केंद्रीय कर्मचारियों को लग सकता है झटका, 1 जनवरी 2026 से नहीं बढ़ेगी सैलरी? समझें क्यों
8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने 16 जनवरी 2025 को 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है, लेकिन अभी तक इसका औपचारिक रूप से गठन नहीं हुआ है।

8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने 16 जनवरी 2025 को 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है, लेकिन अभी तक इसका औपचारिक रूप से गठन नहीं हुआ है। न तो अध्यक्ष और न ही अन्य प्रमुख सदस्यों की नियुक्ति की गई है। इतना ही नहीं अब तक संदर्भ की शर्तों (टीओआर) को भी फाइनल रूप नहीं दिया गया है। केंद्र सरकार के 1.2 करोड़ से अधिक कर्मचारी और पेंशनर्स अगले वेतन आयोग के लिए संदर्भ की शर्तों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि 1 जनवरी 2026 से इसके लागू होने की उम्मीदें अब लगभग खत्म हो गई हैं। जबकि सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है, ऐसे में अब कर्मचारियों को नए वेतनमान का लाभ समय पर मिल पाना काफी मुश्किल लग रहा है।
क्या है पिछला पैटर्न
बता दें कि पिछले दो वेतन आयोगों (6वें और 7वें) की प्रक्रिया को देखें तो रिपोर्ट तैयार करने और उसे लागू करने में औसतन 2 से 2.5 साल का समय लगा है। 6वें वेतन आयोग का गठन अक्टूबर 2006 में हुआ था और इसने अपनी रिपोर्ट मार्च 2008 में प्रस्तुत की थी। इसे अगस्त 2008 में मंजूरी दी गई थी और 1 जनवरी 2006 से लागू किया गया था। इसी तरह, 7वें वेतन आयोग का गठन फरवरी 2014 में हुआ था। इसने अपनी रिपोर्ट नवंबर 2015 में प्रस्तुत की। इसे जून 2016 में कैबिनेट की मंजूरी मिली और इसे 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया। दोनों ही मामलों में सिफारिशें रेट्रोएक्टिव डेट से प्रभावी हुईं और बकाया राशि का भुगतान भी फेजवाइज तरीके से किया गया।
8वें वेतन आयोग का गठन कब तक?
फिलहाल 8वें वेतन आयोग की स्थिति काफी अधूरी है। हालांकि सरकार ने 35 स्टाफ पदों के लिए डेपुटेशन सर्कुलर जारी कर दिया है। लेकिन न तो अध्यक्ष और न ही सदस्यों की घोषणा की गई है। साथ ही सरकार टीओआर को अंतिम रूप देने में व्यस्त है। अगर आयोग अब 2025 के आखिर या 2026 की शुरुआत में गठित होता है, तो रिपोर्ट 2027 या 2028 तक आएगी और इसे लागू करने में 6-8 महीने और लग सकते हैं। यानी नई सिफारिशें 2028 तक ही लागू हो पाएंगी। हां, अगर सरकार चाहे तो इन्हें 1 जनवरी 2026 से प्रभावी कर सकती है और बकाया भुगतान कर सकती है, जैसा पिछली बार किया गया था। हालांकि, यह पूरी तरह से राजनीतिक इच्छाशक्ति और फिस्कल स्थिति पर निर्भर करेगा।
क्या है कर्मचारी संगठनों की मांग
बता दें कि कर्मचारी संगठनों की ओर से सरकार को सुझाव दिए गए हैं, जिनमें 5 सदस्यीय परिवार के आधार पर न्यूनतम वेतन तय करने, वेतन स्तरों का विलय, हर पांच साल में पेंशन अवधि में संशोधन और 12 साल बाद कम्यूटेड पेंशन की बहाली जैसे मुद्दे शामिल हैं। इसके अलावा कर्मचारियों की मांग है कि मूल वेतन में 50 फीसदी महंगाई भत्ता (डीए) जोड़ा जाए।
कितनी बढ़ सकती है सैलरी?
इस बीच, फिटमेंट फैक्टर को लेकर भी कयासबाजी जोरों पर है। अगर यह फैक्टर 1.92x से 2.86x के बीच तय होता है तो बेसिक सैलरी 18,000 रुपये से बढ़कर 51,000 रुपये हो सकती है। पेंशनर्स को महंगाई राहत और नई पेंशन स्कीम के तहत भी लाभ मिल सकता है। हालांकि, जब तक सरकार आयोग का गठन नहीं करती और ToR को मंजूरी नहीं देती, तब तक कर्मचारियों और पेंशनर्स को किसी स्पष्टता की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।