चीन के एक फैसले से भारत समेत दुनियाभर में हाहाकार, कारोबार प्रभावित, इन कंपनियों की बढ़ी टेंशन!
भारत का इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री संभावित सप्लाई चेन संकट का सामना कर रहा है। यह संकट एक जरूरी कंपोनेंट की कमी के चलते आया है।

China restricts rare earth exports: भारत का इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री संभावित सप्लाई चेन संकट का सामना कर रहा है। यह संकट एक जरूरी कंपोनेंट की कमी के चलते आया है। इसका नाम - रेयर अर्थ मैग्नेट है। दरअसल, रेयर अर्थ मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहन मोटरों में एक महत्वपूर्ण कंपोटेंट होते हैं। इसका इस्तेमाल गाड़ियों के कई जरूरी हिस्सों में लगते हैं, जैसे-इलेक्ट्रिक मोटर,पॉवर विंडो,स्पीकर और कई ऑटो पार्ट्स। इसके अलावा स्मार्टफोन और ईवी जैसी रोजमर्रा की तकनीकों में इसका इस्तेमाल होता है। भारत रेयर अर्थ मैग्नेट के लिए चीन पर निर्भर है, अधिकतर मैग्नेट चीन से ही खरीदकर लाता है। लेकिन चीन ने रेयर मेटल्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे भारत की इलेक्ट्रिक वाहन (EV) महत्वाकांक्षा में बाधा आ गई है। बता दें कि चीन का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब भारत सरकार इन वाहनों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और ई-मोबिलिटी को प्रोत्साहित करने के लिए बजट 2025 में प्रोत्साहन और आवंटन प्रदान करके देश में ईवी क्षेत्र को बढ़ावा दे रही है। दरअसल, इन कंपोनेंट का प्रोडक्शन काफी मुश्किल और महंगा है। साथ ही इससे पर्यावरण पर भी काफी लागत आती है।
चीन ने क्यों लगाए प्रतिबंध?
इस निर्णय को चीनी प्रौद्योगिकी खासकर सेमीकंडक्टर उद्योग पर अमेरिकी प्रतिबंधों की प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन का यह कदम महत्वपूर्ण माइनिंग इंडस्ट्रीज में देश के प्रभुत्व को भी रेखांकित करता है और इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ चल रहे ट्रेड वॉर में चीन द्वारा लाभ उठाने के रूप में देखा जा रहा है। चीन द्वारा रेयर अर्थ और संबंधित चुम्बकों की एक डिटेल चेन के निर्यात को निलंबित करने के निर्णय से दुनिया भर में वाहन निर्माताओं, एयरोस्पेस निर्माताओं, सेमीकंडक्टर कंपनियों और मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर की सप्लाई चेन बाधित हो गई है।
भारत पर कितना असर?
भारत रेयर अर्थ मैग्नेट के लिए आयात पर निर्भर है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में देश ने 306 करोड़ रुपये मूल्य के 870 टन चुम्बकों का आयात किया। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ मैग्नेट में चीन की हिस्सेदारी करीब 70 प्रतिशत है और प्रोडक्शन में करीब 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिससे निर्यात पर रोन ईवी उद्योग के लिए चिंता का विषय बन गया है। वाहन निर्माताओं को बढ़ी हुई लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर डालना पड़ सकता है, जिससे लागत में 8 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इधर, सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने सरकार के समक्ष चिंता जताई है और आगाह किया है कि मैग्नेट का कम स्टॉक उत्पादन में देरी का कारण बन सकता है। इसके जवाब में, भारत सरकार कथित तौर पर समाधान के लिए दबाव बनाने हेतु ऑटो उद्योग के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल बीजिंग भेजने पर विचार कर रही है। SIAM ने हाल ही में एक दस्तावेज में कहा, "इसकी कमी के चलते जून की शुरुआत से ऑटो उद्योग का उत्पादन पूरी तरह से ठप हो जाने की उम्मीद है।" यह दस्तावेज 19 मई को मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स के अधिकारियों की मौजूदगी में आयोजित एक बैठक में प्रस्तुत किया गया था। जबकि चीन ने वोक्सवैगन सहित कुछ चुंबक उत्पादकों से निर्यात को मंजूरी दे दी है। तीन ऑटो उद्योग के अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि उन्हें डर है कि चीन और नई दिल्ली के बीच तनावपूर्ण संबंधों के कारण भारत को तुरंत मंजूरी मिलने की संभावना कम हो सकती है।
काफी पेचीदा हो गया है प्रोसेस
चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट के एक्सपोर्ट पर लगाई गई पाबंदियों के बाद अब कंपनियों को शिपमेंट के लिए चीन सरकार से इजाजत लेनी होगी। भारतीय कंपनियों को चीन से मैग्नेट मंगाने के लिए 'एंड-यूज सर्टिफिकेट' देना होगा। इसमें यह बताना पड़ेगा कि यह चुम्बक सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं हैं। इसके बाद इन डॉक्युमेंट को नई दिल्ली में चीनी दूतावास द्वारा वेरिफिकेशन कराना पड़ेगा और कंपनियों के चीनी आपूर्तिकर्ताओं को भेजना पड़ेगा। इसके बाद चीन लाइसेंस जारी करता है। SIAM दस्तावेज में कहा गया है कि भारत को आयातकों के आवेदनों को "कुछ ही घंटों में" अप्रूवल करना चाहिए और चीनी दूतावास और वाणिज्य मंत्रालय को उन्हें "तत्काल आधार पर" अनुमोदित करने के लिए दबाव डालना चाहिए।
क्या कहते हैं आंकड़े
सीमा शुल्क डेटा से पता चलता है कि प्रतिबंधों के बाद अप्रैल में चीन के स्थायी चुंबकों का निर्यात पिछले साल की तुलना में 51% गिरकर 2,626 टन रह गया। उद्योग के अनुमान के अनुसार, भारत के ऑटो सेक्टर ने 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में 460 टन रेयर अर्थ चुंबक आयात किए, जिनमें से अधिकांश चीन से थे।