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अपने मोटे मुनाफे से शहरों को भी मदद करे क्रिकेट बोर्ड

क्रिकेट से जुड़ा इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) अमेरिकी नेशनल फुटबॉल लीग (एनएफएल) के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खेल लीग है। जी हां! आपने ठीक पढ़ा…

Hindustan लाइव हिन्दुस्तानWed, 18 June 2025 11:06 PM
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अपने मोटे मुनाफे से शहरों को भी मदद करे क्रिकेट बोर्ड

नारायण रामचंद्रन, आर्थिक सलाहकार

क्रिकेट से जुड़ा इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) अमेरिकी नेशनल फुटबॉल लीग (एनएफएल) के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खेल लीग है। जी हां! आपने ठीक पढ़ा। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लीग। एनएफएल के सामने हालांकि अभी यह 18 साल का बच्चा है। इसके मुकाबले अमेरिकी मेजर लीग बेसबॉल 125 साल से भी अधिक पुराना है, जबकि एनएफएल 100 साल और फॉर्मूला वन का 75 साल का इतिहास है।

कमाई के मामले में एनएफएल हर स्तर पर सबसे ऊपर है। इसकी कुल आय लगभग 20 अरब डॉलर है, जबकि इसकी हरेक टीम की कमाई 60 करोड़ डॉलर और प्रति मैच 6.7 करोड़ डॉलर है। आईपीएल की प्रति मैच कमाई लगभग 1.7 करोड़ डॉलर (लगभग डेढ़ अरब रुपये) है और यह दूसरे स्थान पर आता है। एनएफएल जैसे प्रमुख खेल लीगों के मुकाबले काफी नया होने के बावजूद आईपीएल का राजस्व 20 प्रतिशत से अधिक की वार्षिक चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है, जबकि एनएफएल की वार्षिक वृद्धि दर आठ से दस प्रतिशत ही है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) आईपीएल लीग का मुखिया है। यह एक करमुक्त संगठन है, जो इस पूरे मनोरंजन को नियंत्रित करता है।

दुनिया भर के बड़े खेल लीगों की तरह आईपीएल की कमाई भी टीवी-डिजिटल अधिकार, प्रायोजकों, स्टेडियम के टिकटों और दूसरे तरह के व्यावसायों से होती है। मसलन, बीसीसीआई ने साल 2023 से 2027 तक के लिए डिज्नी/ वायकॉम 18 के साथ छह अरब डॉलर का टीवी डिजिटल अधिकारों को करार किया है। सालाना 1.2 अरब डॉलर की इस आय के अलावा, बोर्ड केंद्रीय प्रायोजन से 10 से 20 करोड़ डॉलर तक की कमाई कर लेता है। बीसीसीआई इसका आधा हिस्सा दस फ्रेंचाइजी टीमों को दे देता है। इस तरह प्रत्येक फ्रेंचाइजी टीम को सीधे बोर्ड से लगभग छह करोड़ डॉलर और अपने स्तर पर एक करोड़ डॉलर की कमाई होती है।

आईपीएल को एक चमत्कारिक आयोजन बनाने में देश की कई चीजें मददगार हैं। जैसे, भारत की विशाल आबादी में क्रिकेट के इस छोटे प्रारूप के प्रति हद दर्जे का जुनून है। आईपीएल प्रशंसकों में 40-50 फीसदी महिलाएं हैं, जिससे विज्ञापन बाजार को विस्तार मिलता है। विराट कोहली जैसे कुछ सितारों के पास तो इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों पर 28 करोड़ का विशाल फॉलोअर समूह है। फुटबॉल खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मेस्सी ही ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके फॉलोअर्स की संख्या कोहली से ज्यादा है।

भारत में आईपीएल खिलाड़ियों को नीलामी में मिलने वाली भारी रकम हैरान करती है, क्योंकि दुनिया भर के अन्य प्रमुख लीगों की तुलना में आईपीएल की ‘प्रतिभा लागत’ सबसे कम है। इस लीग की एक अच्छी बात यह है कि साल 2027 में मीडिया अधिकारों की अगली नीलामी के तुरंत बाद शायद टीमों की संख्या और खेल के सत्र बढ़ेंगे। मेरा अनुमान है कि अगले दस वर्षों में आईपीएल में मीडिया अधिकारों की कीमत 1.2 अरब डॉलर सालान से लगभग 10-12 गुना तक बढ़ सकती है। बीसीसीआई इससे सालाना पांच अरब डॉलर से ज्यादा की कमाई करेगा। गौर कीजिए, बोर्ड इस कमाई पर कोई कर नहीं अदा करता है। अपने शुरुआती दिनों में आईपीएल ‘मैच फिक्सिंग’ से हिल गया था। इसकी सबसे बुरी बात तब यह सामने आई थी कि उन घोटालों में अंदर के लोगों का ही हाथ था। सौभाग्य से अब फिक्सिंग का खेल खत्म हो गया है। आज इसकी सबसे बुरी बात बेलगाम उपभोक्तावाद का समर्थन है। और इसका सबसे बदतर पहलू तो बेंगलुरु में दिखा, जब अधिकारियों की लापरवाही के कारण आरसीबी के विजय के जश्न में 11 प्रशंसकों की मौत हो गई और कई घायल हो गए।

आईपीएल के महाकुंभ में अगले कुछ वर्षों तक लगातार बढ़ोतरी का अनुमान है। इसलिए बीसीसीआई को चाहिए कि वह अपने बेतहाशा मुनाफे में से कुछ खर्च करे व ऐसी जगहों पर स्टेडियम बनवाए, जो सार्वजनिक परिवहन से बेहतर जुड़ी हों और आपदा रोधी हों। शहरी नियोजन में वह योगदान करे और इस पूरी योजना को इस तरीके से बनाए कि आईपीएल हर जगह अपने बेहतर रूप में दिखे, तभी इसका भरपूर आनंद लिया जा सकेगा।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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