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डरा या लालच देकर जेब ढीली नहीं करा सकेंगी ई-कॉमर्स कंपनियां

उपभोक्ता मंत्रालय ने ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा उपयोग किए जा रहे 13 तरह के डार्क पैटर्न की पहचान की है।ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीदने वाले 61% उपभोक्ता सब्सक्रिप्शन ट्रैप का शिकार हुए हैं।

Drigraj Madheshia हिन्दुस्तान टीमWed, 4 June 2025 05:25 AM
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डरा या लालच देकर जेब ढीली नहीं करा सकेंगी ई-कॉमर्स कंपनियां

कंपनियां अपनी वेबसाइट के भ्रामक डिजाइन (डार्क पैटर्न) के जरिए डर दिखाकर, दान या फाल्स अर्जेंसी के नाम पर जबरन आपकी जेब ढीली नहीं करा सकेंगी। केंद्र सरकार ने तीन महीने में कंपनियों को वेबसाइटों से भ्रामक डिजाइन बदलने को कहा है। दरअसल, उपभोक्ता मंत्रालय ने ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा उपयोग किए जा रहे 13 तरह के डार्क पैटर्न की पहचान की है।

कैसे करते हैं मजबूर

मसलन, आप किसी वेबसाइट के जरिए होटल में कमरा बुक करना चाहते हैं। वेबसाइट बताती है कि सिर्फ दो कमरे बचे हैं और कई लोग इस वक्त कमरा तलाश रहे हैं। आपने कोई कैब बुक की या वेबसाइट से सामान खरीदा तो वेबसाइट खुद आपके कार्ट में दान के तौर पर कुछ राशि जोड़ देती है। इसी तरह हवाई या किसी अन्य यात्रा के लिए टिकट बुक करते हुए इंश्योरेंस लेने को मजबूर किया जाता है।

लोकल सर्कल्स के एक सर्वे के मुताबिक ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीदने वाले 61% उपभोक्ता सब्सक्रिप्शन ट्रैप का शिकार हुए हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में सचिव निधि खरे के अनुसार, डार्क पैटर्न अनुचित व्यापार है। यह सोची समझी रणनीति के तहत किया गया जाता है। अब दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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सख्त कार्रवाई की तैयारी

केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले वेबसाइट के भ्रामक डिजाइन (डार्क पैटर्न) के जरिए उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाली करीब एक दर्जन कंपनियों को नोटिस दिया था। इन कंपनियों पर डार्क पैटर्न इस्तेमाल करने का आरोप है। सरकार ने फिलहाल सभी कंपनियों को खुद अपनी वेबसाइट से उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले डिजाइन को हटाने के लिए कहा है। कंपनियां दो सप्ताह के भीतर ऐसा करने में विफल रहती हैं, तो उनके खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

महानिदेशक कर रहे हैं जांच

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने जिन कंपनियों को नोटिस दिया है, उनके खिलाफ मिली शिकायतों की सीसीपीए के जांच विभाग के महानिदेशक जांच कर रहे हैं। यह जांच करीब दो सप्ताह में पूरी होने की संभावना है। इसके बाद कंपनियों को अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा। संबंधित कंपनी का पक्ष सुनने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कार्रवाई में वेबसाइट के डिजाइन में बदलाव, आर्थिक जुर्माना और सूची से हटाना शामिल हैं।

सबसे ज्यादा शिकायत वाले क्षेत्र

ट्रैवल, एयरलाइंस, ई कॉमर्स, ऑनलाइन बैंकिंग पेमेंट्स, टैक्स एग्रीगेटर ऐप्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म, भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) के अध्ययन के मुताबिक देश के सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले 53 में 52 ऐप्प भ्रामक डिजाइन या डार्क पैटर्न का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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