ताड़ी से हटेगा बैन? जेडीयू दफ्तर में नीतीश से दलित नेता की मांग, सीएम ने रिपोर्ट तलब की
पार्टी के एक पदाधिकारी ने सीएम नीतीश कुमार को पार्टी ऑफिस में ताड़ी से बैन हटाने का पत्र सौंपा बल्कि मांग नहीं मानने पर विरोध की भी चेतावनी दी। सीएम ने इस मामले में प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को पूरी रिपोर्ट तलब किया है।

बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू है लेकिन, ताड़ी को इस कानून से मुक्त करने की मांग उठने लगी है। अब तक विपक्षी राजद ताड़ी को शराबंदी से बाहर करने की वकालत कर रहा था लेकिन अब नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के अंदर से भी आवाज आने लगी है। सोमवार को पार्टी के एक पदाधिकारी ने ही सीएम नीतीश कुमार को पार्टी ऑफिस में ताड़ी से बैन हटाने का पत्र सौंपा बल्कि मांग नहीं मानने पर विरोध की भी चेतावनी दी। सीएम ने इस मामले में प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को पूरी रिपोर्ट तलब किया है।
दरअसल नीतीश कुमार सोमवार को अचानक अपने पार्टी ऑफिस में पहुंच गए। वहां कराकर्ता और पार्टी के अन्य नेता पहले से मौजूद थे। सीएम के लिए नारेबाजी शुरू हो गई। वहीं खुद को पार्टी के दलित मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष बताने वाले मुन्ना चौधरी ने ताड़ी की बिक्री राज्य में शुरू कराने और ताड़ी पीने को गैरकानून दर्जे से बाहर लाने की मांग से संबंधित पत्र सीएम को सौंप दिया।
पत्रकार से बात करते हुए मुन्ना चौधरी ने बताया कि 2016 में यह कानून लागू किया गया था तब से पासी समाज को बहुत नुसकान हुआ है। ताड़ी के कानून से मुक्त रखनने की उनकी पुरानी मांग है। आज सीएम से सामना हुआ तो पत्र दे दिया। मुन्ना चौधरी ने कहा कि सीएम ने पत्र उमेश कुशवाहा को दे दिया और पूरे मामले पर विस्तृत जानकारी लेकर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
मुन्ना चौधरी ने कहा कि उम्मीद है कि नीतीश कुमार उनकी मांगों पर गंभीरता के साथ विचार करेंगे। अगर मांग नहीं मानी गई तो पासी समाज विरोध करेगा। ताड़ी पर रोक हटाना समय की मांग है। इससे एक वर्ग के बीच आक्रोश है। चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ा सकता है।
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी ताड़ी से प्रतिबंध हटाने की बात कही थी। कहा था कि उनकी सरकार बनी तो ताड़ी को शराबबंदी कानून से बाहर कर दिया जाएगा। पासी समाज के सम्मेलन में तेजस्वी ने ताड़ी की लबनी वाला डंडा अपने कांधे पर उठा लिया था। एनडीए के सहयोगी हम के सुप्रीमो जीतनराम मांझी भी समय-समय पर शराबबंदी कानून में ढील देने की मांग उठाते रहे हैं।