Flood Crisis in Kosi River Region 30 000 People Affected Annually Without Permanent Solution छह पंचायत के लोग हर साल बाढ़ से होते हैं प्रभावित, Supaul Hindi News - Hindustan
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छह पंचायत के लोग हर साल बाढ़ से होते हैं प्रभावित

कोसी नदी के आसपास के 30,000 से अधिक लोग हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं। स्थायी समाधान की कमी के कारण ग्रामीणों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विस्थापित परिवारों को 15 वर्षों से पुनर्वास नहीं...

Newswrap हिन्दुस्तान, सुपौलSat, 31 May 2025 04:47 AM
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छह पंचायत के लोग हर साल बाढ़ से होते हैं प्रभावित

30 हजार से अधिक की आबादी हर साल बाढ़ का दंश झेलने को विवश स्थाई समाधान को लेकर अब तक नहीं की गई है कोई पहल चैनल निर्माण और सुरक्षा बांध बनाने से समस्या का समाधान संभव सरायगढ़। प्रखंड क्षेत्र में छह पंचायत के 30 हजार से अधिक की आबादी हर साल बाढ़ से प्रभावित होती है। बाढ़ का स्थाई समाधान नहीं होने के कारण हर साल लोगों को परेशानी होती है। ग्रामीणों ने बताया कि प्रखंड के ढोली, बनैनियां, लौकहा, सरायगढ़, भपटियाही और चांदपीपर पंचायत में हर साल बाढ़ से तबाही मचती है। कोसी नदी जब उफान पर होती है तो लोगों के समक्ष गंभीर समस्या हो जाती है।

लोग ऊंचे स्थानों पर पलायन करने लगते हैं। ग्रामीण मो. इकबाल, मो. बालो, मो. हामिद, मो. कलीम आदि ने बताया कि सरकार द्वारा तटबंध की मरम्मत और बाढ़ से प्रभावित परिवारों को बाढ़ से बचाव करने में करोड़ों रुपया खर्च होता है। यह सिलसिला हर साल बाढ़ के मौसम में चलते रहता है। कोसी नदी के स्थाई समाधान को लेकर सरकार द्वारा आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इसके कारण परेशानी होती है। लोगों का कहना है कि बाढ़ से प्रभावित परिवारों के लिए हर साल सरकार द्वारा तटबंध के अंदर नाव की बहाली की जाती है। सूखा राशन, पॉलीथिन सीट, पशुचारा सहित अन्य प्रकार के सामग्री दी जाती है। कोसी नदी में चैनल निर्माण और सुरक्षा बांध बनाने से समस्या का समाधान किया जा सकता है। उधर, जल संसाधन विभाग के जेई महंत किशोर दास ने बताया कि कोसी नदी सबसे पहले 153 किमी की चौड़ाई में बह रही थी। सरकार द्वारा कोसी नदी के दोनों साइड 12 किमी की दूरी बांध बनाया गया, जिससे हजारों किसानों को लाभ मिला। कोसी नदी पर पांच साल से विशेषज्ञ और एक्सपर्ट द्वारा सर्वे किया जा रहा है। 12 किमी चौड़ी कोसी नदी को चार किमी की चौड़ाई में समेटा जाएगा। कोसी नदी की चौड़ाई को कम करने के लिए बांध और चैनल की निर्माण करना पड़ेगा। इसके बाद ही यह कार्य संभव है। उन्होंने कहा कि 12 किमी चौड़ी कोसी नदी सिमट कर अगर चार किमी पर पहुंच जाती है तो 8 किमी चौड़ाई में यहां के लोग काफी लाभान्वित होंगे। 15 सालों से खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं विस्थापित परिवार: कोसी नदी के कटाव से विस्थापित परिवार लगभग 8 हजार परिवार 15 साल बीत जाने के बावजूद भी खानाबदोश की जिंदगी जी रहे है। इन लोगों को अब तक सरकार द्वारा पुनर्वासित नहीं किया गया है। इसके कारण विस्थापित परिवार पूर्वी कोसी तटबंध और एनएच 57 के किनारे सहित अन्य जगहों पर शरण लिए हुए है। मालूम हो कि साल 2010 और 2011 में पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर ढोली और बनैनिया पंचायत से कोसी नदी का कटाव तेज हो गया था। इसमें लगभग 8 हजार परिवार के घर कटकर कोसी नदी में समा गए थे। कोसी नदी से विस्थापित हुए सभी परिवार पूर्वी कोसी तटबंध एनएच सहित अन्य जगहों पर शरण लिए हुए हैं, लेकिन 15 साल बीत जाने के बावजूद भी सरकार द्वारा इन विस्थापित परिवारों को पुनर्वासित नहीं किया गया है। विस्थापित परिवारों का कहना है कि वह लोग किसी तरह झुग्गी झोपड़ी बनाकर अपनी जिंदगी काट रहे हैं। बार-बार गुहार लगाने के बावजूद अब तक उन लोगों को पुनर्वासित नहीं किया गया है। विस्थापित परिवारों का कहना है कि कई परिवार रोजी-रोटी की तलाश में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में चले गए है। अभी भी 4 हजार से अधिक परिवार जहां-तहां बस बसे हुए हैं। साल 2011 में तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त जी आर के राव ने तत्कालीन सीओ को जमीन उपलब्ध कराकर विस्थापित परिवारों को पुनर्वासित करने और सरकारी स्तर पर आवास की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। इसके बाद 223 महादलित परिवारों को तीन-तीन डिसमिल जमीन रजिस्ट्री कराई गई थी। इसके बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। उधर, सीओ धीरज कुमार ने बताया कि साल 2011 के बाद 700 से अधिक भूमिहीन और महादलित परिवारों को तीन-तीन डिसमिल जमीन मुख्यमंत्री क्रय नीति के तहत बंदोबस्ती पर्चा, बासगीत पर्चा के साथ उपलब्ध कराया गया है। विस्थापित परिवार विनोद सरदार, सूरज सरदार, विकास सरदार, अजय सरदार, सचिन सरदार, संजय सरदार, गुलाब सरदार सहित अन्य बताया कि साल 2011 में आई भीषण बाढ़ और कटाव के बाद ढोली और बनैनिया पंचायत के अस्तित्व ही समाप्त हो गया। घर और जमीन कोसी नदी में विलीन हो गए। सरकारी स्तर से अब तक किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं मिला है। प्रशासन से अब तक आश्वासन ही मिल रहा है।

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