चीन ने दिया बड़ा झटका, भारत की इन कंपनियों में हाहाकार, क्रैश हुए शेयर, कामकाज बंद होने का डर!
चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात पर रोक लगा दिया गया है। इस पर भारतीय ऑटो कंपनी का प्रोडक्शन करना मुश्किल हो गया है। ऐसे में देश की दिग्गज ऑटो कंपनी ने चिंता जताई है।

Indian Auto Stocks: भारत का इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री सप्लाई चेन में नई उथल-पुथल का सामना कर रहा है। टीवीएस मोटर से लेकर बजाज ऑटो, मारुति सुजुकी समेत ऑटो कंपनी के शेयर फोकस में हें। टीवीएस मोटर के शेयर में 1% तक की गिरावट देखी गई और यह शेयर कारोबार के दौरान 2,760 पर आ गया था। वहीं, बजाज ऑटो के शेयर में 2% तक की गिरावट देखी गई और यह शेयर कारोबार के दौरान 8,486 रुपये पर आ गया था। मारुति सुजुकी और टाटा मोटर्स समेत के शेयर में 1% से अधिक की गिरावट देखी गई। शेयरों में इस गिरावट के पीछे चीन का एक फैसला है।
टीवीएस मोटर ने जताई चिंता
चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात पर रोक लगा दिया गया है। इस पर भारतीय ऑटो कंपनी का प्रोडक्शन करना मुश्किल हो गया है। ऐसे में देश की दिग्गज ऑटो कंपनी ने चिंता जताई है। टीवीएस मोटर के एमडी सुदर्शन वेणु ने 2 जून को सीएनबीसी-टीवी18 से बातचीत के दौरान कहा, "प्रतिबंध का असर जून या जुलाई तक प्रोडक्शन पर दिखना शुरू हो जाएगा।" उन्होंने चेतावनी दी कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट खास तौर पर प्रभावित हो सकता है। चीन से बड़े पैमाने पर मंगाए जाने वाले रेयर अर्थ मैग्नेट ईवी मोटर के प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण हैं और आपूर्ति में कोई भी व्यवधान उत्पादन कार्यक्रम को पटरी से उतार सकता है। टीवीएस मोटर के एमडी ने कहा, “हम स्थिति को जोखिम मुक्त करने के तरीकों की खोज कर रहे हैं, लेकिन आगे चलकर लागत में बढ़ोतरी हो सकती है।” कंपनी ने एक बार फिर इस बात पर जोर दिया है कि भारत में ईवी सप्लाई चेन को स्थानीय बनाना बहुत जरूरी है। वेणु ने कहा, "ऑटो इंडस्ट्री को ऐसी महत्वपूर्ण कंटेंट के लिए एक मजबूत घरेलू इकोसिस्टम बनाना चाहिए। आत्मनिर्भर सप्लाई चेन विकसित करना बहुत जरूरी है।"
मारुति सुजुकी ने क्या कहा
देश की प्रमुख कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने सोमवार को कहा कि इलेक्ट्रिक और गैसोलीन कारों के प्रमुख कंपोनेंट, रेयर अर्थ मैग्नेट पर चीन के निर्यात प्रतिबंधों से उसके कार उत्पादन पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बता दें कि पिछले सप्ताह रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारतीय कार और कलपुर्जा निर्माताओं ने पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अधिकारियों से कहा कि रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर चीनी निर्यात प्रतिबंधों के कारण कुछ ही दिनों में ऑटो उत्पादन ठप हो सकता है। कंपनियां चाहती हैं कि सरकार प्रतिबंधों में ढील देने के लिए बीजिंग से पैरवी करे।
क्या है मामला
चीन द्वारा ग्लोबल रेयर अर्थ मैग्नेट सप्लाई के लगभग 90 प्रतिशत को कंट्रोल करने के साथ, तत्काल विकल्प खोजना एक चुनौती बनी हुई है। विकल्पों के लिए परीक्षण, सत्यापन और एकीकरण में समय लेने वाले निवेश की आवश्यकता होगी, जो उन्हें केवल मध्यम अवधि में व्यवहार्य बनाता है। पिछले हफ्ते, बजाज ऑटो ने अपने मार्च तिमाही के दौरान स्थिति को 'काले बादल' के रूप में बताया था और कहा था अगर मामला अनसुलझा रहता है तो अगले महीने की शुरुआत से गंभीर उत्पादन जोखिमों को पैदा कर सकता है, जबकि अब यह प्रमाणित करने के लिए एक औपचारिक प्रक्रिया लागू है कि सामग्री को सैन्य उपयोग के लिए नहीं भेजा जाएगा, चीन से शिपमेंट का भाग्य अभी भी अधर में लटका हुआ है।
यहां फंस रहा पेंच
बता दें कि रेयर अर्थ मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहन मोटरों में एक महत्वपूर्ण कंपोटेंट होते हैं। इनका इस्तेमाल गाड़ियों के कई जरूरी हिस्सों में लगते हैं, जैसे-इलेक्ट्रिक मोटर,पॉवर विंडो,स्पीकर और कई ऑटो पार्ट्स में। भारत ज्यादातर ये मैग्नेट चीन से खरीदकर लाता है। हालांकि, चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट के एक्सपोर्ट पर लगाई गई पाबंदियों के बाद अब कंपनियों को शिपमेंट के लिए चीन सरकार से इजाजत लेनी होगी। भारतीय कंपनियों को चीन से मैग्नेट मंगाने के लिए 'एंड-यूज सर्टिफिकेट' देना होगा। इसमें यह बताना पड़ेगा कि यह चुम्बक सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं हैं। इसके बाद इन डॉक्युमेंट को नई दिल्ली में चीनी दूतावास द्वारा वेरिफिकेशन कराना पड़ेगा और कंपनियों के चीनी आपूर्तिकर्ताओं को भेजना पड़ेगा। इसके बाद चीन लाइसेंस जारी करता है। सीमा शुल्क डेटा से पता चलता है कि प्रतिबंधों के बाद अप्रैल में चीन के स्थायी चुंबकों का निर्यात पिछले साल की तुलना में 51% गिरकर 2,626 टन रह गया। उद्योग के अनुमान के अनुसार, भारत के ऑटो सेक्टर ने 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में 460 टन दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक आयात किए, जिनमें से अधिकांश चीन से थे और इस वर्ष 30 मिलियन डॉलर मूल्य के 700 टन आयात की उम्मीद है।