो नल जल बेकार नहीं होती। जय किशोर सिंह 13--यदि हम आज से ही संरक्षण और प्रबंधन पर ध्यान दें, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए जल की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। अनुप सिंह 14-संस्कृति में जल को देवता माना गया है, और अब समय आ गया है कि हम इसे सिर्फ पूजा तक सीमित नही रखें, बल्कि इसके संरक्षण को जीवन का हिस्सा बनाएँ। प्रशासन को भी पहल करनी चाहिए। नवीन सिंह 15- यह संकट एक अवसर भी है, एक बेहतर भविष्य बनाने की दिशा में कड़े कदम उठाने की ज़रूरत है। पीएचईडी को पानी की सप्लाई नियमित करने की जरूरत है। जितेंद्र सिंह 16 पीएचईडी के पदाधिकारी और कर्मियों के मनमानी के कारण ही सिसवन व चैनपुर बाजार वासियों को पानी नहीं मिल रहा है। इन पर कार्रवाई होनी चाहिए। धनपत पटेल 17- जल संकट पर कई बार बातें होती हैं मगर इसमें सुधार नहीं होता, सिसवन पानी टंकी में तैनात कर्मी को हटाने की जरूरत है। चन्दन सिंह 18-शिकायत करने के बाद भी कर्मी पदाधिकारी इसपर ध्यान नहीं देते जिससे लोगों को पानी नहीं मिलता है। संसाधन उपलब्ध है मगर पानी टंकी से बजार में पानी सप्लाई नहीं होता है। संतोष कुमार सिंह 19 लोगों के बीच पानी आसानी से पहुंचे, इसकी व्यवस्था प्रशासन को करनी चाहिए, अन्यथा लोग आंदोलन को मजबूर होंगे। अमित यादव 20- गर्मी के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त है, मगर पानी की सप्लाई पानी टंकी से नहीं हो रही। उसे सुचारु करने की जरूरत है, ताकि लोगों को पानी मिल पाए। सुरेन्द्र साह
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