स्त्रियों के लिए अतीत की गवाही और भविष्य के स्मृति की पुनर्रचना है जात
आगरा की गलियों से लंदन के कला संसार तक की सोनाक्षी की यात्रा महज भौगोलिक नहीं, बल्कि स्मृतियों, परंपराओं और स्त्री अस्मिता की अनकही कहानियों को समेटने वाली एक खोज है…

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। आगरा की गलियों से लंदन के कला संसार तक की सोनाक्षी की यात्रा महज भौगोलिक नहीं, बल्कि स्मृतियों, परंपराओं और स्त्री अस्मिता की अनकही कहानियों को समेटने वाली एक खोज है।
इन दिनों सोनाक्षी के शिल्प की जात शीर्षक से प्रदर्शनी राजधानी के ब्रिटिश काउंसिल में प्रदर्शित की गई है। इसमें घर की दादी, मां, बहू की अनकही आवाजें धातुओं में ढले अनुभव, रंगों में छिपी इच्छाएं दिखाई देती हैं। यह कोई साधारण कला नहीं, एक स्मृति-स्तंभ है। एक तरह की ‘मेटेरियल मेमोरी’, जहां हर धातु, हर नगीना, हर रंग अपनी दबी हुई कहानी कहता है।
सोनाक्षी बताती हैं कि जात मेरे लिए अपनी यादों को सहेजने का जरिया था, लेकिन यह धीरे-धीरे एक ऐसा माध्यम बन गया जिससे मैं उन महिलाओं की कहानियों को सामने ला सकूं, जिन्हें कभी ठीक से सुना ही नहीं गया। सोनाक्षी ने अपनी दादी की शादी की पोटली से निकले गहनों, उनकी बनावटों और उनकी चुप्पियों को अपनी स्थापना में समोया है। इन मूर्तियों को देखकर लगता है मानो ये धातु की ठोस चीज़ें नहीं, बल्कि यादों और अनुभवों से बनीं कोई जीती-जागती दुनिया हों। बाहर से ये पीतल और सफेद धातु की बनी सादगी लिए हैं, लेकिन भीतर झांकें तो चटख रंग, इनैमल और रेजिन से सजे संसार हैं जैसे किसी महिला की चुप इच्छाएं बोल उठी हों। जात की यह यात्रा सिर्फ अतीत की गवाही नहीं है, यह भविष्य की स्त्रियों के लिए स्मृति की पुनर्रचना भी है। एक विरासत जो सिर्फ वस्त्रों या आभूषणों तक ही सीमित नहीं है बल्कि सपनों, ख्वाहिशों और अस्मिता को भी दर्शा रही है।
सोनाक्षी का जन्म आगरा में हुआ और अब वे लंदन में रहकर कला के जरिए अपनी जड़ों से जुड़ी कहानियां तलाश रही हैं। उन्होंने मशहूर रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट, लंदन से ज्वैलरी और मेटल में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है। इसके अलावा वे इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स से जुड़कर शोध भी कर चुकी हैं। एक शोधकर्ता के रूप में स्त्री परंपरा और शिल्प के सांस्कृतिक विमर्श को पुनः परिभाषित करने के लिए तत्पर हैं। यह आयोजन स्टडी यूके: क्रिएटिव कनेक्शन्स II के तहत हो रहा है। राजधानी में यह प्रदर्शनी 31 जुलाई तक दिल्ली में खुली रहेगी।
प्रदर्शनी ब्रिटिश काउंसिल की बेस्ट ऑफ ब्रिटिश सीरीज़ का हिस्सा है, जो ब्रिटेन से पढ़ाई कर लौटे कलाकारों के वैश्विक योगदान को रेखांकित करती है। सोनाक्षी फिलहाल जेमोलॉजी की आगे की पढ़ाई कर रही हैं और भविष्य में डॉक्टरेट के जरिए कला में लैंगिक और सांस्कृतिक पहचान पर गहराई से काम करने की योजना बना रही हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।