'जीरो फिगर' की चाहत महिलाओं को बना रहा टीबी का शिकार, 31-23-32 के लिए ‘क्रश डायटिंग’
संपन्न घरों में रहने वाली आधी आबादी के टीबी के शिकार होने की रफ्तार बीते पांच सालों में दोगुनी हुई है। क्रश डायटिंग इसकी एक बड़ी वजह है।

अब तक कुपोषण के शिकार बच्चों को ही टीबी की बीमारी होने की बात कही जा रही थी। लेकिन हाल के सालों में टीबी की बीमारी आधी आबादी यानी किशोरियों से लेकर शादीशुदा महिलाओं में भी पाई जा रही है। बड़ी बात ये कि मध्यम, उच्च मध्य से लेकर उच्च वर्ग से ताल्लुक रखने वाली ये महिलाएं या किशोरियां कुपोषण के कारण नहीं बल्कि जीरो फिगर के चक्कर में हो रही हैं। अपने आप को स्लिम दिखाने की चाह में किशोरियां व महिलाएं क्रश डाइटिंग कर रही हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटवाकर खुद को टीबी का शिकार बना रही हैं।
आंकड़े बताते हैं कि संपन्न घरों में रहने वाली आधी आबादी के टीबी के शिकार होने की रफ्तार बीते पांच सालों में दोगुनी हुई है। भागलपुर में हर माह औसतन 200 से 250 टीबी के नये मामले जांच में पाए जा रहे हैं। इनमें से संपन्न घरों की 10 से 12 की संख्या में ऐसी महिलाएं (किशोरियां, युवती व विवाहित महिलाएं) हैं, जो कि टीबी की शिकार होती हैं। इनकी उम्र 17 से लेकर 40 साल तक की होती है। जबकि साल 2017 में ये संख्या चार से पांच महिलाएं प्रति माह की दर से मिल रही थीं। इनमें कॉलेज गोइंग गर्ल्स से लेकर शादीशुदा महिला तक शामिल होती थीं।
सीनियर फिजिशियन डॉ. विनय कुमार झा कहते हैं कि जो महिलाएं मिल रही हैं, उनमें कुछ खाने पर उल्टी हो जाने की शिकायत लेकर आती हैं। काउंसिलिंग में पता चलता है कि वे वजन घटाने या क्रश डाइटिंग यानी भोजन की मात्रा एक दम से कम कर देना होता है, जिससे उनमें भोजन न पचने की शिकायत होती है। ऐसे में जब वे कुछ खाती भी हैं तो उन्हें उल्टी आ जाती है। यहां तक कि वे कुपोषित का शिकार मिलती हैं तो उनकी टीबी जांच करायी जाती है तो वे टीबी की शिकार मिलती हैं।
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के टीबी एंड चेस्ट विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शांतनु कुमार घोष कहते हैं कि कम समय में वजन घटाने की युवतियों, किशोरियों व शादीशुदा महिलाओं में होड़ मची है। एक या दो महीने में तीन से चार किलो वजन घटाने के चक्कर में ये आधी आबादी डाइटिंग करने के साथ हार्ड एक्सरसाइज भी करते हैं। जिससे इनका शरीर पतला हो जाता है लेकिन ऐसा करने से उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जा रही है। इस कारण आसानी से टीबी का संक्रमण इन्हें घेर लेता है।
क्या होता है जीरो फिगर
जीरो फिगर (31-23-32) का मतलब शरीर का ऊपरी हिस्सा लगभग 31 इंच, कमर 23 इंच और कूल्हे का आकार 32 इंच होता है। महिलाओं के लिए जीरो फिगर का यही अर्थ होता है। इसके लिए भोजन छोड़ देना तो कतई ठीक नहीं है।
20-20 किलो वजन कम करने की महिलाओं की जिद
जिला टीबी पदाधिकारी डॉ. दीनानाथ कहते हैं कि हैरत ये है कि संपन्न परिवार की बच्चियां टीबी की चपेट में आ रही हैं। सभी की केस हिस्ट्री में पता चल रहा है कि उनमें वजन कम करने का जबरदस्त चाह है। कई मामले तो ऐसे पाए जा रहे हैं, जो कि 15 से 20 किलो तक वजन कम कर रहे हैं। बिना पौष्टिक आहार को भोजन में शामिल किए बिना सिर्फ क्रश डाइटिंग से वजन कम करने का प्रयास होगा तो तय है कि उसकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होगी तो वह कुपोषण, टीबी समेत अन्य प्रकार की बीमारियों का शिकार हो जाएगी।